Coronavirus Pandemic : भुखमरी से हर दिन मर सकते हैं 12 हजार लोग

कोरोना वायरस उन करोड़ों लोगों के लिए अंतिम धक्का होगा, जो पहले से ही तमाम तरह के आर्थिक-सामाजिक शोषण से जूझ रहे हैं।

Publish: Jul 13, 2020, 06:14 AM IST

courtesy : world vision
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कोरोना वायरस से उपजी आर्थिक तंगहाली और भुखमरी से इस साल के आखिर तक हर दिन 12 हजार लोगों की मौत हो सकती है और लगभग 12 करोड़ लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच सकते हैं। यह आशंका एक चैरिटी संस्था ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने व्यक्त की है। ऑक्सफैम स्टडी के अनुसार जैसे जैसे कोरोना का कहर बढ़ेगा, दुनिया के गरीब मुल्कों के लोगों पर इसका असर गहरा होता जाएगा। इथीयोपियो सहित दुनिया के दस गरीब मुल्कों में लगभग 12 करोड़ लोग भूख से मरने की कगार पर आ सकते हैं।

संस्था का कहना है कि बड़ी संख्या में बेरोजगारी और लॉकडाउन की वजह से खाद्यान्न उत्पादकों को होने वाली  परेशानी से भुखमरी बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। मौत का यह आंकड़ा हर दिन बीमारी से मरने वालों के आंकड़े से ज्यादा होगा। संस्था ने कहा कि शुरुआत तो में ये मौतें पहले ही प्रभावित देशों जैसे यमन, कांगो, इथियोपिया, सूडान, अफगानिस्तान जैसे देशों में ही होंगी, लेकिन जल्द ही भारत और ब्राजील जैसे विकासशील देश भी इससे अछूते नहीं रहेंगे।

ऑक्सफैम ने यह रिपोर्ट ‘द हंगर वायरस’ नाम के शीर्षक से प्रकाशित की है। संस्था का कहना है कि ऐसा उस ग्रह पर होगा, जो अपने रहवासियों के लिए जरूरत से ज्यादा खाद्यान्न उत्पन्न करता है। संस्था का कहना है कि ऐसा इसलिए होगा क्योंकि क्योंकि कुछ खाद्यान्न कंपनियां अपने मुनाफे के लिए खाद्य पदार्थों का सस्ता और समान बंटवारा नहीं होने देंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई खाद्यान्न कंपनियां कोरोना वायरस से उपजी भय और अनिश्चितता की परिस्थितियों का फायदा उठाकर महंगे दामों में खाद्य पदार्थ बेच रही हैं और इसके लिए उन्होंने बाजार में एक प्रकार की कृत्रिम कमी भी पैदा की है।

बुर्कीना फासो के एक दुग्ध उत्पादक कडीडिया डियल्लो ने मीडिया संस्थान कॉमन ड्रीम्स को बताया, “हम दूध बेचने के लिए पूरी तरह से बाजार पर निर्भर हैं। बाजार के बंद हो जाने से हम दूध नहीं बेच पा रहे हैं। अगर हम दूध नहीं बेचेंगे तो हमें भूखे रहना पड़ेगा।”

रिपोर्ट में  रेखांकित किया गया है, “कोविड 19 उन करोड़ों लोगों के लिए आखिरी धक्का होगा जो पहले से ही संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, असमानता और एक ऐसी टूटी हुई खाद्य व्यवस्था के प्रभावों से जूझ रहे हैं, जो पहले ही लाखों खाद्यान्न उत्पादकों और कामगारों को निर्धन बना चुकी है।”

इस पूरी परिस्थिति से निपटने के लिए संस्था ने सरकारों से एक तरफ वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने और दूसरी तरफ लोगों को भूख से ना मरने देने के लिए कुछ कदम उठाने की भी सलाह दी है।

रिपोर्ट में अमीर देशों से अपील की गई है कि वे गरीब देशों के कर्ज रद्द कर दें ताकि उन देशों में सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा की योजनाएं शुरू की जा सकें। अमीर देशों से यह भी अपील की गई है कि वे संयुक्त राष्ट्र को अनुदान दें ताकि जरूरी जगहों पर जरूरी चीजें समय पर पहुंचाई जा सकें।

सरकारों से अपील की गई है कि वे इस तरह की खाद्यान्न व्यवस्था का निर्माण करें जो खाद्य उत्पादकों और मजदूरों के हित में हो ना कि बड़ी कंपनियों और कृषि व्यवसायियों के हित में।