खंडवा: कर्ज में डूबे किसान ने की आत्महत्या, फसल बर्बाद होने पर नहीं मिला था मुआवजा
मध्य प्रदेश के खंडवा में फसल बर्बादी और बढ़ते कर्ज से परेशान किसान मदन कुमरावत ने खेत पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। लगातार चार साल से फसल खराब हो रही थी और दो लाख का कर्ज चढ़ गया था।

खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक और किसान की जिंदगी कर्ज और फसल बर्बादी की मार ने निगल ली। पंधाना क्षेत्र के ग्राम दीवाल में रहने वाले 40 वर्षीय किसान मदन कुमरावत ने खेत पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। मंगलवार शाम से लापता मदन का शव बुधवार सुबह खेत के कुएं के पास मिला। पुलिस की पूछताछ में आत्महत्या की वजह आर्थिक तंगी बताई जा रही है। परिवार का कहना है कि लगातार खराब फसलों और बढ़ते कर्ज के बोझ ने उसे तोड़ दिया था।
सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। पंधाना टीआई दिलीप देवड़ा ने बताया कि परिजन ने कीटनाशक पीने की बात कही है। प्राथमिक जांच में आत्महत्या का कारण फसल नुकसानी और बढ़ता कर्ज पाया गया है। मामले की जानकारी मिलने पर क्षेत्रीय विधायक छाया मोरे भी मौके पर पहुंचीं। उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने के बाद सुसाइड के कारणों का खुलासा किया जाएगा और सरकार इस कठिन समय में परिवार के साथ खड़ी है।
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मदन के परिजनों के मुताबिक, इस साल सोयाबीन की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई थी। खेत से एक दाना तक घर नहीं लाया जा सका। मजबूरी में मवेशियों को खेत में बची फसल चरा दी गई। यह लगातार चौथा साल था जब फसल खराब हुई थी। पहले सूखे और फिर ज्यादा बारिश ने फसल खराब कर दी थी। मदन पर साहूकारों और कुछ रिश्तेदारों से लिया गया करीब दो लाख रुपए का कर्ज था।
परिजनों ने बताया कि मदन के पास खुद की एक हेक्टेयर जमीन थी। इसमें उसने मक्का की फसल बोई थी। इसके अलावा पिता और भाइयों की करीब आठ एकड़ जमीन भी उसी के पास थी, जिसमें सोयाबीन लगाई थी। लेकिन लगातार फसल के बिगड़ने से उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई। राहत या मुआवजे के नाम पर परिवार को अब तक एक रुपया तक नहीं मिला था।
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आर्थिक संकट का असर सिर्फ मदन पर ही नहीं, उसके परिवार पर भी पड़ा। उसकी पत्नी और दो बच्चे अब पूरी तरह असहाय हैं। दोनों बच्चों की उम्र 18-19 साल है और आर्थिक तंगी के चलते उनकी पढ़ाई भी छूट गई है। बेटा कुछ समय पहले तक मामा के घर रुस्तमपुर में रहकर पढ़ाई कर रहा था, लेकिन इसी महीने घर लौटा था। अब पिता के सुसाइड की खबर ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है।
इस बीच, डिप्टी कलेक्टर दिनेश सावले ने बताया कि जिले में फसल नुकसानी को लेकर सर्वे का काम जारी है। पहले किए गए सर्वे में कुल 590 किसानों की सूची तैयार की गई थी, जिनमें से ज्यादातर किसान पंधाना और खालवा तहसील क्षेत्र के हैं। प्रभावित किसानों को राहत राशि तहसीलदारों द्वारा उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है। हालांकि अभी तक कितनी राशि वितरित की गई है, इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
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उधर किसान संगठनों ने इस घटना को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संयुक्त कृषक संगठन के बैनर तले खंडवा के किसान कलेक्ट्रेट परिसर में अनिश्चितकालीन धरना आंदोलन पर बैठ गए हैं। किसानों ने टेंट लगाकर डेरा डाल दिया है। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि सरकार ने सर्वे में गड़बड़ी की है। भारी बारिश की वहज से फसलों के नुकसान के बावजूद जिले में केवल 490 किसानों को मुआवजे के लिए पात्र घोषित किया गया है। वहीं, उन्हें भी मुआवजे के तौर पर बेहद कम राहत राशि दी गई है। किसी को सिर्फ 1000 रुपए तो किसी के खाते में केवल 4000 रुपए ही भेजे गए हैं। किसानों का कहना है कि एक एकड़ में बोई गई सोयाबीन की लागत 20 से 25 हजार रुपए तक आई, जबकि नुकसान करीब 40 हजार रुपए प्रति एकड़ हुआ है। इसके बावजूद न तो पर्याप्त सर्वे कराया गया और ना ही वास्तविक नुकसान के मुताबिक मुआवजा दिया गया।