बुजुर्ग सासों ने लगाई लोटा रेस, बहुओं को दिया शौचालय प्रयोग करने का संदेश

भोपाल के फंदा गांव में बुजुर्ग सासों ने लगाई लोटा दौड़, घरों में बने शौचालय उपयोग का दिया संदेश, बहुओं ने किया फूल और मेडल से अपनी सास का सम्मान

Updated: Oct 13, 2021, 08:41 AM IST

Photo courtesy: Patrika
Photo courtesy: Patrika

भोपाल। जिले के फंदा ग्राम पंचायत में एक अनोखी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौड़ में महिलाएं लोटे में पानी लेकर दौड़ीं। इस दौड़ का मकसद खास था। इस रेस में शामिल सासें अपनी बहुओं को घर में बने शौचालय का उपयोग करने का संदेश देना चाहती थीं। दरअसल घरों में इज्जत घर याने शौचालय बनने के बाद भी कई घरों की बहुंए खुले में ही शौच जा रही थीं। जिसके बाद सासों ने उन्हें खुले में शौच नहीं जाने की सीख देने का बीड़ा उठाया। गांव की सासों ने खुले में शौच जाना छोड़ दिया  पर कई घरों की बहुएं शौचालय होने के बाद भी जंगलों की ओर जाती हैं।  

 

इन्हीं बहुओं को समझाने के लिए मंगलवार को फंदा गांव में 18 सासों ने लोटा लेकर दौड़ लगाई। सासों ने बहुओं और गांव की अन्य महिलाओं को बताया कि खुले में शौच जाने से उनके मान सम्मान को तो खतरा है ही, वहीं ये गंभीर बीमारियों को भी खुला आमंत्रण है। इस लोटा दौड़ में भाग लेने वाली ग्राणीण महिलाएं 50 से 60 साल उम्र की थीं। इस प्रतियोगिता की दर्शक उनकी बहुएं थीं। यह दौड़ 50 मीटर की थी, मंजिल तक पहुंचकर सासों को पानी से भरा लोटा फेंकना था। सासों ने बखूबी दौड़ लगाई। और संदेश दिया की उनकी बहुएं कभी भी खुले में शौच के लिए नहीं जाएं। वे घरों में बने शौचालय का उपयोग करें। सासों ने अपनी आप बीती बताते हुए कहा कि उनके यहां शौचालय नहीं होने की वजह से वे जंगलों और खेतों में शौच के लिए जाती रही हैं। लेकिन अब घर-घर शौचालय बन जाने से आराम हो गया है। किसी भी मौसम में दिन या रात मे शौच के लिए परेशान नहीं होना पड़ता।   

इस अनोखी लोटा दौड़ प्रतियोगिता की विजेताओं का सम्मान उनकी बहुओं द्वारा ही करवाया गया। पहले स्थान पर राधा प्रजापति, दूसरा स्थान मंजू और तीसरा स्थान अर्पिता प्रजापति ने हासिल किया। बहुओं ने विजेता सासों का स्वागत फूल माला और मेडल पहना कर किया। इस कार्यक्रम का आयोजन जिला पंचायत अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ। सास-बहू के बीच की नोकझोंक खत्म करने और दोनों में संवाद के लिए इस रेस का आइडिया आया था।

सासों की रेस उनके इस संकल्प को प्रदर्शित करने के लिए थी कि जो काम उन्होंने जिंदगी भर किया, अब वे अपनी बहुओं को ऐसा नहीं करने देंगी। भोपाल की 187 ग्राम पंचायतें खुले में शौच मुक्त हैं। फिर भी लोग घरों में बने शौचायलों का उपयोग नहीं करते, ऐसे में लोगों में स्वच्छता की अलख जगाने के लिए प्रयास किया जा रहा है।