बिपिन रावत के ससुराल में प्रशासन ने जबरन चलाया बुलडोजर, ससुर की समाधि भी कर दी नष्ट

जनरल बिपिन रावत के साले यशवर्धन सिंह ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि नेशनल हाईवे के निर्माण के लिए शहडोल स्थित उनके आवास परिसर पर समाधियों और पेड़ों को नष्ट कर दिया गया है

Updated: Dec 14, 2021, 03:27 PM IST

भोपाल। भारत के वीर सपूत और देश के पहले रक्षा प्रमुख को जब आखिरी विदाई दी जा रही थी और पूरा देश देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत था, तब मध्य प्रदेश में उनके ससुराल के लोग सरकारी तानाशाही से जूझ रहे थे। बिपिन रावत के ससुर की समाधि पर ठीक उसी दिन बुलडोज़र चल रहे थे और वो भी बिना किसी पूर्व नोटिस के। यह खुलासा खुद मधुलिका रावत (बिपिन रावत की पत्नी) के भाई यशवर्धन सिंह ने फेसबुक पोस्ट के जरिए किया है। 
फेसबुक पोस्ट पर विरोध जाहिर करते हुए यशवर्धन सिंह ने लिखा है कि प्रशासन ने बिना सूचित किए ही उनके आवास परिसर में न सिर्फ समाधियों बल्कि तमाम पेड़ों को भी नष्ट कर दिया है। यही नहीं, प्रशासनिक कार्रवाई में हस्तक्षेप करने पर यशवर्धन सिंह के खिलाफ मुकदमा दायर करने और उन्हें गिरफ्तार करने की भी धमकी दी गई है। 

मंगलवार सुबह यशवर्धन सिंह ने अपनी फेसबुक वॉल पर आवास परिसर की तस्वीर साझा करते हुए कहा कि "जिस दिन जीजा जी और जिज्जी का अग्नि संस्कार किया जा रहा था, उसी वक्त मौके का फायदा उठाते हुए भारत सरकार के आदेशानुसार शहडोल स्थित हमारे निज निवास के परिसर से बिना भूमि अधिग्रहण किए ही अवैध रूप से समाधियों और पेड़ों को नष्ट कर दिया गया। साथ ही हमारे किसी हस्तक्षेप पर स्थानीय पुलिस को भी हमारे खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किया गया है।" 

इस मामले में जब हम समवेत ने जनरल बिपिन रावत के साले साहब यशवर्धन सिंह से संपर्क किया तब उन्होंने पूरे घटनाक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि 10 दिसंबर को वे अपने जीजा बिपिन रावत और बहन मधुलिका रावत की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए दिल्ली जा रहे थे। इसी दौरान उन्हें ठेकेदार अमित दीक्षित का फोन आया। 

यशवर्धन सिंह ने बताया कि ठेकेदार अमित दीक्षित ने उन्हें फोन पर बताया कि सोहागपुर स्थित उनके आवासीय परिसर की उस ज़मीन पर भी निर्माण कार्य का आदेश प्राप्त हुआ है, जहां भूमि अधिग्रहण नहीं किया गया है। इस बाबत स्थानीय थाने और टीआई को पहले ही मुस्तैद कर दिया गया था कि विरोध के हर स्वर को दबाना है। यशवर्धन सिंह ने हम समवेत को बताया कि जब उन्होंने इस मनमानी हरकत पर आपत्ति जताई, तब ठेकेदार अमित दीक्षित ने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि काम नहीं रुकेगा और सोहागपुर पुलिस कार्रवाई का विरोध करने पर उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती है।  

दरअसल नेशनल हाईवे 43 के निर्माण के लिए चल रहे काम में प्रशासन ने हर अडंगे को दूर कर काम तेज करने का आदेश दिया है। इस दौरान रास्ते में आनेवाली जमीन का उपयोग भी किया जा रहा है, भले ही उसका फॉर्मल आदेश न हो। हालांकि बकौल यशवर्धन सिंह, इससे पहले लगभग एक एकड़ की उनकी पारिवारिक भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है, जोकि उनके पिता और उनकी पत्नी सपना के नाम पर था और उन्हें इसका मुआवजा भी मिल चुका है। लेकिन अब उसके अलावा भी जमीन पर काम हो रहा है, जो उनकी पत्नी के नाम पर ही पंजीकृत है। लगभग आधे एकड़ की इस जमीन को बिना अधिग्रहित किए ही वहां निर्माण कार्य की शुरुआत कर दी गई है, जिसकी कोई पूर्व सूचना उन्हें नहीं थी। 

यशवर्धन सिंह ने बताया कि जिस भूमि को अधिग्रहित किया गया वहां पर उनके दिवंगत पिता (जनरल बिपिन रावत के ससुर) और दो दादियों की समाधि बनी हुई थी। लेकिन उन्हें भी नष्ट कर दिया गया। इस मामले में यशवर्धन सिंह ने कहा है कि हमें राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनने से कोई परहेज नहीं है। लेकिन प्रशासन का यह मनमाना रवैया और अन्याय कदापि स्वीकार्य नहीं है। इस पूरे मामले में तय प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए था, जो कि नहीं किया गया। यशवर्धन सिंह ने कहा है कि हमें न्याय की दरकार है। 

जनरल बिपिन रावत की शादी मधुलिका रावत से 1985 में हुई थी। मधुलिका रावत, रीवा राजघराने से ताल्लुक रखती थीं। कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश में जनरल बिपिन रावत के साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत का भी निधन हो गया था और तब ये परिवार दोबारा सुर्खियो में आया। मधुलिका रावत के पिता मृगेंद्र सिंह, सोहागपुर से कांग्रेस के टिकट पर दो बार 1967 और1972 में विधायक रहे थे।