मध्य प्रदेश: चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से आश्वासन मिलने के बाद जूनियर डॉक्टरों ने वापस ली हड़ताल

गुरुवार को प्रदेश में जूडा की हड़ताल से अस्पतालों में मची अफरा तफरी के बाद सरकार का रुख हुआ नरम, चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने मांगें पूरी करने का दिया आश्वासन, जूनियर डाक्टरों ने खत्म की हड़ताल

Updated: May 06, 2021, 02:34 PM IST

Photo courtesy: twitter
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भोपाल। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने गुरुवार को जूनियर डाक्टर्स के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की। उन्होंने जूनियर डाक्टरों को उनकी जायज मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया है। जिसके बाद जूडा ने अपनी हड़ताल वापस लेने का फैसला लिया है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने हड़ताल वापस लेने पर जूडा का धन्यवाद किया है। मंत्री का कहना है कि महामारी के कठिन दौर में इस तरीके की हड़ताल नहीं होनी चाहिए। जूनियर डाक्टरों की मांगें सरकार ने मान ली हैं।

जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश पाठक से मिली जानकारी  के अनुसार सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं। जिसके आदेश जल्द ही जारी कर दिए जाएंगे।

जूनियर डाक्टरों ने 6 फीसदी मानदेय बढ़ाने, फीस माफी, कोरोना महामारी के दौरान सेवा के लिए प्रशस्ति पत्र की मांग की थी, जिसका फायदा सरकारी भर्तियों के दौरान उन्हें मिल सके। वहीं कोरोना संक्रमित जूनियर डाक्टरों के इलाज की मांग की थी। कोविड ड्यूटी के दौरान हर महीने 10 हज़ार रुपये मानदेय देने का वादा पूरा किया जाए, उन्हें ग्रामीण सेवा के बंधन से मुक्ति समेत कई मांगें पूरी करने के लिए काम बंद कर दिया था।

दरअसल गुरुवार से प्रदेश भर के जूनियर डाक्टर्स हड़ताल पर चले गए थे। गुरुवार को नॉन कोविड-19 मरीजों के इलाज का बहिष्कार किया था। और कहा था कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती तो वे बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे और कोरोना मरीजों का इलाज भी नहीं करेंगे। जिसकी वजह से प्रदेश के अस्पतालों में ओपीडी, आईपीडी, जनरल वार्ड, ओटी में जूडा ने ड्यूटी का बहिष्कार किया था। जिसकी वजह से अस्पतालों में नॉन कोविड मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा था।

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दिनभर अस्पतालों में अव्यवस्था के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से जूनियर डाक्टरों के एक प्रतिनिधि मंडल से भोपाल में मुलाकात की। दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क रखे, लंबी बातचीत के बाद जूडा ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की है।मांगे पूरी होने के आश्वासन के बाद जूनियर डॉक्टर्स नियमित रूप से सेवाएं देते रहेंगे। दरअसल प्रदेश में करीब तीन हजार जूनियर डॉक्टर हैं जिनमें से करीब 15 से 20 प्रतिशत डॉक्टरों को कोरोना ड्यूटी में लगाया गया है।