जी भाईसाहब जी: बदनामी पर बीजेपी नेता संकट में, बाकी पर इंतजार 

MP Politics: बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष की घोषणा का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है। हर हफ्ते एक नाम चर्चा में आता है। लगता है कि अब बस घोषणा होने ही वाली है कि बात आई गई हो जाती है। इस कारण अनुशासन के बस उन्‍हीं मामलों को देखा जा रहा है जहां पार्टी फंस रही है।

Updated: Apr 23, 2025, 01:48 PM IST

मध्‍यप्रदेश बीजेपी का नया अध्‍यक्ष चुना जाना है लेकिन ‘ऊपर’ से नाम तय नहीं हो पा रहा है। अध्‍यक्ष के इंतजार में कई महत्‍वपूर्ण कार्य बचे हुए हैं। इनमें से एक कार्य है अनुशासन तोड़ रहे नेताओं पर कार्रवाई। राजनीतिक रूप से पार्टी के साथ दगा करने वाले नेताओं पर भी फिलहाल कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। पार्टी केवल उन्‍हीं नेताओं पर कार्रवाई कर रही है जिनके कारण पार्टी बदनाम हो रही है। हालांकि, ऐसे मामलों में भी ताकतवर नेता बचा लिए जाते हैं और छोटों को पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया जा रहा है। 

ताजा तीन मामले हैं। एक जबलपुर का है जहां बीजेपी नेताओं ने अपनी बातचीत में जैन समाज की तुलना रावण से कर दी। ऑडियो वायरल होते ही मामला गर्मा गया। जैन समाज सड़क पर उतर आया। इसके बाद बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा ने दो नेताओं जागृति शुक्ला और शैलेंद्र सिंह राजपूत को पार्टी से निष्कासित कर दिया। तर्क दिया गया कि यह फैसला पार्टी की ओर से समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए लिया गया। 

दूसरा मामला सागर का है। बीजेपी सांसद लता वानखेड़े के प्रतिनिधि और पूर्व सरपंच संतोष ठाकुर और उसके साथियों ने दो नाबालिग भाई-बहन की बेरहमी से पिटाई की। सांसद प्रतिनिधि द्वारा नाबालिगों से मारपीट के बाद किरकिरी होने पर सांसद लता वानखेड़े बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज पहुंची। उन्होंने अस्पताल में भर्ती नाबालिगों से मिलकर उनका हालचाल जाना और घटनाक्रम की भी जानकारी ली। इसके तुरंत बाद उन्होंने तत्काल सागर और विदिशा जिला कलेक्टर को चिट्ठी लिखकर सभी सांसद प्रतिनिधियों को सौंपे गए दायित्व से मुक्त करने को कहा। 

तीसरा मामला सीधी जिले का है। सीधी में में भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष सुरेश सिंह ने अखबार के दफ्तर में काम करने वाली युवती के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की। इस घटना के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। सोशल मीडिया बीजेपी नेता नीलम पांडेय ने लिखा कि आजकल जो हो रहा है वह अत्यंत शर्मनाक है और उससे भी शर्मनाक जिम्मेदारों की चुप्पी। अब तो अति हो रही है कार्यालय जाने में भय लगता है। यह मैसेज तेजी से फैला और पार्टी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुरेश सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया। 

ऐसे ही देवास देवी मंदिर पर आधी रात पहुंच कर मंदिर खुलवाने के मामले में इंदौर के बीजेपी विधायक गोलू शुक्‍ला के बेटे रूद्रांक्ष का भी विवाद चर्चा में रहा था। इस हरकत पर पिता-पुत्र पर कार्रवाई की मांग उठी थी लेकिन उसे पार्टी नेताओं ने संभाल लिया।  आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी अनुशासन समिति के सामने अभी 350 मामले लंबित हैं। इन मामलों में चुनाव के दौरान पार्टी के विरोध में काम करना जैसी शिकायतें भी है लेकिन इन पर वेट वॉच की स्थिति है। केवल उन्‍हीं मामलों को निपटाया जा रहा है जिनके कारण किरकिरी ज्‍यादा हो रही है। 

महाराणा के नाम पर राजपूत नेतृत्‍व की जंग 

इन राजनीति में सबकुछ इवेंट ही होता है। इवेंट के बहाने राजनीति ताकत दिखाने की कला पुरानी है और इस मामले में सागर में एकबार फिर दो दिग्‍गज प्रतिद्वंद्वियों के बीच तलवारें खींच गई है। मजे की बात है कि यह विवाद एक ही पार्टी के दो नेताओं के बीच जारी तनाव का अगला भाग है और पार्टी एकबार फिर इनके इस संघर्ष के आगे असहाय सी नजर आ रही है। 

मामला कुछ यूं कि पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपने कार्यकाल में महाराणा प्रताप की प्रतिमा का बजट स्‍वीकृत करवा कर प्रतिमा बनवाई थी। यह प्रतिमा बन कर तैयार है लेकिन चुनाव के बाद से लोकार्पण का इंतजार कर रही है। सारा विवाद प्रतिमा स्‍थापित करने की जगह को लेकर है। भूपेंद्र सिंह के मंत्री रहते तय किया गया था कि महाराणा प्रताप की प्रतिमा सागर के संभागीय खेल परिसर के बाहर स्थापित की जाएगी। 

