सारा फंड उज्जैन को ही देंगे तो बाकी प्रदेश का क्या होगा, कैबिनेट बैठक में विजयवर्गीय और प्रह्लाद पटेल ने जताई आपत्ति

उज्जैन की रोड कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के लिए मोहन मंत्रिमंडल ने 100 किमी लंबी 3 सड़कों को बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में प्रशासकीय मंजूरी दे दी है। इसे लेकर बैठक में सीनियर मंत्रियों ने आपत्ति भी जताई।

Updated: Dec 05, 2024, 05:06 PM IST

भोपाल।​​​​​ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव पद संभालने के बाद से ही अपने गृह क्षेत्र उज्जैन पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसे लेकर अब भाजपा खेमे में विरोध से स्वर भी उठने लगे हैं। बुधवार को कैबिनेट के दो वरिष्ठ मंत्रियों कैलाश विजयवर्गीय और प्रह्लाद पटेल ने उज्जैन को फंड दिए जाने को लेकर आपत्ति जताई है।

सिंहस्थ के लिए उज्जैन की रोड कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के लिए मोहन मंत्रिमंडल ने 100 किमी लंबी 3 सड़कों को बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में प्रशासकीय मंजूरी दे दी है। हालांकि, इसके निर्माण का प्रस्ताव सवालों में घिर गया। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसके लिए 2312 करोड़ के बजट पर आपत्ति ली तो पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी कह दिया कि इनकी लागत इतनी क्यों है?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैठक के दौरान कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मेरी इस पर आपत्ति है। अभी सिंहस्थ में समय है। उज्जैन में सड़कों को सिंहस्थ फंड से बनाना चाहिए। शासन मद से क्यों सड़कें बनाई जा रहीं? इसपर सीएम यादव ने तर्क दिया कि सिंहस्थ का फंड सिर्फ 500 करोड़ है। विजयवर्गीय ने जवाब देते हुए कहा कि यदि ऐसा है तो सिंहस्थ का बजट बढ़वाएंगे। केंद्र से बात करेंगे। ... इतना पैसा उज्जैन में ही देंगे तो फिर बाकी की सड़कों का क्या होगा? 

वहीं, प्रह्लाद पटेल ने सवाल उठाते हुए कहा कि इन सड़कों की इतनी लागत क्यों है? इसपर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सड़कें बड़ी हैं और जरूरी हैं। बहरहाल, नोंक झोंक को लेकर भाजपा संगठन अथवा सरकार से कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है।

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कटाक्ष करते हुए कहा कि केंद्र सरकार सिंहस्थ के लिए अलग से राशि देती हैं। मध्य प्रदेश में सड़कें तो वॉशिंगटन से भी अच्छी हैं तो फिर 2312 करोड़ रुपए किसलिए चाहिए? “लाड़ली बहना” से किए गए वादे को पूरा कर ₹3000/- प्रति माह देना प्रारंभ करें। सिंह ने भाजपा में आंतरिक विवाद की ओर इशारा करते हुए कहा कि मंत्री परिषद में हुई चर्चा प्रेस में कैसे आ गई? यह खोज का विषय है।