क्या MCU के प्रभारी कुलपति पाक साफ हैं

जबलपुर और बिलासपुर की उच्च अदालतों में चल रहे मुकदमे का हवाला देकर नियुक्ति रद्द करने और जंच की मांग

Publish: May 22, 2020, 11:06 PM IST

भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलपति की नियुक्ति सवालों के घेरे में आ गई है। प्रो. संजय द्विवेदी के खिलाफ कई मामलों में आर्थिक अनियमितता से जुड़ी शिकायतें की गई हैं। चंढ़ीगढ़ की चितकारा यूनीवर्सिटी में प्राध्यापक आशुतोष मिश्रा ने इस संबंध में देश के उप राष्ट्रपति से लेकर यूजीसी, मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक को मेल लिखा है। इस मेल में शिकायत की गई है कि प्रो द्विवेदी पर दो राज्यों, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की हाई कोर्टस में मुकदमा चल रहा है। इन दोनों अदालतों में प्रो द्विवेदी के खिलाफ कई सालों से फर्जीवाड़े और वित्तीय अनियमितता का केस है। ऐसे में सरकार उनके खिलाफ जांच कराए और प्रभारी कुलपति के पद पर उनकी नियुक्ति को रद्द करे। 

गौरतलब है कि माखनलाल विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर फर्जी नियुक्ति को लेकर 2015 में नवनियुक्त कार्यकारी कुलपति के ख़िलाफ़ केस दायर किया गया था। चितकारा विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में मीडिया कोर्सेज के डीन, डायरेक्टर आशुतोष मिश्रा ने इन शिकायतों को 

लिखते हुए कहा है कि 21 मई 2020 को प्रभारी कुलपति नियुक्त किए जाने से पहले भाजपा सरकार में दिसंबर 2018 तक प्रो. संजय द्विवेदी विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलसचिव भी थे। 2019 में नई सरकार बनने के बाद प्रोफेसर द्विवेदी के साथ-साथ विश्वविद्यालय के कुल 19 प्राध्यापकों की फर्जी नियुक्ति और वित्तीय अनियमितता के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 420 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इसकी जांच अभी भी चल रही है।

द्विवेदी की फर्जी नियुक्ति को लेकर दो केस

मिश्रा ने बताया कि माखनलाल विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर फर्जी नियुक्ति को लेकर 2015 में नवनियुक्त कार्यकारी कुलपति के ख़िलाफ़ केस दायर किया गया था। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में उनकी नियुक्ति को लेकर जबलपुर हाई कोर्ट केस क्रमांक  WP 12660 में मुकदमा पिछले पांच वर्षों से चल रहा है। तो वहीं संजय द्विवेदी के ख़िलाफ़ दायर किए गए इस मुकदमे के अलावा एक केस बिलासपुर हाई कोर्ट में भी पेंडिंग है।

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कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय की नियुक्ति भी फर्जी!

माखनलाल विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्त होने से पहले, 2005 में द्विवेदी की नियुक्ति कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय, रायपुर में रीडर के पद पर हुई थी। बिलासपुर हाई कोर्ट में भी संजय द्विवेदी की नियुक्ति के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया था। उसके बाद द्विवेदी ने कुशाभाऊ विश्वविद्यालय छोड़ दिया। ये दोनों ही मामले हाईकोर्ट में आशुतोष मिश्रा ने ही लगाए हैं।

पीएचडी में एनरोल मगर डिग्री पूरी नहीं की

आशुतोष मिश्रा ने संजय द्विवेदी की पीएचडी के ऊपर भी सवाल उठाए हैं। मिश्रा के मुताबिक संजय द्विवेदी सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर में पीएचडी डिग्री के लिए एनरोल तो हुए थे, लेकिन उन्होंने अपनी पीएचडी की डिग्री पूरी नहीं की। ऐसे में संजय द्विवेदी की डिग्री भी संदेहास्पद है। मिश्रा ने बताया कि जबलपुर हाई कोर्ट में द्विवेदी के ख़िलाफ़ दायर मुकदमे की सुनवाई पिछले महीने 1 अप्रैल 2020 को होनी थी, जो कि नहीं मिली। मिश्रा का आरोप है कि संजय द्विवेदी की नियुक्ति संघ के नजदीकी होने की वजह से हुई है। अगर इसे नजरअंदाज भी कर दिया जाए तो भी उनकी फर्जी नियुक्तियां और उनके द्वारा एकत्रित की गई फर्जी डिग्रियों को नजरअंदाज कैसे किया जा सकता है।