विधायक खरीदे, लहसुन खरीदो: लहसुन लेकर विधानसभा पहुंचे कांग्रेस MLAs, किसानों के समर्थन में किया अनोखा प्रदर्शन
मध्य प्रदेश विधानसभा के बाहर लहसुन लेकर प्रदर्शन करने पहुंचे कांग्रेस विधायक, बोले- सरकार विधायकों को खरीद रही है, लेकिन लहसुन किसानों की उपज खरीदने के पैसे नहीं हैं, किसान अपनी लागत मूल्य भी नहीं निकाल पा रहे हैं

भोपाल। मध्य प्रदेश में लहसुन किसानों का हाल बदतर है। लागत मूल्य तो दूर वे ट्रांसपोर्ट का खर्च भी नहीं निकाल पा रहे हैं। स्थिति ये हो गई है कि कड़ी मेहनत से उपजाई फसल को अब किसान नष्ट करने पर मजबूर हो गए हैं। मंगलवार को कांग्रेस ने लहसुन किसानों के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया। कांग्रेस विधायक लहसुन की बोरियां लेकर विधानसभा पहुंच गए।
विधानसभा के बाहर लहसुन लेकर प्रदर्शन करने पहुंचे कांग्रेस विधायक।
— humsamvet (@humsamvet) September 13, 2022
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दरअसल, मंगलवार से विधानसभा के मॉनसून सत्र की शुरूआत हुई है। सत्र के पहले ही दिन पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव, विधायक जीतू पटवारी, लाखन यादव, पीसी शर्मा, कुणाल चौधरी व अन्य लहसुन की बोरियां लेकर पहुंच गए। कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा के गेट क्रमांक तीन पर लहसुन को फैलाकर देर तक विरोध-प्रदर्शन किया।
विधायक सचिन यादव ने विधानसभा के गेट क्रमांक 3 के पास लहसुन फैलाया।
— humsamvet (@humsamvet) September 13, 2022
कांग्रेस विधायकों ने लगाए नारे"विधायक खरीदे, लहसुन खरीदो"।#MadhyaPradeshAssemblySession #MonsoonSession2022 #CongressMLA #FarmersIssue #FarmersAgitation pic.twitter.com/3GsFzXL9IV
कांग्रेस नेता यहां नारे लगा रहे थे कि "विधायक खरीदे, लहसुन खरीदो।" पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि भाजपा के पास विधायकों को खरीदने के पैसे हैं। लेकिन लहसुन किसानों का उपज नहीं खरीद पा रही है। किसान परेशान हैं। लगातार कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। लेकिन विधायकों को खरीदने वाली इस सरकार को किसानों की कोई परवाह नहीं है।
अच्छी उपज होने के बावजूद मध्य प्रदेश के किसानों की परेशानियां खत्म नहीं हो रही है। यहां की मंडियों में लहसुन और प्याज का रेट लागत मूल्य से काफी कम मिल रहा है। सबसे बड़े उत्पादक रतलाम, मंदसौर, नीमच, इंदौर की मंडियों में थोक में लहसुन 45 पैसे से 1 रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा है। मंडी में लहसुन बेचने पर लागत मूल्य तो दूर वाहन के भाड़े के पैसे भी नहीं निकल पा रहे हैं। स्थिति ये हो गई है कि कड़ी मेहनत से उपजाई फसल को अब किसान नष्ट करने पर मजबूर हो गए हैं।