चुनाव के बाद कांग्रेस से बीजेपी में आए मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का दखल बढ़ गया। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई हीरा सिंह राजपूत सागर जिला पंचायत के अध्यक्ष हैं। उन्होंने मूर्ति सागर आईजी के दफ्तर के सामने स्थापित करने की मांग कर डाली। इस बयान के बाद क्षत्रिय महासभा मैदान में आ गई। महासभा ने भूपेंद्र सिंह का पक्ष लेते हुए कहा कि कांग्रेसी मानसिकता के कुछ लोग महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापना में अड़ंगा लगा रहे हैं। क्षत्रिय महासभा के विरोध के बाद मंत्री गोविंद सिंह के भाई ने जिला क्षत्रिय समाज के संचालक मंडल की बैठक बुलाई. जिसमें जिला क्षत्रिय समाज का नेतृत्व किसी गैर राजनीतिक व्यक्ति को सौंपने का निर्णय हुआ। इसी बैठक में महाराणा प्रताप की मूर्ति आईजी बंगला के सामने स्थापित करने का निर्णय लिया गया। 

9 मई को महाराणा प्रताप की जयंती है, इसलिए विवाद फिर सतह पर आ गया है। बीजेपी के दो नेताओं के बीच जारी सत्‍ता संघर्ष में उनके समर्थक भी मैदान में हैं। इस राजनीतिक खींचतान में क्षत्रिय समाज भी दो गुटों में बंट गया है। पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के साथ क्षत्रिय महासभा है तो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के साथ जिला क्षत्रिय समाज सागर है। दोनों नेताओं में कम से कम इस मामले पर सुलह की कोशिशें हो रही है लेकिन क्षत्रिय समाज की स्‍थानीय इकाई इस संघर्ष पर कुछ करने की स्थिति में नहीं है। नेतृत्‍व की इस लडाई में स्‍थानीय बीजेपी संगठन की हैसियत तो प्‍यादे की तरह है। जो होगा भोपाल से ही होगा। 

प्रदेश अध्‍यक्ष की घोषणा और मंत्री सुख पाने का इंतजार 

बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष की घोषणा का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है। हर हफ्ते एक नाम चर्चा में आता है। लगता है कि अब बस घोषणा होने ही वाली है कि बात आई गई हो जाती है। अध्‍यक्ष पद के दावेदार नेता थोड़े थोड़े समय पर सक्रिय होते हैं, अपनी दावेदारी को मजबूत करने के जतन करते और कुछ दिनों बाद उनका उत्‍साह भी ठंडा पड़ जाता है। 

अभी संगठन चुनाव की प्रक्रिया जिला स्‍तर पर पूरी हो गई है। जिलों में अध्‍यक्ष बनाए जा चुके हैं लेकिन उनकी कार्यकारिणी नहीं बनी है। जिला कार्यकारिणी के पहले प्रदेश अध्‍यक्ष चयन का इंतजार है ताकि नए अध्‍यक्ष की राय से जिला संगठन गठित हों। अब तक तो कामकाज संगठन के स्‍तर पर ही ठहरा हुआ था। अब मामला सरकार तक पहुंच गया है। बात यूं है कि मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संकेत दिए हैं कि जल्‍द ही मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा। अब तक बात मंत्रिपरिषद में विस्‍तार को लेकर थी लेकिन सुगबुगाहट तो मंत्रियों को हटाने की हो रही है। यानी सरकार मंत्रियों के कामकाज का आकलन कर प्रभार बदल सकती है तो कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है। 

इन संकेतों के बाद मंत्री पद के दावेदार नेता ही सक्रिय नहीं हुए बल्कि वे मंत्री भी अपना पाया मजबूत करने में जुट गए हैं जिनके कामकात को कमतर आंका जा रहा है। इन मंत्रियों में वे भी शामिल हैं जिनकी अपने विभाग के अफसरों से पटरी नहीं बैठ रही है। माना जा रहा है कि ये फेरबदल भी बीजेपी अध्‍यक्ष की घोषणा के बाद ही होगा। ऐसे में मंत्री पद पाने के इच्‍छुक नेता अपना दावा भी मजबूत करने के लिए अपने अनुकूल प्रदेश अध्‍यक्ष बनाए जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। 

नाजुक समय में कांग्रेस की संविधान की बात 

पहलगाम हमले और उनके पहले वक्‍फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के पक्ष के बाद देश भें संविधान पर तीखी बयान दिए जा रहा हैं। ऐसे समय में जब न्‍यायपालिका और विधायिका के संवैधानिक अधिकारों पर देश भर में बहस छिड़ी है संविधान के प्रति जागरूकता का काम करना जरूरी पहल है। यह पहल नाजुक समय में मजबूती पाने की कोशिश की तरह है। कांग्रेस ऐसा ही करने जा रही है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू में 'जय भीम, जय बापू, जय संविधान' रैली करने के बाद कांग्रेस इस अभियान को गति दे रही है। 

कांग्रेस संगठन ने तय किया है कि 25 से 30 अप्रैल तक राज्य स्तरीय रैलियां निकाली जाएंगी। 3 से 10 मई तक जिला स्तरीय रैलियां तथा 11 से 17 मई तक विधानसभा स्तरीय रैलियां निकाली जाएंगी। इस अभियान के अंतिम चरण में 20 से 30 मई तक घर-घर संपर्क किया जाएगा। इस अभियान के दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित कांग्रेस के बड़े नेता ग्‍वालियर में एक रैली कर सकते हैं। 

कांग्रेस के इस इस अभियान का मुख्य उद्देश्य आम जनता में जागरूकता फैलाना और संविधान की रक्षा करना है। इस तरह लंबे समय बाद कांग्रेस प्रदेश स्तर से लेकर बूथ स्तर तक बड़ा अभियान छेड़ने जा रही है। नाजुक दौर में यह अभियान पार्टी को तो गति देगा ही यदि संगठन संविधान के महत्‍व को लेकर व्‍यापक समझ बना पाने में कामयाब हुआ तो कोर राजनीति भी प्रभावित होगी।