Science Research : वैज्ञानिकों ने खोजा धातु खाने वाला बैक्टीरिया

कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं का मानना है कि इस खोज की वजह से मिलेगी भूजल के बारे बेहतर जानकारी

Publish: Jul 19, 2020, 12:55 AM IST

photo courtesy : hd-radio.net
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कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञों ने एक ऐसा बैक्टीरिया खोज निकाला है जो कि धातु खा कर जीवित रहता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस खोज से पानी के वितरण सिस्टम रुकावट पैदा होने वाली कड़ी के बारे में जानकारी दुरुस्त हो जाएगी। इस प्रणाली को अब ठीक किया जा सकेगा। 

क्या है खोज में? 
कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक अध्ययन में पाया गया है कि कुछ जीवाणु ऐसे भी होते हैं जो कि धातु खा कर ज़िंदा रह सकते हैं। शोधकर्ताओं ने अपने शोध के दौरान पाया कि कुछ बैक्टीरिया की खुराक मैंगनीज़ धातु है। 

यह अध्ययन 'बैक्टेरियल कैमिलोथोऑटोट्रोफी वाया मैंगनीज़ ऑक्सिडेशन' के शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इसी अध्ययन के एक लेखक जैरेड लिबरेटर बताते हैं कि 'यह पहला ऐसा बैक्टीरिया है जो अपने ईंधन के लिए मैंगनीज खाता है। जब यह बैक्टीरिया इस धातु के संपर्क में आता है तो वह उसे प्रोटोन देने की कोशिश करता है इस प्रक्रिया में ऑक्सीकरण होता है जिससे मैंगनीज ऑक्साइड का निर्माण होता है।'

बैक्टीरिया को मैंगनीज़ की जरूरत क्यों पड़ती है ? 
शोधकर्ताओं के अनुसार जीवाणु को कैमोसिंथेसिस के उपयोग में लाने के लिए ही मैंगनीज़ की ज़रूरत आन पड़ती है। यह कार्बन डाइऑक्साइड को बायोमास में बदलने की प्रक्रिया है। लेखक जेरेड के मुताबिक यह अपने आप में अलग क़िस्म का बैक्टीरिया नहीं है जो धातु खाता है। बल्कि ज़मीन के नीचे पानी में ऐसे बहुतायत बैक्टीरिया हैं जो धातु का सेवन करते हैं। शोधकर्ताओं को विश्वास है कि इस खोज की वजह से वैज्ञानिकों उन्हें जमीन के अंदर के पानी के बारे बेहतर जानकारी मिल सकेगी और वे पानी वितरण के उन सिस्टम को समझ सकेंगे जो मैंगनीज ऑक्साइड के कारण बंद या चोक हो जाते हैं।

संयोग से हुई इस बैक्टीरिया की खोज 
 यह खोज पूर्व निर्धारित उद्देश्य की बजाय संयोग से हुई है। दरअसल डॉ जैरेड ने एक ग्लास जार एक नल के पानी से भीगे पदार्थ से ढककर जार अपने ऑफिस के सिंक में छोड़ दिया था। यह जार कई महीनों तक वैसा ही पड़ा रहा। जब वे लौटे तो उन्होंने पाया कि जार पर एक गहरे रंग के पदार्थ की परत चढ़ी है। उन्हें लगा कि यह माक्रोब्स की वजह से हो सकता है। इसलिए उन्होंने इसकी व्यवस्थित तरीके से जांच करने का फैसला किया। डॉ जैरेड ने पाया कि जो जार पर काली परत वास्तव में ऑक्सीकृत मैंगनीज है जो एक नए बैक्टीरिया की वजह से बनी है जो नल के पानी में मिल सकता है।