Donald Trump: कोरोना से जूझते ट्रंप की सेहत पर अटकलें जारी, चुनाव से पहले उन्हें कुछ हो गया तो क्या होगा

US Election: अमेरिकी संविधान में ऐसे हालात के लिए मौजूद हैं प्रावधान, कोविड 19 के हाई रिस्क ग्रुप में आते हैं 74 साल के ट्रंप

Updated: Oct 06, 2020, 01:41 AM IST

Photo Courtesy: Indian Express
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नई दिल्ली। कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का देश के एक मिलिट्री हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है ट्रंप के ऑक्सीजन लेवल में दो बार गिरावट आने के बाद भी उनकी हालत में सुधार हो रहा है। डाक्टरों ने बताया है कि राष्ट्रपति ट्रंप को डेक्सामेथासोन का डोज दिया गया है। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप को डेक्सामेथासोन का डोज दिए जाने का मतलब है कि स्थिति गंभीर है क्योंकि डेक्सामेथासोन का डोज उन्हीं कोरोना मरीजों को दिया जाता है, जिनकी हालत गंभीर होती है। हालांकि, ट्रंप ने आज अपने समर्थकों को लिए अस्पताल के बाहर कार से चक्कर लगाया, लेकिन उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है। 74 साल के ट्रंप कोविड 19 के हाई रिस्क ग्रुप में आते हैं। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव के एक महीने पहले ट्रंप के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने से एक बड़ी अनिश्चितता पैदा हो गई है। 

अमेरिकी संविधान का 25वां संशोधन

अमेरिकी संविधान में राष्ट्रपति के मर जाने या किन्हीं और वजहों से कार्यभार ना संभाल पाने की स्थिति में विकल्प दिए गए हैं। इस संबंध में अमेरिकी संविधान का 25वां संशोधन प्रकाश में आता है। यह संशोधन 1963 में राष्ट्रपति जेएफ केनेडी की हत्या के बाद किया गया था। इसके तहत अमेरिकी राष्ट्रपति की हत्या या मौत हो जाने के बाद अमेरिका का उप-राष्ट्रपति कार्यभार संभालेगा। 

इस संशोधन के सेक्सन तीन के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति चाहे तो अपनी मर्जी से कार्यभार अपने डेपुटी को ट्रांसफर कर सकता है। इसके लिए उसे सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रजेंजेटिव को सूचित करना होगा। इस सेक्सन का सबसे पहला प्रयोग 13 जुलाई 1985 को राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने किया था। उस दिन उनकी एक सर्जरी होनी थी और करीब 8 घंटे के लिए रीगन ने अपनी शक्ति तत्कालीन अमेरिकी उपराष्ट्रपति एच डब्ल्यू बुश को ट्रांसफर कर दी थी। 

इसी 25वें संशोधन का सेक्सन चार अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा अपना कार्यभार ना संभाल पाने की स्थिति की बात करता है। यह सेक्सन कहता है कि ऐसी स्थिति में अमेरिकी राष्ट्रपति को उसके पद से हटाया जाना चाहिए। इसके लिए उप राष्ट्रपति का अमेरिकी कैबिनेट के बहुमत के साथ सहमत होना जरूरी है। हालांकि, अगर इस बीच राष्ट्रपति अगर लिखित रूप में यह कहता है कि वह कार्यभार संभालने के लिए पूरी तरह से योग्य है, तब अमेरिकी कांग्रेस इस विवाद का निपटारा करेगी। अगर सीनेट और हाउस दो तिहाई बहुमत के साथ इस बात को लेकर सहमत हो जाते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यभार संभालने के काबिल नहीं है तब उप राष्ट्रपति ही वह भूमिका निभाएगा।

चुनाव के दौरान उम्मीदवार का बदलाव

हालांकि, चुनाव के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति की मौत हो जाने या उसकी हालत बिगड़ जाने की स्थिति पहले कभी उत्पन्न नहीं हुई है। हालांकि, इस संबंध में भी कुछ नियम और कानून मौजूद हैं। आगामी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। यदि उनकी मौत हो जाती है या फिर वे चुनाव लड़ने के काबिल नहीं रहते, तो ऐसी स्थिति में पार्टी उनकी जगह किसी और उम्मीदवार को खड़ा कर सकती है। हालांकि, चुनाव के एक महीने पहले ऐसा होना असंभव माना जा रहा है। दूसरी तरफ बैलट पर ट्रंप का नाम भी अंकित हो चुका है। 

दरअसल, कोरोना वायरस की अभूतपूर्व परिस्थियों को देखते हुए करीब 30 लाख अमेरिकी वोटर पोस्टल वोटिंग के जरिए पहले ही वोट कर चुके हैं। अमेरिका में चुनाव व्यवस्था पेचीदगी से भरी है। यहां ज्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार से ज्यादा ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज जीतने वाले को विजेता माना जाता है। इलेक्टोरल कॉलेज की गिनती हर राज्य में चुने गए इलेक्टोरल प्रतिनिधियों द्वारा डाले गए वोट के आधार पर होती है। अब अगर 30 लाख अमेरिकी वोट डाल चुके हैं, तो ऐसे में इलेक्टोरल प्रतिनिधियों को ट्रंप के खाते में इलेक्टोरल कॉलेज का वोट डालना ही पड़ेगा, भले ट्रंप की आगे मौत हो जाए। 

हालांकि, अमेरिका के कुछ राज्यों में अविश्वास वाले इलेक्टोरल प्रतिनिधियों की भी व्यवस्था है। ये प्रतनिधि जनता द्वारा डाले गए वोट को किनारे करते हुए अपने मन से किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाल सकते हैं। यह व्यवस्था केवल 17 राज्यों में है। हालांकि, ये राज्य ऐसा होने पर इलेक्टोरल प्रतिनिधियों पर फाइन लगा सकते हैं। बाकी के 33 राज्यों और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में इलेक्टोरल प्रतिनिधियों को उस उम्मीदवार के समर्थन में ही वोट डालना होता है, जिसे पॉपुलर वोट ज्यादा मिलता है। दो राज्यों नेब्रास्का और माइन में पॉपुलर वोट जीतने वाले उम्मीदवार को ही सारे इलेक्टोरल कॉलेज मिलते हैं।