जी भाईसाहब जी: भाई पर मोहन सरकार की सख्ती, पीएम मोदी से मिले डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला
MP Politics: राजधानी में 153 करोड़ की लागत से बने अंबेडकर फ्लाइओवर में घटिया निर्माण के आरोप में मोहन सरकार ने डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला के भाई की कंपनी पर सख्ती दिखाई है। इसबीच, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने अचानक दिल्ली पहुंच कर पीएम मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के अलग-अलग मतलब निकाले जा रहे हैं।

एक ख्यात गाना है, बड़े अरमानों से रखा है, प्यार दुनिया में पहला कदम... ऐसा ही कुछ था जीजी फ्लायरओवर (अब अंबेडकर सेतू) का निर्माण। राजधानी के सबसे बड़े कमर्शियल कॉम्प्लेक्स एमपी नगर के ट्रैफिक जाम से निपटने के लिए बड़ी उम्मीदों के साथ इसका निर्माण हुआ है। 153 करोड़ की लागत और चार साल में बने इस फ्लायओवर का निर्माण इतना खराब हुआ कि पहले ही सप्ताह में उखड़ने लगा। जो भी पहली बार इस फ्लायओवर से गुजरा वह निराश ही हुआ। बात सरकार तक पहुंची और फ्लाईओवर की गुणवत्ता में खराबी के कारण सीधे-सीधे जिम्मेदार दो इंजीनियर सस्पेंड कर दिए गए दो को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
लेकिन बात इतनी सी नहीं है कि अधिकारी दोषी है। अपर मुख्यसचिव पीडब्ल्यूडी नीरज मंडलोई ने जब फ्लायओवर का निरीक्षण किया तो उजागर हुआ कि दोष केवल अफसरों का नहीं है बल्कि निर्माता कंपनी की बड़ी गलती है। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के ठीक पहले उजागर हुए भ्रष्टाचार के इस नमूने ने सरकार की भद पिटवा दी। जैसे ही बात निर्माणकर्ता कंपनी पर पहुंची तो अधिकारियों के तोते उड़ गए। यह फ्लायओवर वीकेएससीसी यानी विनोद कुमार शुक्ला कंस्ट्रक्शन प्रायवेट लिमिटेड ने बनाया है। कंपनी के मुखिया विनोद कुमार शुक्ला प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के भाई हैं। उपमुख्यमंत्री से जुड़े व्यक्ति की कंपनी पर कोई कैसे हाथ डाले? बात जब मुख्यसचिव अनुराग जैन और पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह तक पहुंची तो दोनों ही स्तर से कार्रवाई के संकेत दिए गए। निर्माता कंपनी पर जुर्माना लगाने तथा मरम्मत करने को कहा गया है।
जब भाई की कंपनी पर सरकार सख्ती दिखा रही थी तब ही उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल अचानक दिल्ली पहुंचे। उनकी यह मुलाकात जितनी औचक रही उतने ही कयास इसके उद्देश्य को लेकर भी लगाए गए। इस मुलाकात को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चुनाव से जोड़ कर भी देखा गया। बहरहाल, मामला कुछ भी हो लेकिन उपमुख्यमंत्री के भाई कंपनी पर घटिया निर्माण कार्य करने का आरोप है और बड़ी उम्मीद से बनाए गए फ्लायओवर के खराब निर्माण ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी सरकार की किरकिरी तो कर दी है।
एमपी बीजेपी किसे चुनेगी ब्राह्मण, ठाकुर, महिला या...
मध्य प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष की खोज अंतिम चरण में हैं। अगले कुछ दिनों में नए अध्यक्ष की घोषणा की तैयारी है। चर्चा में कई नाम हैं और हर तरह के समीकरण को आकलन कर अंतिम नाम के कयास लगाए जा रहे हैं। अब तक के निर्णयों के आधार पर संभावना है कि भाजपा नेतृत्व जातीय समीकरण को साधने का प्रयास करेगा। यह भी सवाल है कि क्या पहली बार भाजपा को कोई महिला अध्यक्ष मिलेगी? इन दोनों स्थितियों के साथ क्षेत्रीय संतुलन भी साधा जा सकता है। और जब सारे कयास उलझते हुए लगते हैं तो अंत में सोच लिया जाता है कि भाजपा संगठन अपनी प्रकृति के अनुरूप कोई चौंकाने वाला नाम आगे बढ़ा देगा।
प्रदेश में भाजपा के सभी संगठनात्मक 62 जिलों में अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं। 62 अध्यक्षों में से 30 सवर्ण और 25 पिछड़ा वर्ग के नेता है। सामान्य वर्ग की सूची को देखें तो 16 अध्यक्ष ब्राह्मण समाज, 6 राजपूत और आठ वैश्य समाज से चुने गए हैं। अनुसूचित जनजाति वर्ग से चार और अनुसूचित जाति वर्ग से तीन जिलों में नेताओं को प्रतिनिधित्व दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए महिलाओं को मौका देने की बात भी पार्टी ने खूब जोर-शोर से की थी, लेकिन केवल 7 जिलों में ही महिला अध्यक्ष बनाई जा सकी हैं।
यह दृश्य नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन के संबंध में एक राजनीतिक चित्र खींचता है। भाजपा के पिछले राजनीतिक निर्णयों को देखें तो 2003 में सत्ता में आने के बाद से लेकर अब तक भाजपा सरकार में अन्य पिछड़ा वर्ग से मुख्यमंत्री बनाए गए है तो अध्यक्ष पद सवर्ण वर्ग के खाते में गया है। इसे यूं समझें। 2003 में भाजपा की सरकार बनी थी। तब से उमा भारती, बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान और अब मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया है। ये चारों नेता अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं। इन बीते 22 सालों में वहीं इन मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में कैलाश जोशी, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रभात झा, नंदकुमार सिंह चौहान, राकेश सिंह और फिर वीडी शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। ये सभी नेता सवर्ण वर्ग से आते हैं। साफ है कि सत्ता की चाबी देने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग से मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो संगठन की कमान सामान्य वर्ग के नेता के हाथ में होती है।
