सरकार को मंदिरों पर शासन का अधिकार नहीं, ब्राह्मण महाकुंभ के मंच से बोले जगद्गुरु शंकराचार्य

भोपाल में आयोजित ब्राह्मण महाकुंभ के मंच से जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज ने शिवराज सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, कहा- मंदिरों पर शासन करने का अधिकार सरकार को नहीं है।

Updated: Jun 04, 2023, 03:34 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले ब्राह्मण समाज ने अपनी मांगों को लेकर मोर्चा खोल दिया है। रविवार को राजधानी भोपाल के जंबूरी मैदान में ब्राह्मण महाकुंभ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मंच से द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य श्री स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज ने शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि मंदिरों पर शासन करने का अधिकार सरकार को नहीं है। खास बात ये है कि कार्यक्रम में स्वयं मुख्यमंत्री भी मौजूद थे।

द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य श्री स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज ने ब्राह्मण महाकुंभ को संबोधित करते हुए कहा, "धर्मनिरपेक्ष सरकार किसी भी मंदिर का अधिग्रहण कैसे कर सकती है? ब्राह्मणों में अनेकता होने के कारण दूसरे लोग आप पर शासन करते हैं। जिस समाज में सभी नेता बन जाते हैं, वो समाज उत्थान नहीं कर पाता। ब्राह्मण हर पार्टी में चला गया है। अब दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने समाज का उत्थान करें।" शंकराचार्य के भाषण के बाद सीएम शिवराज बैकफुट पर दिखे। उन्होंने मंच से ही तत्काल ऐलान किया कि अब मंदिरों में सरकार का दखल नहीं होगा। साथ ही मंदिर की जमीन कलेक्टर नहीं पुजारी ही नीलाम करेंगे।

महाकुंभ में धर्म परिवर्तन पर अपनी बात रखते हुए जगद्गुरु ने कहा, "जिस जाति से आपके माता-पिता हैं, वह जाति कभी परिवर्तित नहीं की जा सकती। इसलिए किसी को भी धर्म परिवर्तन करने की आज्ञा प्रदान नहीं की जाती है। जिस धर्म में हम पैदा हुए हैं, क्या उसके गुण-दोष जानते हैं? जिस धर्म का त्याग कर रहे हैं, उसमें क्या कमी है या क्या गुण और दोष हैं? और जिस धर्म में जा रहे हैं, उसके गुण या दोष जानते हैं? गुण और दोष का निर्णय करने में बौद्धिक समझ है क्या? इस बात का ख्याल रखिए कि राम हमारे आराध्य हैं, आराध्य थे और रहेंगे। कुछ लोग चाहते हैं कि तुमसे भगवान छीन लिए जाएं, लेकिन परमात्मा हमसे दूर नहीं जा सकता और हम उसके बिना नहीं रह सकते।"

ये हैं प्रमुख मांगें

* प्रदेश में ब्राह्मण आयोग का गठन हो। इसमें राजनीतिक व्यक्ति को अध्यक्ष न बनाए जाए। सामाजिक काम करने वालों को ही अध्यक्ष बनाया जाए।
* एट्रोसिटी एक्ट के तहत बिना जांच के FIR नहीं लिखी जाए और न ही गिरफ्तारी की जाए। इस एक्ट को समाप्त किया जाए।
* ब्राह्मण वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में मध्य प्रदेश में 14% आरक्षण का लाभ दिया जाए। SC/ST, OBC जैसी सुविधाएं दी जाएं।
* समाज के छात्र-छात्राओं के लिए शासन जिला और तहसील स्तर पर छात्रावास की व्यवस्था करे। नाम परशुराम छात्रावास रखा जाए।
* आठ लाख से नीचे आय वाले ब्राह्मणों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए। स्टूडेंट्स को फ्री सरकारी आवेदन की पात्रता दी जाए।
* भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए।
* भारत के सभी मंदिरों को शासन के नियंत्रण से मुक्त रखा जाए। इनका नियंत्रण मंदिर के संस्थानों को साथ दिया जाए।
* 1980 से आज तक मंदिरों का सर्वे नहीं हुआ है। सर्वे करवाकर सभी सार्वजनिक मंदिरों के पुजारियों को 10 हजार रु. प्रतिमाह मानदेय दिया जाए। चढ़ावे में हिस्सा 50% किया जाए।
* कथावाचक, साधु - संतों और ब्राह्मण समाज पर अपशब्द बोलने एवं अपमानित किए जाने की दशा में कठोर कार्रवाई का प्रावधान किया जाए।
* ब्राह्मण अत्याचार निवारण अधिनियम (एट्रोसिटी एक्ट) बनाया जाए।
* जिन सीटों पर सवर्ण चुनाव लड़ सकते हैं, वहां OBC और SC/ST को टिकट न दिए जाएं।