Bhopal: कचरे के ढेर से नहीं भोपाल के पहले गोल्फकोर्स से होगी भानपुर खंती की पहचान

भोपाल की भानपुर खंती का होगा कायाकल्प, 12 एकड़ में विकसित किया जा रहा राजधानी का पहला गोल्फ कोर्स, कचरे का साइंटिफिक क्लोजर वर्क अपने आखिरी दौर में पहुंचा

Updated: Dec 10, 2020, 01:00 AM IST

Photo Courtesy: news 18
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भोपाल। कचरा डंपिंग केंद्र भानपुर खंती का कायाकल्प किया जा रहा है। यहां 2018 में शुरू हुआ साइंटिफिक क्लोजर वर्क अब अपने आखिरी दौर में पहुंच चुका है। 36 एकड़ में फैली भानपुर खंती के 12 एकड़ में भोपाल का पहला गोल्फ कोर्स बनाने का फैसला लिया गया है। 

भोपाल नगर निगम खुद इस गोल्फ कोर्स का निर्माण करेगा। भानपुर खंती के 36 एकड़ क्षेत्रफल में 18 लाख मीट्रिक टन कचरा डंप था। जिसे बायो रेमिडिएशन तकनीक से कंपोस्ट खाद में तब्दील कर 16 एकड़ दायरे में सीमित कर दिया गया है। अब यहां कचरों के टीलों की हाइट 20 से 25 मीटर रह गई है। इन कचरों के टीलों को मिट्टी की मोटी परतों से ढंका जा रहा है। उस पर हरियाली विकसित की जा रही है।

भानपुर खंती की बाकी बची 20 एकड़ जमीन को ग्रीन फील्ड में बदलने की तैयारी है। इसी जमीन के 12 एकड़ भाग में गोल्फ कोर्स बनेगा। नगर निगम भानपुर खंती में हरी इंग्लिश ग्रास लगाकर खूबसूरत पार्क और गोल्फ कोर्स बना रहा है। आपको बता दें कि इस खंती में 18 लाख मीट्रिक टन कचरा डंप था। जिसकी वजह से यहां के करीब दो किलोमीटर के इलाके में प्रदूषण फैल रहा था। दूषित पानी पीने से यहां के लोगों को कैंसर, चर्म रोग, नेत्र रोग जैसी बीमारियां परेशान करने लगी थीं।

एनजीटी के आदेश के बाद सूरत की कंपनी सौराष्ट्र इनवायरो प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड 23 जनवरी 2018 से यहां कचरे का साइंटिफिक क्लोजर कर रही थी। कंपनी ने 36 एकड़ में डंप 18 लाख मीट्रिक टन कचरे के 80 प्रतिशत हिस्से को कंपोस्ट खाद में बदल दिया है। इस कचरा निष्पादन में करीब 52 करोड़ की लागत आई है। रोजाना करीब 450 से 500 टन कचरे का निष्पादन हो रहा है। कचरे के ढेर के लिए बदनाम भानपुर खंती का कायाकल्प होने के बाद अब यहां खिलाड़ियों की चहलकदमी होगी, गोल्फ के मैच हुआ करेंगे। नगर निगम भोपाल ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है।

कचरे के साइंटिफिक क्लोजर के लिए लबीं प्रोसेस अपनाई गई। पहले कचरे को सुखाया, फिर उनमें से प्लास्टिक और अन्य कचरे को अलग-अलग किया गया। प्लास्टिक और पालीथिन के बड़े-बड़े ब्रिक्स बनाए गए। इन ब्रिक्स को जबलपुर के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट भेजा गया। वहीं अन्य कचरे से रोजाना करीब 150 टन जैविक खाद तैयार की गई। यहां बनी जैविक खाद फ्री में बांटी जा रही है। इस जैविक खाद का उपयोग नगर निगम, वन विभाग, उद्यानिकी विभाग के अलावा भोपाल शहर के लोग भी कर रहे हैं।