इसी सिद्धांत के आधार पर भाजपा के संभावित नामों पर भी कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री मालवा क्षेत्र से हैं तो प्रदेश अध्यक्ष किसी और अंचल से हो सकता है। इन नामों में बैतूल से हेमंत खंडेलवाल, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से डॉ. नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, भोपाल से विधायक रामेश्वर शर्मा, आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते और सुमेर सिंह जैसे नेता शामिल हैं। महिला अध्यक्ष होने की स्थिति में अर्चना चिटनिस, कविता पाटीदार आदि के नामों की चर्चा है। उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के अचानक दिल्ली जाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने को भी प्रदेश अध्यक्ष चुनाव से जोड़ा गया है।
पार्टी ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को प्रदेश अध्यक्ष के चयन के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। अब जब कि जिला अध्यक्ष नियुक्त हो चुके हैं। प्रदेश अध्यक्ष के लिए इनकी राय ली जानी है तो उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भोपाल आएंगे और संभावना है कि अगले कुछ दिनों में प्रदेश भाजपा संगठन को नया मुखिया मिल जाएगा।
बीजेपी नेताओं के फोटो पर रंग, नीचा दिखाने की राजनीति
गुना के पूर्व सांसद डॉ. केपी यादव इनदिनों फिर चर्चा में हैं। इस बार उनकी तस्वीर के साथ छेड़छाड़ कर दी गई। इससे पहले वे इस बात को लेकर खबरों में थे कि दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराने के कारण सिर पर बैठाने वाली बीजेपी ने स्थितियां बदलते ही उन्हें एकदम से हाशिए पर धकेल दिया। लोकसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद से अब तक पूर्व सांसद डॉ. केपी यादव वनवास झेल रहे हैं। पार्टी ने उन्हें आश्वासन जरूर दिया है लेकिन वे सम्मानजनक जिम्मेदारी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
एक तरफ यह इंतजार भारी पड़ रहा है दूसरी तरफ मैदान में अप्रिय घटनाएं हो रही हैं। यह मामला सांसद निधि से उनके द्वारा प्रदान किए गए पानी के टैंकर से जुड़ा है। सांसद रहते हुए उन्होंने नगरपालिका को अपनी निधि से 10 टैंकर प्रदान किए थे। इनपर कलर करने के दौरान पेंटर ने उनके फोटो के ऊपर ही टैंकर का नंबर लिख दिया। खासबात यह है कि टैंकर पर रंगाई का काम नगरपालिका ने ही दिया था। जब डॉ. केपी यादव के समर्थकों ने एक टैंकर पर पूर्व सांसद के फोटो पर ही नंबर लिखा देखा तो हंगामा कर दिया।
हंगामे के बाद पेंटर पर मामला दर्ज किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि यह डॉ. केपी यादव को राजनीतिक रूप से नीचा दिखाने के लिए किया गया था। वैसे ही जैसे मनगवां से बीजेपी विधायक नरेंद्र प्रजापति ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की एक तस्वीर में त्योंथर के विधायक सिद्धार्थ तिवारी को सफेद रंग से ढंक दिया था। जब यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो विधायक सिद्धार्थ तिवारी के समर्थकों ने नाराजगी जताई। बीजेपी विधायकों के इस आपसी संघर्ष पर कांग्रेस ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि ये लोग एक-दूसरे पर कालिख भी पोतने में पीछे नहीं रहेंगे। अब टैंकर पर बीजपी नेता की तस्वीर पर नंबर लिखना भी ऐसी ही वर्चस्व की राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
महू रैली से मिली शक्ति, संगठन को मजबूत करेंगे पटवारी
27 जनवरी को महू में हुई लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी रैली के बाद प्रदेश कांग्रेस में ऊर्जा का संचार हुआ है। अब इस उत्साह और सक्रियत को बनाए रखने की चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कुछ योजनाओं पर कार्य आरंभ किया है। योजना है कि संगठन में कुछ बदलाव और कुछ कार्यक्रमों को जोड़ कर मैदानी स्तर तक जोश बनाए रखा जाए।
राहुल गांधी की रैली के पहले संगठन के वरिष्ठ नेताओं केा अलग-अलग क्षेत्र में भेज कर कार्यकर्ताओं को महू ले जाने का जिम्मा दिया गया था। अब योजना है कि प्रदेश के बड़े नेताओं को मैदान में सक्रिय रखा जाए। इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी प्रदेश में दौरों के साथ कार्यकर्ताओं से संवाद का सिलसिला शुरू करेंगे। जिला और ब्लॉक स्तर तक पहुंच कर वे कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद कर मैदानी स्थितियों को जान पाएंगे और उसके अनुरूप संगठन की गतिविधियों को तय कर पाएंगे। ये दौरे संगठन के पुनर्गठन में सहायक हो सकते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी इस योजना को कारगर तरीके से जमीन पर उतार लाते हैं तो पार्टी में संवाद से समाधान की प्रक्रिया को गति मिल सकती है।