जबलपुर में बंधुआ मज़दूरी के शिकंजे से छुड़ाए गए 17 बच्चे, बेकरी मालिक और मैनेजर गिरफ्तार

जबलपुर की बेकरी में बच्चों को नशा देकर 12-12 घंटे काम कराए जाने का आरोप, मज़दूरी की जगह मिलती थी मारपीट, श्रम विभाग और पुलिस अधिकारियों की साझा कार्रवाई में छुड़ाए गए बच्चे

Updated: Feb 19, 2021, 06:25 AM IST

जबलपुर। जबलपुर के तिलहरी स्थित एक बेकरी से 17 बाल मज़दूरों को मुक्त कराया गया है। पुलिस ने बेकरी के मालिक और मैनेजर को हिरासत में ले लिया है। आरोप है कि इन नाबालिग बच्चों से यहां जबरन मजदूरी कराई जा रही थी। यहां तक कि इन बच्चों से जबरन काम कराने के लिए उन्हें नशीली दवाएं तक दी जाती थीं।श्रम विभाग के अधिकारियों ने पुलिस की मदद से इन बच्चों को छुड़ाया है।

तिलहरी स्थित द ओवन क्लासिक बेकरी में बच्चों से बंधुआ मज़दूरों की तरह काम कराए जाने का खुलासा तब हुआ जब उसमें काम करने वाले एक बच्चे की मुलाकात संयोग से भोपाल जीआरपी के अधिकारी से हुई। बेकरी में बच्चों से जबरन काम कराए जाने का खुलासा होने पर गोराबाजार पुलिस और श्रम विभाग के अधिकारियों ने बेकरी में दबिश डाली। 

पुलिस और श्रम विभाग के अधिकारी बेकरी में पहुंचे तो वहां की हालत देखकर अवाक रह गए। कंपनी में कुल 36 श्रमिक मौजूद थे। इनमें 17 नाबालिग थे। जिनकी उम्र 15 से 17 वर्ष के बीच है। इन बच्चों से वहां जानवरों जैसा  सलूक किया जाता था। छोटे से कमरे में एक साथ आठ से दस बच्चों को रखा जाता था। उनसे जबरन मजदूरी कराई जाती थी। बच्चों को नशीली दवाएं भी दी जाती थीं, ताकि उनसे 12-12 घंटे काम लिया जा सके।

पुलिस ने इन बच्चों को रेस्क्यू करके गोकलपुर स्थित बाल गृह में रखा है। वहां प्रभारी आकांक्षा तोमर की देखरेख में उनकी काउंसलिंग कराई जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार रेस्क्यू किए गए बच्चों में सात बच्चे बिहार के हैं। जबकि पांच बच्चे जबलपुर के, तीन सिवनी के और दो कटनी के हैं। बच्चों की काउंसलिंग करने के बाद जल्द ही उन्हें उनके परिजनों के हवाले कर दिया जाएगा। इस बीच पुलिस ने बेकरी के मालिक तुषार गोकलानी और मैनेजर रंजीत खिरर के ऊपर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। इनके खिलाफ बाल श्रम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। 

ऐसे सामने आया मामला 

यह पूरा प्रकरण संयोगवश ही सामने आ पाया। बुधवार को कंपनी के सुपरवाइजर ने एक नाबालिग को मारा था। मौका देखते ही बच्चा कंपनी से भाग निकला और बस से भोपाल पहुंच गया। भोपाल स्टेशन पर वो अपने गृह राज्य बिहार जाने के लिए इंदौर-पटना ट्रेन का इंतज़ार कर रहा था कि तभी स्टेशन पर आरक्षक से उसकी मुलाकात हो गई। 

आरक्षक द्वारा पूछे जाने पर उसने सारी बात बताई। बच्चे ने बताया कि कैसे जबलपुर में जबरन उससे और उसके साथियों से मजदूरी कराई जाती है। बच्चे ने बताया कि उन्हें काम के बदले मजदूरी तक नहीं दी जाती और थोड़ी भी ढिलाई होने पर मारपीट भी की जाती है। आरक्षक ने बच्चे द्वारा मिली सूचना को आगे बढ़ाया। जिसके बाद जबलपुर के गोराबाजार थाने के टीआई सहदेव राम साहू, श्रम निरीक्षक सौरभ शेखर और चाइल्ड लाइन की संयुक्त टीम ने बेकरी पर दबिश डाल कर बच्चों को छुड़ा लिया।