मंत्रिमंडल विस्तार न होने से नाराज़ हैं सिंधिया, दबाव बनाने के लिए सिंधिया समर्थक दे सकते हैं इस्तीफा

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत केन्द्रीय नेतृत्व से बात करने दिल्ली पहुंच गए हैं

Updated: Dec 14, 2020, 05:42 PM IST

Photo Courtesy: Twitter
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भोपाल। मध्य प्रदेश उपचुनाव का परिणाम आए एक महीने से ज़्यादा का समय चुका है लेकिन अब तक शिवराज सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हुआ। प्रदेश में बीजेपी को सत्ता की चाभी देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के इस रवैए से खफा हैं। खुद सिंधिया समर्थक मंत्री, मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया पर ज़ोर डाल रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी खुद इस सिलसिले में शिवराज सिंह चौहान से उनके आवास पर मिल चुके हैं। लेकिन बीजेपी मंत्रिमंडल विस्तार में कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रही है। 

हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवराज सिंह चौहान से मिलने उनके आवास पर गए थे। चर्चा थी कि सिंधिया, चुनाव में हारे उनके मंत्री गिर्राज दंडोतिया और इमरती देवी की निगम मंडल में नियुक्ति और सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार की मांग को लेकर शिवराज से मिलने पहुंचे थे। लेकिन शिवराज की ओर से अस्पष्ट रुख को लेकर सिंधिया खेमें में असंतोष बढ़ रहा है।

क्या चाहते हैं सिंधिया 

दरअसल उपचुनाव से ठीक पहले 6 महीने की अवधि पूर्ण होने पर सिंधिया के दो सबसे विश्वस्त नेता, तुलसीराम सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत ने मंत्री पद पर इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव में सिंधिया के तीन मंत्री, इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और ऐंदल सिंह कंसाना चुनाव हार गए।

सिंधिया खेमा जल्द से जल्द गोविन्द सिंह राजपूत और सिलावट के लिए मंत्री पद चाहता है जबकि चूंकि इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया अब विधायक नहीं हैं इसलिए निगम मंडल की मांग बीजेपी से की जा रही है। खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर उनका खेमा ज़ोर डाल रहा है लेकिन शिवराज सिंह चौहान के टालमटोल पूर्ण रवैए की वजह से सिंधिया समर्थक खेमें में नाराज़गी बढ़ रही है। ख़बर है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जल्द ही बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से इस मसले पर बात कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ चर्चा यह भी चल रही है कि बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए सिंधिया समर्थक मंत्री अपने इस्तीफे की पेशकश भी कर सकते हैं। 

बीजेपी क्या कर रही है 

इस पूरे मसले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रवैय्या बेचैनी बढ़ा रहा है। हाल ही में शिवराज सिंह चौहान यह कह चुके हैं कि सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार विधानसभा के आगामी सत्र के बाद होगा। आगामी विधानसभा सत्र में सरकार लव जिहाद, निजी कृषि उपज मंडी के गठन के लिए बिल, सहकारिता अधिनयम में संशोधन और धर्म स्वतंत्र का कानून जैसे विधि कार्य में लगी हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान खुद पार्टी के नेताओं से यह बात कह चुके हैं कि अभी उनकी प्राथमिकता कोरोना से निपटना और वैक्सीन के स्टोरेज और उसके वितरण की तैयारी करना है। 

क्या शिवराज चौहान और सिधिया में बढ़ रही है अनबन

शिवराज सिंह चौहान खुद सिंधिया खेमे से नाराज़ बताए जा रहे हैं। खबरों की मानें तो शिवराज का कहना है कि सिंधिया खेमा अब बीजेपी का हिस्सा है। ऐसे में मंत्रिमंडल को लेकर दबाव बनाने की कोशिश कर पार्टी में गुटबाजी को बढ़ावा न दिया जाए। शिवराज का कहना है कि खुद बीजेपी के वरिष्ठ नेता आठ महीने के बाद भी मंत्रिमंडल से दूर हैं। लिहाज़ा सिंधिया खेमे को धैर्य रखने की आवश्यकता है। 

हालांकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मिलने दिल्ली गए हैं। खबरों की मानें को सिंधिया खेमे की नाराज़गी को दूर करने के लिए जल्द ही प्रदेश कार्यकारिणी का ऐलान हो सकता है और इसमें सिंधिया समर्थकों को जगह दी जा सकती है। 

दूसरी तरफ यह चर्चा भी है कि बीजेपी अब भी कांग्रेस के कुछ विधायकों को तोड़ने में लगी है। इस बजह से मालवा निमाड़ के विधायकों में बेचैनी है। असल में बीजेपी सिंधिया गुट को कमज़ोर करने के लिए आधार तैयार कर रही है। और चूंकि प्रदेश में जल्द ही नगर निकाय के चुनाव भी होने हैं, लिहाज़ा बीजेपी इन चुनावों को लेकर भी कांग्रेस के खेमे में फिर सेंधमारी करने का प्रयास कर रही है।