जी भाईसाहब जी: बाहर के सिद्ध सीएम मोहन यादव घर में अपनों से घायल
MP Politics: मध्य प्रदेश में मंत्रियों द्वारा पहले बयान देने फिर माफी मांग कर बच कर निकलने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बीते दिनों पर्यटन मंत्री के बयान पर विवाद हुआ था अब एक और मंत्री अपने बिगड़े बोल के कारण माफी मांग रहे हैं।
बिहार चुनाव में भूमिका के कारण सीएम मोहन यादव की सफलता की ब्रांडिंग की जा रही है। कहा जा रहा है कि बिहार में लालू यादव की पार्टी के वोट बैंक एमवाय (मुस्लिम-यादव) को एमवाय (मोहन यादव) ने तोड़ दिया है। इस परिणाम में उनकी भूमिका को बड़ा बताते हुए राष्ट्रीय राजनीति में उनकी छवि चमकाने के प्रयास हो रहे हें। इस माह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बेटे की शादी भी हो रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तय किया है कि उनके बेटे की शादी सामूहिक विवाह समारोह में होगी। अन्य जोड़ों के साथ मुख्यमंत्री के बेटा और बहू भी होंगे। चुनिंदा मेहमानों को आमंत्रित किया जा रहा है।
अपने बेटे की शादी सामूहिक विवाह में करने पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की तुलना उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री शिवराज से की जा रही है। इस तुलना कर सादगीपूर्ण आयोजन की प्रशंसा की जा रही है क्योंकि कुछ माह पूर्व शिवराज सिंह चौहान ने अपने बेटे की शादी भव्य स्तर पर की थी। सफलता और सादगी की प्रशंसा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के लिए सुखकर हैं।
उन्हें सिद्ध राजनेता कहे जाने के इन प्रयासों के बीच ही अपने घर में उनके विपरीत परिस्थितियां दिखाई देती हैं। घर में वे अपनों के हमलों से घायल हैं। उज्जैन उनका गृह नगर है और सिंहस्थ 2028 के आयोजन प्रतिष्ठा का विषय। इसके लिए मोहन सरकार ने लैंड पुलिंग एक्ट प्रस्तुत किया था। इसमें किसानों की 30 हजार हेक्टेयर जमीन स्थाई रूप से अधिग्रहित करने का प्रावधान था। लेकिन भारतीय किसान संघ के दबाव में लैंड पुलिंग एक्ट वापस लेना पड़ा।
यह एक्ट मोहन सरकार की प्राथमिकता में था। किसान संघ के विरोध को खत्म करवाने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिल्ली तक से मदद मांगी थी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने अधिकारियों की टीम को ले जाकर योजना के पक्ष में प्रेजेंटेशन करवाए थे। लेकिन इस मशक्कत के बाद भी सरकार को किसान संघ का विरोध देखते हुए कदम वापस लेने पड़े।
सरकार ने भरे मन से लैंड पुलिंग एक्ट वापस तो ले लिया लेकिन किसान संघ की मांगों के आगे अपनी सबसे प्रिय माने जाने वाली योजना को खत्म करने का दु:ख भी है। इधर, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की चुनौतियां गिना दी। उमा भारती ने अपनी पोस्ट में कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती है मध्यप्रदेश को आधुनिक बनाना, निवेश को जमीन पर उतारना और उससे रोजगार पैदा करना। उन्होंने यह भी लिखा कि प्रदेश को गो-आधारित कृषि और डेयरी उत्पादों में देश का नंबर वन राज्य बनाना होगा। इसके साथ ही उन्होंने लगातार शराब नीति की समीक्षा, सरकारी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन जैसी चुनौतियों पर भी जोर दिया।
पहली नजर में यह पोस्ट एक वरिष्ठ नेता द्वारा प्रदेश के विकास पर दिया गया सुझाव लगती है। लेकिन यह तो राजनीति है। उमा भारती के इस बयान के राजनीतिक निहितार्थ हैं। वे 2029 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। संगठन ने उनकी इस घोषणा पर ध्यान नहीं दिया है। इस कारण वे संगठन को अपनी मौजूदगी का अहसास करवाना चाहती हैं। मतलब निशाना कहीं ओर है और शिकार कहीं ओर।
शिवराज सिंह चौहान का गुबार, ऐसे भी होता है विरोध
स्किल ट्रेनर सिखाते हैं कि विरोध भी करना है तो तरीका भी ऐसा हो कि मार लग भी जाए और दिखे नहीं। शिवराज ने कुछ ऐसा ही किया। वे किरार समाज के दीपावली मिलन समारोह में उन्होंने कहा कि चुनाव में भाजपा को अकूत बहुमत मिला था। सभी को लगा था कि अब सब कुछ अपने आप हो जाएगा और मैं ही फिर मुख्यमंत्री बनूंगा लेकिन पार्टी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया।
शिवराज ने बताया कि उस वक्त उनके दिल में कई तरह के विचार आ सकते थे। गुस्सा भी आ सकता था। वे सोच सकते थे कि मैंने इतनी मेहनत की, रात-दिन जनता के बीच रहा, लोगों ने मुझे वोट दिया, फिर भी मुझे क्यों हटाया जा रहा है? लेकिन उन्होंने खुद को संभाला. दिल ने कहा – शिवराज, ये तेरी परीक्षा की घड़ी है। माथे पर शिकन मत आने देना. आज तू कसौटी पर है।
