खुले में मवेशी छोड़े तो पड़ेंगे 25 जूते, MP के शहडोल में पंचायत का तुगलकी फरमान
सोहागपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत खैरहा में खुले में जानवर छोड़ने पर 25 जूता मारकर 1000 का जुर्माना करने की मुनादी कराने का मामला सामने आया है।

शहडोल। मध्य प्रदेश में किसान आवारा पशुओं से परेशान है। राज्य सरकार द्वारा उपयुक्त कदम नहीं उठाए जाने के कारण अब ग्राम पंचायतों ने तुगलकी फरमान जारी करना शुर कर दिया है। शहडोल जिले से ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां पंचायत ने ऐलान किया कि मवेशी को खुला छोड़ने पर पालक को 25 जूते पड़ेंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक शहडोल जिले के सोहागपुर और जयसिंहनगर जनपद में ग्राम पंचायतों द्वारा इस तरह के फरमान जारी किए गए हैं। इसमें ग्रामीणों के ऊपर जुर्माना लगाने के साथ उन्हें सरेआम जूते मारने का ऐलान किया गया है। दो गांवों की गलियों में घूम-घूम कर इसकी मुनादी भी कराई गई है। ये मुनादी खैरहा और नगनौड़ी गांवों में कराई गई हैं।
इस आदेश में कहा गया है कि मवेशियों के खेतों में घुस जाने से किसानों की फसलें चौपट हो रही हैं। किसान परेशान हैं। ऐसे में यदि किसी ग्रामीण के मवेशी खुले में घूमते पाए गए तो उस पर नकद जुर्माना लगेगा। सार्वजनिक रूप से जूते मारने की सजा भी दी जाएगी। पंचायत के इस फैसले के खिलाफ ग्रामीणों ने आक्रोश भी जताया है।
इस मुनादी से जुड़ा एक वीडियो खैरहा का है जिसमें पंचायत का एक कर्मचारी डुगडुगी बजाते हुए गांव भर में मुनादी कर रहा है। वह कह रहा है- 'अपने-अपने मवेशियों को संभालकर रखें। घर में बांध कर रखें। बाद में सरपंच और सचिव को दोष नहीं देना। अगर किसी ग्रामीण के मवेशी ने खेतों में नुकसान किया तो प्रति मवेशी 1000 रुपए जुर्माना और 25 पनही (जूते) मारने का दंड दिया जाएगा।'
शहडोल-अगर खुले में छोड़े जानवर तो पड़ेंगे पांच जूते और होगा 5 सौ का जुर्माना।
— Ravinder Singh Gill (@rgillsdl) July 20, 2023
गाँव के सरपंच सचिव ने मुनादी पिटवा जारी किया तुगलकी फरमान। @OfficeofSSC@brajeshabpnews @gyanendrat1 pic.twitter.com/ggRrZZ7Qfu
खैरहा में इस आदेश का विरोध हो ही रहा था कि जयसिंहनगर जनपद के नगनौड़ी गांव से भी ऐसा ही वीडियो आ गया। यहां भी खुलेआम डुगडुगी बजाकर मुनादी कराई गई कि मवेशी आवारा घूमते पाए जाने पर उनके मालिक पर 500 रुपए का जुर्माना लगेगा और 5 जूते मारे जाएंगे। इस तरह की मुनादी को लेकर पूरे गांव में रोष है। गांव वालों ने इस फैसले को रद्द करने और ऐसा ऐलान कराने वाले सरपंच और सचिव पर कार्रवाई की मांग की है।