हाईकोर्ट की अवमानना के आरोप में दो IAS अधिकारियों को 7 दिन की सजा, कोर्ट रूम से ही उठा ले गई पुलिस

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कोर्ट की अवहेलना मामले में छतरपुर के पूर्व कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ को सात-सात दिन की सजा सुनाई है। साथ ही पचास-पचास हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

Publish: Aug 18, 2023, 07:27 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले में दो IAS अधिकारियों को सात सात दिन की सजा सुनाई है। साथ ही पचास-पचास हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि आप अधिकारी हैं राजा नहीं। इसी के साथ कोर्ट रूम से ही दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया गया।

उच्च न्यायालय से सजा पाने वालों में छतरपुर के पूर्व कलेक्टर शीलेंद्र सिंह और जिला पंचायत के सीईओ अमर बहादुर सिंह शामिल हैं। कोर्ट के इस फैसले से ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप की स्थिति है। सरकार की ओर से चीफ जस्टिस के सामने दोनों अधिकारियों की जमानत के लिए तुरंत अर्जी लगा दी गई। हालांकि, देर शाम तन उन्हें जमानत नहीं मिली।

दरअसल, पूरा मामला स्वच्छता मिशन के तहत संविदा आधार पर छतरपुर में नियुक्त की गई जिला समन्वयक रचना द्विवेदी के नियम विरुद्ध स्थानांतरण का है। जिला समन्वयक रचना द्विवेदी का पहले तो नियम विरुद्ध तरीके से दोनों अधिकारियों ने तबादला कर दिया था। इसके बाद जब उस आदेश के विरुद्ध रचना द्विवेदी हाई कोर्ट का स्टे लेकर पहुंची तो उस आदेश को न मानते हुए अधिकारियों ने वापस जॉइनिंग नहीं दी।

इतना ही नहीं अधिकारियों ने जिला समन्वयक रचना द्विवेदी को सेवा भी बर्खास्त कर दिया। अधिकारियों के इस रवैया के खिलाफ साल 2021 में रचना द्विवेदी हाईकोर्ट पहुंची और अवमानना याचिका को दायर करते हुए दोनों ही अधिकारियों के विरुद्ध एक लंबा मुकदमा लड़ा। हाईकोर्ट ने रचना द्विवेदी का टर्मिनेशन पर भी स्टे दे दिया।

टर्मिनेशन पर स्टे मिलने के बाद याचिकाकर्ता रचना द्विवेदी लगातार जिला पंचायत सीईओ अमर बहादुर सिंह और कलेक्टर शिलेन्द्र सिंह के ऑफिस के चक्कर काटते हुए बार-बार आवेदन देते हुए बताया कि हाईकोर्ट से स्टे है और उसे ज्वाइन करवाया जाए। इसके बावजूद दोनों ही अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए उसे ज्वाइन नहीं करवाया। 

2 अगस्त 2023 को एक बार पुनः हाईकोर्ट में रचना द्विवेदी केस की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि दोनों ही अधिकारी लगातार हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। कोर्ट ने सजा के प्रश्न पर भी सुनवाई की और कहा कि याचिकाकर्ता की जितनी भी सैलरी बन रही है उसे मिलनी चाहिए क्योंकि वह सेवा देने को तैयार थी पर सरकार उसकी सेवा नहीं ले रही थी। इसके बाद 18 अगस्त को न्यायालय ने आरोपी अधिकारियों के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए सात दिन कैद का सजा सुनाया। माना जा रहा है कि न्यायालय के इस फैसले के बाद अब अधिकारी कोर्ट की अवमानना करने से पहले कई बार सोचेंगे।