बांधवगढ़ में लगातार हो रहीं बाघों की मौत, एक और बाघ का शव मिला, बीते 5 दिन में दूसरा मामला
बांधवगढ़ में लगातार हो रही हैं बाघों की मौत, वन विभाग हर बार बाघों की मौत का कारण आपसी संघर्ष बताता है।
उमरिया। बांधवगढ़ में एक और बाघ का शव संदिग्ध अवस्था में मिला है। पांच दिन पहले भी यहां पर एक बाघ का शव रेत में घंसा हुआ मिला था जिसका सिर का हिस्सा पूरी तरह से कटा हुआ था। इसी तरह आज जिस बाघ का शव मिला है उसका शव पर भी कई चोटों के निशान हैं और गर्दन टूटी हुई है।
बुधवार सुबह जब वन अमला गस्ती पर निकला तो ताराकोर परिक्षेत्र में आरएफ- 399 में गस्ती दल को एक बाघ का शव मिला। गस्ती दल जब शव के पास पहुंचा तो देखा की बाघ की गर्दन टूटी हुई है और उसके शरीर पर चोटों के निशान भी हैं। फिलहाल वन अमले ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। रिपोर्ट में बाघ की मौत का सही कारण पता लगेगा। वन विभाग का कहना है कि किसी दूसरे बाघ से संघर्ष में इसकी मौत हो गई है।
बांधवगढ़ परिक्षेत्र में पांच दिन पहले भी इसी तरह झिन्न-भिन्न अवस्था में बाघ का शव मिला था। उसका शव रेत में घंसा हुआ था। वन विभाग ने विज्ञप्ति में बताया था कि 7 से 8 साल की उम्र का नर बाघ है। 336 रेंज में नाले के साथ बहकर आया था। बाघ की गर्दन आपसी संघर्ष में टूट गई होगी। जिसके बाद गर्दन पानी में बह गई। वन अमले की एक टीम आस पास बाघ की गर्दन को ढु़ढने में जुटी है।
बीते छह महीने में बांधवगढ़ में 11 बाघों की मौत हो गई है। बांधवगढ़ के उच्च अधिकारी हर बाघों की मौत की वजह यहां पर बाघों की अधिक संख्या से उपजे आपसी संघर्ष को बताते हैं। वहीं विशेषज्ञ इस तर्क से सहमत नहीं हैं। वे हमेशा बारीकी से जांच की बात कहते हैं लेकिन जांच नहीं होती है। जानकारों का कहना है कि बांधवगढ़ व आसपास के इलाकों में कई पोचर्स डेरा डाले हुए हैं। हालांकि, वन विभाग को उन्हें पकड़ने में दिलचस्पी नहीं है।