हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस की निगरानी में हो परिवहन घोटाले की जांच, भोपाल कैश कांड पर बोले दिग्विजय सिंह

सौरभ शर्मा नाम के जिस पूर्व आरक्षक पर इस करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है। उसे सागर निवासी पूर्व परिवहन मंत्री का सीधा संरक्षण प्राप्त था: दिग्विजय सिंह

Updated: Dec 25, 2024, 04:05 PM IST

भोपाल। भोपाल के मेंडोरी के जंगल में बीते दिनों एक कार से 52 किलो सोना मिला। इसके अलावा, 11 करोड़ रुपए कैश भी बरामद हुए हैं। साथ ही परिवहन घोटाले के आरोपी कॉन्स्टेबल के घर से दो क्विंटल चांदी की सिल्लियां बरामद हुई। इस हाई प्रोफाइल मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। पूर्व सीएम ने इस मामले में पीएम मोदी को भी चिट्ठी लिखकर PMLA के तहत एक्शन लेने की मांग की है।

पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में पकड़ाये इस ‘‘परिवहन घोटाले कांड’’ की गूंज पूरे देश में हो रही है। लगभग 20 वर्षो से भाजपा शासित मध्य प्रेदश के परिवहन विभाग में काम करने वाले पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा के यहां 19 दिसम्बर 2024 को 3 करोड़ रूपयें नकद और 200 किलो चांदी की सिल्लियों के साथ बेनामी सम्पत्तियों के अनेक दस्तावेज मिले हैं। इसी व्यक्ति के साथी के पास जब्त कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ नकद मिले हैं। यह भी जानकारी मिली है कि आयकर विभाग ने एक ऐसी डायरी जब्त की है जिसमें अधिकारी, नेता और व्यापारियों के नाम हैं। लोगों में चर्चा है कि पूर्व परिवहन मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री के यहां परिवहन घोटाले का कितना माल पहुँचा होगा। 

सिंह ने कहा कि पूरे प्रदेश को अचंभित कर झंझकोर कर रख देने वाले ‘‘परिवहन घोटाले कांड’’ को उजागर करने वाली आयकर विभाग और मध्यप्रदेश लोकायुक्त का दल बधाई का हकदार है। जिसने ‘‘मध्यप्रदेश के ज्ञात इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’’ पकड़कर भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले राज्य सरकार की कथनी और करनी को बेनकाब कर दिया है। सौरभ शर्मा नाम के जिस पूर्व आरक्षक पर इस करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है। उसे सागर निवासी पूर्व परिवहन मंत्री का सीधा संरक्षण प्राप्त था। मुझे जानकारी मिली है कि सौरभ शर्मा पूर्व परिवहन मंत्री के परिवार के सदस्य की तरह बंगले पर बैठता था, जहां वकील साहब के नाम से मशहूर संजय श्रीवास्तव के साथ बैठकर पूरे प्रदेश में परिवहन विभाग के करोड़ों रूपये के लेन-देन का हिसाब किताब रखता था। 

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सौरभ शर्मा की संपत्ति है या किसी और की है ये भी जांच का विषय है। मेरे पास जो सूचना आ रही है, उसमें ये भी है कि पुलिस प्रशासन ने उसे दबाने का पूरा प्रयास किया। इसमें इनकम टैक्स बीच में नहीं आता तो लोकायुक्त द्वारा भी जब्ती नहीं की जाती। भाजपा सरकार ने सारे नियमों को दरकिनार कर सौरभ शर्मा को परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर नौकरी दी थी। छोटी सी सेवा अवधि के दौरान सौरभ शर्मा पर भ्रष्टाचार की अनेक शिकायतें शीर्ष स्तर पर की गई थी। पूर्व परिवहन मंत्री के लिये उगाही करने वाले सौरभ शर्मा की शिकायतों की जांच कराने की जगह विभागीय मंत्री के दबाव में विभाग ने उसका इस्तीफा स्वीकार कर कार्यमुक्त कर दिया। परिवहन आरक्षक की वर्दी से मुक्ति पाने के बाद इस पूर्व आरक्षक ने मंत्री के खुले संरक्षण में रहकर मध्यप्रदेश में करोड़ों रूपये प्रति माह की कमाई कराने वाले खवासा, चिरूला, मुलताई, खुरई, पढोरा जैसे चेक पोस्ट ठेके पर ले लिये। 

