कई देशों को वक्त पर नहीं मिल पाएगा भारत में बना टीका, अब वैक्सीन डिप्लोमेसी का क्या होगा

भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने ब्राज़ील, मोरक्को और सऊदी अरब से कहा, वक़्त पर नहीं दे पाएँगे वैक्सीन, जबकि कंपनी पहले ही ले चुकी है पैसे, क्या इससे मोदी की वैक्सीन डिप्लोमेसी को झटका नहीं लगेगा

Updated: Mar 21, 2021, 05:00 AM IST

Photo Courtesy: India TV
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नई दिल्ली। क्या प्रधानमंत्री मोदी की जिस वैक्सीन डिप्लोमेसी की उनके समर्थक तारीफ़ करते नहीं थकते, उसे झटका लगने वाला है? यह सवाल इसलिए क्योंकि भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इन देशों से कहा है कि उन्हें वैक्सीन की सप्लाई तय समय पर नहीं हो पाएगी। जबकि यह देश काफ़ी पहले ही कंपनी को वैक्सीन के लिए एडवांस पैसे भी दे चुके हैं। कंपनी ने इन देशों को यह भी नहीं बताया है कि वैक्सीन भेजने में कितनी देर होगी। सीरम इंस्टीट्यूट ऑक्सफ़ोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड का भारत में प्रोडक्शन करती है।

पिछले कुछ अरसे के दौरान भारत ने दुनिया के कई देशों को कोरोना का टीका मुहैया करवाकर वैक्सीन डिप्लोमेसी के नाम पर काफी वाहवाही लूटी थी। लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के चीफ अदार पूनावाला ने ब्राजील, मोरक्को और सऊदी अरब को चिट्ठी लिखकर यह बताया है कि वैक्सीन भेजने में अनिश्चितकालीन देरी हो सकती है। 

कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में दूसरे नंबर पर मौजूद ब्राजील ने वैक्सीन की 2 करोड़ खुराकों का ऑर्डर दिया था। इसमें से 40 लाख खुराकें ही अभी तक ब्राजील को भेजी गई हैं। इसके अलावा मोरक्को ने बीते साल अगस्त में ही 2 करोड़ वैक्सीन खरीदने का समझौता किया था लेकिन अभी तक उसे भी 70 लाख वैक्सीन ही मिली हैं। वहीं, सऊदी अरब ने भी 2 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया था जिसमें से उसे 30 लाख वैक्सीन की आपूर्ति की जा चुकी है।

SII के प्रमुख अदार पूनावाला ने चिट्ठी में लिखा है कि हाल ही में उनकी एक इमारत में आग लगे की वजह से वैक्सीन उत्पादन में दिक्कतें आ रही हैं। इस वजह से आने वाले महीनों में आपूर्ति किए जाने की गारंटी नहीं दी जा सकती है। पूनावाला की यह दलील हैरान करने वाली है, क्योंकि जनवरी में जब SII की इमारत में आग लगी थी तब खुद अदार पूनावाला ने कहा था कि आग से कोरोना वैक्सीन के उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि आग एक बन रही इमारत में लगी थी। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'आग का कोविशील्ड वैक्सीन के उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा और न ही मौजूदा स्टॉक को कोई नुकसान हुआ है।'

ऐसे में जिन देशों ने वैक्सीन खरीदने के लिए पहले ही पैसे चुका दिए हैं, उन्हें समय से वैक्सीन न मिलने से भारत की छवि को नुकसान हो सकता है। डिप्लोमैटिक सूत्रों का भी कहना है कि यह एक राजनीतिक समस्या का रूप ले सकती है।

ब्राजील में हर दिन कोरोना से औसतन 3 हजार लोगों की जान जा रही है। ब्राजील ने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए चीन से भी कोरोना वैक्सीन की 40 लाख खुराकें ली हैं। ब्राजील का अपना टीका भी मई के आसपास बनना शुरू हो जाएगा। मोरक्को ने अपने देश के लोगों को SII का कोविशील्ड टीका देने का फैसला किया था लेकिन अब खाली हाथ रह जाने से उसे अपना टीकाकरण अभियान रोकना पड़ेगा। भारत के अहम रणनीतिक सहयोगी सऊदी अरब को भी 30 लाख खुराकें ही मिल सकी हैं और अगली खेप की आपूर्ति के बारे में कोई जानकारी तक नहीं है। सऊदी अरब में करीब 20 लाख भारतीय रहते हैं। 

हालांकि यह भी साफ है कि भारत को खुद एक बड़ी आबादी का टीकाकरण करना है। फरवरी नें पूनावाला ने ट्वीट किया था कि SII को भारत सरकार ने देश की मांग को प्रमुखता देने के लिए कहा है, इसलिए दूसरों को इंतजार करना पड़ेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सरकार से कहा है कि उसे देश के लोगों को वैक्सीन लगाने को प्राथमिकता देनी चाहिए।