MP में नहीं थम रहा आदिवासियों के साथ अत्याचार, पद्मश्री जोधइया बाई बैगा के परिजनों को दबंगों ने पीटा

प्रधानमंत्री से फरियाद करने के बाद पदम श्री जोधइया बाई बैगा को आवास की स्वीकृति प्राप्त हुई है, लेकिन कुछ दबंग उन्हें निर्माण करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

Updated: Jul 05, 2023, 03:20 PM IST

उमरिया। भाजपा शासित मध्य प्रदेश में आदिवासियों के साथ अत्याचार कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं। दुनियाभर में प्रदेश का नाम रौशन करने वाली पद्मश्री जोधइया बाई बैगा भी यहां सुरक्षित नहीं हैं। हाल ही में भूमाफियाओं ने न केवल पद्मश्री जोधइया बाई बैगा के साथ बदसलूकी की बल्कि उनके परिजनों के साथ भी मारपीट की।

दरअसल, पदमश्री जोधइया बाई बैगा के पास अपना आवास नहीं है। प्रधानमंत्री से फरियाद करने के बाद पदमश्री जोधइया बाई बैगा को आवास की स्वीकृति प्राप्त हुई है, लेकिन कुछ दबंग उन्हें निर्माण करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। जिस जमीन पर जोधइया बैगा का आवास बन रहा है उसे अपना बताते हुए कुछ लोगों ने जो जोधइया बाई बैगा के साथ गाली गलौज की और उनके परिजनों के साथ मारपीट भी की। 

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उमरिया एसडीओपी नागेंद्र सिंह ने बताया कि बीते 26 जून को जोधइया बाई बैगा ने जिला कलेक्टर केडी त्रिपाठी और एसपी प्रमोद सिंहा से शिकायत की थी। शिकायत के आधार पर कोतवाली पुलिस स्टेशन में आरोपी जितेंद्र सोलंकी, मृगेंद्र सोलंकी, कबाड़ी यादव और पुनउ यादव के विरुद्ध आईपीसी की धारा 323, 294 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था जो अब बेल पर बाहर हैं।

जोधइया बाई बैगा ने अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताई है साथ ही राज्य सरकार से सुरक्षा भी मांगी है। उन्होंने कहा, 'वह जमीन सरकार की है और प्रशासन द्वारा मुझे प्रदान की गई थी, लेकिन आरोपी दावा कर रहे हैं कि यह उनकी है। मेरे पोते को उन्होंने पीटा था। उन्होंने मुझे भी गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है।'

बता दें कि राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री सम्मान लेते वक्त
जोधइया बाई बैगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आवासहीन होने की व्यथा सुनाई थी। जिसके बाद प्रशासनिक मदद से उन्हें लोरहा स्थित शासकीय भूमि में आवास निर्माण की स्वीकृति दी गई। हालांकि, इस जमीन पर स्थानीय दबंगों की कुदृष्टि है और वे नहीं चाहते कि यहां जोधइया बाई का मकान बने। इसलिए वह उन्हें लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं।

कौन हैं जोधइया बाई बैगा

93 वर्षीय जोधइया बाई उमरिया के एक छोटे से गांव लोहरा की रहने वाली हैं। वे बैगिन पेंटिंग को पुनर्जीवित कर रही हैं। बैगाओं के घरों की दीवारों को सुशोभित करने वाले बड़ेदेव और बाघासुर की छवियां कम होता देखकर जोधइया बाई ने आधुनिक रंगों से कैनवास और ड्राइंग शीट पर उसी कला को उकेरना शुरू किया। इसके बाद तो बैगा जनजाति की यह कला एक बार फिर जीवंत हो उठी। उनके चित्रों में पुरानी भारतीय परंपरा के अनुसार देवलोक भगवान शिव और बाघ की अवधारणा देखी जा सकती है।

जोधइया बाई बैगा के चित्र पेरिस और मिलान देशों में भी प्रदर्शित हो चुके हैं। इटली, फ्रांस में आयोजित आर्ट गैलरी में उनके द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को दिखाया गया है। जापान, इंग्लैंड, अमेरिका सहित कई अन्य देशों में भी उनकी पेंटिंग प्रदर्शित की गई हैं। जोधइया बाई के नाम पर जनजातीय संग्रहालय भोपाल में एक स्थायी दीवार बनाई गई है, जिस पर उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग लगाई गई हैं। जोधइया बाई भले ही आज दुनिया भर में प्रदेश का नाम रौशन कर रही हों, उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है, लेकिन उनका जीवन आज भी दुखों से भरा है। स्थानीय दबंगों द्वारा उन्हें आज भी प्रताड़ित किया जा रहा है।