सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मिले सीएम शिवराज, ओबीसी आरक्षण पर ली कानूनी सलाह
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, आज हम अपनी पूरी टीम के साथ विधिवेत्ताओं व विधि विशेषज्ञों से मिले, प्रमुख रूप से सॉलिसिटर जनरल साहब व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल साहब के साथ भी हम बैठे और सभी पक्षों पर चर्चा की
भोपाल। ओबीसी आरक्षण के बिना ही पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्य प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। विपक्ष सरकार पर हमलावर है और सरकार अपने बचाव में पुनर्विचार याचिका डालने की दलील दे रही है। अब इसी के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपना विदेश दौरा रद्द कर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से कानूनी सलाह जानने दिल्ली पहुंचे हैं, उनके साथ गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा व नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह भी मौजूद हैं।
भारतीय जनता पार्टी और भाजपा सरकार सदैव से यह प्रयास करती रही है कि समाज के हर वर्ग को न्याय दे; सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के साथ।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 11, 2022
इसलिए हमने सदैव प्रयास किया कि ओबीसी को भी उसका अधिकार मिले। pic.twitter.com/N7JbVWPUlB
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज हम अपनी पूरी टीम के साथ विधिवेत्ताओं व विधि विशेषज्ञों से मिले। प्रमुख रूप से सॉलिसिटर जनरल साहब व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल साहब के साथ भी हम बैठे और सभी पक्षों पर चर्चा की। चर्चा के बाद हमने यह फैसला किया है कि मोडिफिकेशन के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में फिर से जाएंगे, और जो तथ्य हैं, ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने के, वो एक बार फिर पूरी ताकत से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखेंगे। हमें विश्वास है कि ओबीसी को न्याय दिलाने में हम सफल होंगे।
आज शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट की बैठक में ओबीसी आरक्षण मामले पर सभी मंत्रियों को जानकारी देंगे।
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव के लिए 15 दिन के भीतर अधिसूचना जारी की जाए। मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने कहा कि दोनों चुनावों को लेकर आगामी 24 मई से पहले चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर दी जाएगी और किसी भी स्तिथि में जून में चुनाव करा दिए जाएंगे।
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वहीं कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने निकाय चुनाव में 27% टिकट पिछड़े वर्ग को देने की घोषणा की है।
अब ये मुद्दा पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव तक सीमित नहीं हैं। इस फैसले का असर आने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव पर भी होने के आसार हैं। आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है, अब देखना होगा कि राज्य का ओबीसी मतदाता किस दल के साथ सहमत होकर अपना मतदान करता है।