MP Congress: शिवराज चौहान ने भक्त ही नहीं, भगवान का भी किया अपमान
Shivraj Chauhan: मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने राम मंदिर के शिलान्यास के दौरान कमलनाथ के हनुमान चालीसा कार्यक्रम कराने पर कहा कमल नाथ भक्त नहीं दुष्ट हैं

भोपाल। रविवार को ग्वालियर में सदस्य्ता अभियान के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कमल नाथ को 'दुष्ट' की संज्ञा देने से प्रदेश की सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने शिवराज द्वारा कमल नाथ को दुष्ट बताने पर पलटवार करते हुए कहा है कि एक हनुमान भक्त को दुष्ट कहना भक्त का तो अपमान है ही साथ ही में यह उसके ईष्ट का भी अपमान है।
दरअसल रविवार को शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर में आयोजित सदस्यता-ग्रहण समारोह के अपने संबोधन में कमल नाथ की हनुमान भक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा था कि 'जिस दिन अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन कार्यक्रम हो रहा था, उस दिन कमल नाथ हनुमान चालीसा का पाठ करने बैठ गए। लेकिन संकटमोचन हनुमान भक्तों के संकट हरते हैं, दुष्टों के नहीं।'
शिवराज के इस बयान के बाद नरेंद्र सलूजा ने पलटवार करते हुए कहा है कि शिवराज सिंह चौहान एक हनुमान भक्त को कैसे दुष्ट की संज्ञा दे सकते हैं? यह भक्त के साथ भगवान का भी अपमान है।आखिर हनुमान जी की पूजा करने वाला दुष्ट कैसे? सलूजा ने शिवराज को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि आखिर खुद को धर्म प्रेमी बताने वाले के ऐसे विचार हैं? सलूजा ने ट्वीट किया है कि 'हनुमान भक्त कमलनाथ जी हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, हनुमान जी का पूजन करते हैं तो मुख्यमंत्री शिवराज जी उन्हें दुष्ट की संज्ञा दे रहे है ? ये तो एक हनुमान भक्त के साथ भगवान का भी अपमान है , हनुमान जी की पूजा करने वाला दुष्ट कैसे ?ख़ुद को धर्मप्रेमी बताने वालों के ये है विचार ?'
हनुमान भक्त कमलनाथ जी हनुमान चालीसा का पाठ करते है , हनुमान जी का पूजन करते है तो मुख्यमंत्री शिवराज जी उन्हें दुष्ट की संज्ञा दे रहे है ?
— Narendra Saluja (@NarendraSaluja) August 24, 2020
ये तो एक हनुमान भक्त के साथ भगवान का भी अपमान है , हनुमान जी की पूजा करने वाला दुष्ट कैसे ?
ख़ुद को धर्मप्रेमी बताने वालों के ये है विचार ?
मध्य्प्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल उपचुनाव की तैयारियों में जुट चुके हैं। इसी के साथ आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो चुका है। बीजेपी के लिए यह उपचुनाव अब सत्ता बचाने की लड़ाई है तो वहीं प्रदेश में 15 महीनों तक सरकार में रही कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव अब सत्ता को पाने की लड़ाई बन चुका है।