उन्होंने लोगों को संदेश दिया कि जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं। पद आते-जाते रहते हैं। असली बात है मन की शांति और पार्टी के प्रति निष्ठा। अगर मन में गुस्सा या शिकायत आए तो उसे आने मत दो। जो फैसला ऊपर से हो, उसे माथे पर लगाओ।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी खूबी से अपनी भावनाओं को व्यक्त भी कर दिया और पद छिन जाने के बाद भी तीखी प्रतिक्रिया न देकर खुद को बड़ा भी बना लिया। यह तो सभी जानते हैं कि तब शिवराज सिंह चौहान ने सभी हुई प्रतिक्रिया दी थी। लेकिन उनके समर्थकों ने प्रदेश में संगठन के इस निर्णय के खिलाफ माहौल बनाया था। जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे। यहां तक कि जहां-जहां शिवराज पहुंच रहे थे, वहां लोग उनसे मिल कर, लिपट कर रो रहे थे। इन समर्थकों में महिलाएं ज्यादा थीं। क्योंकि माना जा रहा था कि भाजप की सत्ता में वापसी शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना का मुख्य योगदान था।
रिएक्शन तो बहुत हो सकते थे… यह कहते हुए शिवराज ने किरार समाज को संकेत ही नहीं दिया बल्कि पार्टी को भी इशारा कर दिया। यह असल में पिछले कुछ दिनों से शिवराज को किनारे किए जाने की कोशिशों का जवाब भी है।
राजा राममोहन राय और मोहन सरकार के मंत्री की राय
मध्य प्रदेश में मंत्रियों द्वारा पहले बयान देने फिर माफी मांग कर बच कर निकलने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बीते दिनों पर्यटन मंत्री के बयान पर विवाद हुआ था अब एक और मंत्री अपने बिगड़े बोल के कारण माफी मांग रहे हैं। ये मंत्री हैं, मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार। महान समाज सुधारक राजा राम मोहन राय पर टिप्पणी का विवादों इतना बढ़ा कि उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिेंह परमार ने अपने कहे के लिए माफी मांग ली। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने आगर मालवा में बिरसा मुंडी की 150 वीं जयंती पर राजा राममोहन राय को अंग्रेजों के दलाल के रूप में काम करने वाला बताया था। यहीं नहीं मंत्री ने कहा कि वह फर्जी समाज सुधारक थे। विवाद हुआ तो मंत्री इंदर सिंह परमार ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा कि उनके मुंह से समाज सुधारक राजा राम मोहन राय के बारे में गलत बात निकल गई। वह माफी मांगते हैं। वे अंग्रेजों की साजिशों और उस दौर की परिस्थितियों पर चर्चा कर रहे थे। उसी दौरान प्रवाह में उनके मुंह से राजा राममोहन राय के बारे में गलत बात निकल गई।
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार अगर ऐसा नहीं करते तो वे उस रूढ़िवादी धारा में शामिल हो जाते जो राजा राममोहन राय के समाज सुधारों का विरोध करती रही है। मंत्री को समझाया गया कि व्यक्तिगत राय चाहे जो हो सार्वजनिक कही गई बात पर माफी मांग लेने में ही भलाई है।
कांग्रेस में समस्या और अध्यक्षों में समन्वय सूत्र
प्रदेश कांग्रेस में बदलाव जारी हैं। संगठन में नियुक्तियों और रीति-नीतियों में परिवर्तन का दौर जारी है। प्रदेश कांग्रेस संगठन में जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों के बाद युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी हो चुका है। मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष के पद का चुनाव जबलपुर के यश घनघोरिया ने जीता। 14 लाख 74 हजार 374 युवा सदस्यों में से सबसे ज्यादा 3 लाख 13 हजार 730 वोट यश घनघोरिया को मिले।
युवा कांग्रेस मैदान ताकत बढ़ाने ओर युवाओं को पार्टी से जोड़ने वाला मुख्य संगठन है। एक समय था जब युवा राजनीति को मुख्य धारा की राजनीति का प्रवेश द्वार कहा जाता था। आज के कई बड़े नेता बीते समय के छात्र और युवा राजनेता रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस नेतृत्व ने युवा कांग्रेस के चुनावों को व्यापक स्तर पर किया है।
अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के साथ युवा कांग्रेस यश घनघोरिया की रणनीतियां प्रदेश में बीजेपी सरकार के खिलाफ पार्टी के संघर्ष को धार देगीं। दोनों संगठनों में समन्वय से कार्य दोनों अध्यक्षों के लिए चुनौती भी है और अवसर भी। मुख्य विपक्ष कांग्रेस के सभी संगठन मिल कर रणनीतिपूर्वक कार्य करेंगे तब ही सरकार और बीजेपी के खिलाफ विरोध जनता में दर्ज हो पाएगा अन्यथा विरोध कमजोर ही होगा।




