जी भाईसाहब जी: अपने मित्रों से धोखा
MP Politics: यह कैसी राजनीति है कि सबसे लंबे समय तब मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को ही पार्टी ने भूला दिया है। उनके मित्रों के साथ भी धोखा हुआ है। सत्ता में बीजेपी की वापसी के लिए रातदिन एक करने वाले जन सेवा मित्र अब इस धोखे से आहत हो कर सड़क पर उतर आए हैं।
![तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ जन सेवा मित्र तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ जन सेवा मित्र](https://www.humsamvet.com/uploads/images/2024/02/image_600x460_65ddaa39848b0.jpg)
दिसंबर 2023 में किसी ने सोचा भी नहीं था कि तीन माह बाद ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी ही पार्टी के शासन में शक्तिहीन बन कर रह जाएंगे। वे विधायक तो हैं, लेकिन इतने ताकतवर नहीं हैं कि अपने ही वादों और घोषणाओं को पूरा करवा पाएं। शिवराज सिंह चौहान के यूं ‘असहाय’ होने का नुकसान युवा उठा रहे हैं। कभी शिवराज की योजनाओं के प्रसार में जुटने वाले जनसेवा मित्रों के साथ शिवराज की पार्टी के ही शासन में धोखा हुआ है। बीजेपी ने इन शिवराज के मित्रों के साथ दगा कर दिया है।
शिवराज सिंह चौहान सरकार ने विधानसभा चुनाव के पहले इंटर्नशिप योजना के तहत 52 जिलों में 9300 जन सेवा मित्र नियुक्त किए थे। इनसे वादा किया गया था कि नई सरकार बनने के बाद उन्हें स्थाई कर दिया जाएगा। लेकिन 31 जनवरी 2024 के बाद इन सभी को बेदखल कर दिया गया है। जन सेवा मित्रों का कहना है कि उन्होंने जी जान लगा कर सरकारी योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाया है। बीजेपी की जीत में उनकी भूमिका है लेकिन सरकार बनते ही पार्टी शिवराज के मित्रों को भूल गई है।
रोजगार छिनने से सड़क पर आ गए ये युवा अब भोपाल में धरने पर बैठे हैं। उनके लिए यह तकलीफदेह है कि पार्टी तो सत्ता में आई लेकिन उनके परिश्रम की अनदेखी की जा रही है। वादा भले ही शिवराज ने किया हो, पर मित्रता को पार्टी से निभाई और अब पार्टी को उनकी पीड़ा समझना चाहिए।
कांग्रेस से लाओ बूथ कार्यकर्ता, सकते में वफादार
लोकसभा चुनाव की तैयारियों को गति देने ग्वालियर आए गृहमंत्री अमित शाह ने ऐसा कुछ कह दिया कि बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस में चर्चा का कारण बन गया। करीब ढाई बजे तक चली 400 से ज्यादा पदाधिकारियों की बैठक में कांग्रेस के बूथ कार्यकर्ताओं को बीजेपी में लाने का लक्ष्य देते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेसियों के आने से घबराओ नहीं। आप लोग चिंता मत करो, हमारी पार्टी का हाजमा बहुत अच्छा है, सब कुछ पचाया जा सकता है। आप उनको जोड़ेंगे तो वे आपके अधिकार नहीं लेंगे। 15 सालों में आपको हम कुछ नहीं दे पाए तो कांग्रेस से आने वाले नेताओं को क्या मिलेगा। इसलिए आप चिंता न करें, आप एक पार्टी के ईमानदार नेता हैं और आपको पार्टी हमेशा आगे रखेगी।
अमित शाह को पता है कि कांग्रेस से आने वाले नेताओं को तवज्जो मिलने से बीजेपी के आस्थावान कार्यकर्ता और नेता स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। पार्टी में यह असंतोष अंदर ही अंदर गहरे तक खदबदा रहा है। कार्यकर्ता इस पीड़ा को उन्होंने चुटकी भरे अंदाज में हल्का करने का प्रयत्न जरूर किया लेकिन बीजेपी के वफादार कार्यकर्ता सकते में हैं। जितनी ज्यादा संख्या बढ़ेगी पद पाने के लिए तो लंबी कतार होगी, दूसरे दल से आए नेताओं से तालमेल बैठाने में भी दिक्कत आती है। वे असहज होते हैं जब उन नेताओं के पीछे चलना पड़ता है जिनकी अब तक आलोचना करते रहे हैं। लेकिन सत्ता के लिए संगठन का यह सूत्र भी मानने को मजबूर हैं।
