सोयाबीन खरीदी पर मोहन सरकार कनफ्यूज्ड, तय MSP से भी कम में खरीदी का भेजा केंद्र को प्रस्ताव

मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि हम किसानों के हित में सोयाबीन का दाम 4800 रुपए क्विंटल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है, जबकि सोयाबीन का तय MSP पहले से ही इससे ज्यादा है।

Updated: Sep 10, 2024, 05:07 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल किए जाने की मांग को लेकर किसान आंदोलित हैं। सोयाबीन किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदेशभर में सम्मेलन कर रहे हैं। आंदोलन के बावजूद राज्य सरकार किसानों की मांग को लेकर गंभीर नहीं है। हालत ये है कि राज्य सरकार ने कैबिनेट बैठक कर पहले से तय एमएसपी से भी कम में सोयाबीन खरीदने संबंधी प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया है।

दरअसल, केन्द्र सरकार ने इस साल सोयाबीन के समर्थन मूल्य 4892 रुपए तय किया है। इसे लेकर किसानों में भयंकर आक्रोश है। मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन कर रहे हैं। सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिए आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने 16 सितंबर से आंदोलन की चेतावनी दी है। इसके बाद जब मोहन यादव सरकार ने कैबिनेट में बैठक कर प्रस्ताव बनाया तो वह तय एमएसपी से भी कम का।

विडंबना ये है कि राज्य सरकार के मंत्रियों अथवा उनके मातहत काम करने वाले अफसरों को ये ही नहीं पता कि सोयाबीन का एमएसपी कितना और किसानों की मांग क्या है? कैबिनेट बैठक के बाद राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि हमने किसान हित में खुद से पहल करते हुए केंद्र को प्रस्ताव भेजा है कि सोयाबीन का एमएसपी बढ़ाकर 4800 रुपए क्विंटल किया जाए। जबकि सोयाबीन का एमएसपी पहले से इससे 92 रुपए अधिक है।

इतना ही नहीं शायद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी अपने राज्य के मुख्य फसल की एमएसपी की जानकारी नहीं है। शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4 हजार 994 रुपए प्रति क्विंटल तय है। यानी उन्होंने 102 रुपए ज्यादा बढ़ाकर बोल दिया। इससे पता चलता है कि सोयाबीन खरीदी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार कितनी कन्फ्यूज्ड है।

मामले पर किसान नेता केदार सिरोही ने राज्य सरकार पर हमला बोला है। सिरोही ने कहा कि कैबिनेट बैठक का यह प्रस्ताव ही गलत है। पहले से एमएसपी 4892 है तो उससे कम के खरीदी का प्रस्ताव कैबिनेट से कैसे पास हो सकता है। ये दर्शाता है कि किसानों को लेकर भाजपा सरकार कितनी गंभीर है। हमारी मांग 6 हजार रुपए क्विंटल करने का है। हम आंदोलन इसलिए कर रहे हैं कि हमें तय एमएसपी से ज्यादा दिया जाए। पड़ोस के राज्य बोनस भी दे रहे हैं। लेकिन हमारे प्रदेश के मंत्रिमंडल ने बेशर्मी की सभी हदें पार कर दी। तय एमएसपी से कम रेट का प्रस्ताव क्यों भेजा गया यह समझ से परे है।