सिंह ने आगे कहा कि परिवहन मंत्री के चहेते और कमाऊ पूत बने सौरभ शर्मा ने संजय श्रीवास्तव, आर.टी.आई. वीरेश तुमराम, पूर्व आर.टी.आई. दशरथ सिंह पटेल के साथ मिलकर पूरे प्रदेश में संचालित आर.टी.ओ. बेरियर पर वसूली का ठेका ले लिया। ये वसूली गैंग मंत्री के सीधे नियंत्रण में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग कराया करते थे। इनके विश्वासपात्र प्रायवेट कटर चेकपोस्ट पर उगाही करके हिसाब अपने आकाओं तक पहुँचाया करते थे

सिंह ने प्रेस वार्ता में इस पूरे घोटाले का बैकग्राउंड बताते हुए कहा कि जब कमलनाथ सरकार आई थी तब इतना कमलनाथ जी पर दबाव था की परिवहन और राजस्व विभाग गोविंद सिंह राजपूत को दिया जाएं? ये दबाव क्यों था ये सिंधिया जी बताएंगे... लेकिन दबाव जरूर था। परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का माहौल रहता है इसलिए कमलनाथ ने एक बोर्ड गठित किया था। लेकिन जैसे ही सरकार गिरी और शिवराज सीएम बने सिंधिया ने दबाव डालकर बोर्ड भंग करा दिया और पूरा अधिकार गोविंद राजपूत को सौंप दिया गया। उसके बाद एक नई प्रक्रिया शुरू हो गई। ठेका प्रणाली शुरू हो गई और नाकों की बोली लगने लगी। सबसे ज्यादा वसूली करने वालों की नियुक्ति मंत्री के यहां से होती थी। ये काम शौरभ शर्मा करता था। 

सिंह ने कहा कि यदि इनकम टैक्स ऑथोरिटी थूक से जांच करे तो मनी ट्रेल पता चलेगा और इसमें संलिप्त लोगों की PMLA के तहत गिरफ्तारी होना चाहिए। उन्होंने सीहोर में आत्महत्या को मजबूर होने वाले परमार दंपत्ति का जिक्र करते हुए कहा कि मनोज परमार के यहां ED पहुंच गई लेकिन करोड़ों कैश मिलने के बाद भी क्या ईडी संज्ञान में नहीं लेगा? मेरी मांग यही है PM से की वह न खाऊंगा न खाने दूंगा कहते थे। ऐसे में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के निगरानी में इसकी जांच होना चाहिए। वरना मामला दबा दिया जाएगा।

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सिंह ने कहा कि सौरभ शर्मा आजकल दुबई में है, वहां पूछा नहीं जाता कि कहां का पैसा कहां लगता है। दुबई इन्वेस्टमेंट का प्रमुख केंद्र बन गया है। मेरी मांग है कि PMLA में जांच होना चाहिए और पता लगाना चाहिए कि पैसा किसका है, कहां से आया, कहां गया? सिंह ने कहा कि पूर्व परिवहन मंत्री के खासमखास आरोपियों को गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ की जाये तो मनी लांड्रिंग की पूरी चेन सामने आ जायेगी। प्रवर्तन निदेशालय को इस मामलें में धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money-Laundering Act) के तहत सभी आरोपियों पर मामला दर्ज कर परिवहन कांड में लिप्त गैंग से सघन जांच पड़ताल करनी चाहिये। जिसके तार शीर्ष नौकरशाहों से होकर पूर्व परिवहन मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री तक जुड़ें मिलेंगे।