न्याय यात्रा के बाद बनेगी पटवारी की कार्यकारिणी
मध्य प्रदेश कांग्रेस में में नए प्रदेश अध्यक्ष और नए प्रदेश प्रभारी कुंवर जितेंद्र भंवर सिंह की नियुक्ति के बाद ही 26 दिसंबर 2023 को प्रदेश कार्यकारिणी भंग कर दी गई थी। तब से नई कार्यकारिणी के गठन का इंतजार हे। इसबीच प्रदेश कांग्रेस मुख्य रूप से राहुल गांधी न्याय यात्रा के मध्य प्रदेश में आने और उसे सफल बनाने के प्रयासों में जुटी है। न्याय यात्रा तथा लोकसभा चुनाव की तैयारियो प्रभावित न हो इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने साफ कर दिया था कि आगामी आदेश तक जिलाध्यक्ष पहले की तरह काम करते रहेंगे।
कार्यकारिणी में नेताओं के शामिल होने पर कई तरह के कयास हैं। खासकर उन नेताओं का क्या होगा जिन्हें पिछली कार्यकारिणी में शामिल किया गया था। क्या जीतू पटवारी की टीम का चेहरा नया होगा या पुरानी टीम के साथ ही वे आगे बढ़ेंगे। समय-समय पर विभिन्न नेताओं ने संकेत दिए हैं कि जिन लोगों ने विधानसभा चुनाव में कड़ी मेहनत की है, उन लोगों को कार्यकारिणी में शामिल किया जाएगा।
कार्यकारिणी तो भंग कर दी गई लेकिन राहुल गांधी की यात्रा के पहले किसी भी तरह की नाराजगी से बचने के लिए ऐहतियातन नई कार्यकारिणी गठित नहीं की गई है। अब न्याय यात्रा के बाद जीतू पटवारी की टीम के गठन के आसार हैं। लोकसभा चुनाव के पहले टीम गठित कर जीतू पटवारी अधिक ताकत से मैदान में जुटना चाहेंगे। हालांकि, विपक्ष में होने के लाभ यह है कि प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी जंबो कार्यकारिणी बना कर न केवल सारे पहलू साध सकते हैं बल्कि नेताओं की नाराजगी की आशंका को न्यूनतम कर सकते हैं। इस तरह नई कार्यकारिणी न्याय यात्रा के प्रभाव को लोकसभा चुनाव तक बनाए रख सकती है।
नेता ढूंढने निकले उम्मीदवार
लोकसभा चुनाव है और हर दावेदार नेता इस उम्मीद में है कि बीजेपी में उसका टिकट पक्का है। इस उम्मीद की कई वजहें हैं। पहली तो यह कि संगठन ने अपने वर्तमान सांसदों को विधानसभा में भेज दिया है। इनके अलावा कुछ सांसदों का टिकट कटना पक्का है। टिकट पाने के लिए मैदानी कार्यकर्ता इसलिए उत्साह में हैं कि जैसे मुख्यमंत्री और राज्यसभा टिकट के लिए नेताओं की किस्मत खुली उनके सितारे भी चमक सकते हैं। जबकि बड़े नेता दिल्ली-भोपाल में समीकरण साध रहे हैं।
तमाम प्रयास कर रहे नेता ही नहीं राजनीतिक समझ रखने वाला हर व्यक्ति जानता है कि जिस तरह विधानसभा चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व के नियंत्रण में टिकट वितरण हुआ है लोकसभा के प्रत्याशी चयन में भी दिल्ली की ही मुख्य भूमिका होगी। इसके बाद भी बीजेपी ने अपने मंत्रियों और नेताओं को 29 लोकसभा क्षेत्रों में भेजा है। वे 26 और 27 फरवरी को कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर संगठन को कार्यकर्ताओं के पसंद के तीन नाम बताएंगे।
दिलचस्प होगा कि टिकट वितरण केंद्रीय संगठन के रणनीतिक पैमाने के अनुसार होगा या प्रत्याशी ढूंढने निकले मंत्रियों और नेताओं द्वारा की जा रही रायशुमारी के आधार पर लोकसभा के प्रत्याशी तय किए जाएंगे।