88 हजार करोड़ रुपए कर्ज लेगी मोहन सरकार, कमलनाथ बोले- ब्याज चुकाने के लिए क़र्ज़ ले रही सरकार
मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार लगातार कर्ज लेकर ठेका देने और कमीशन बटोरने में लगी रहती है और जनता पर क़र्ज़ का बोझ बढ़ता जाता है। यह ग़लत आर्थिक नीतियों और अपरिपक्व निर्णयों की देन है: कमलनाथ

भोपाल। मध्य प्रदेश की सरकार एक बार फिर भारी कर्ज लेने जा रही है। यह कर्ज 88 हजार 540 करोड़ रुपये का होगा। राज्य सरकार 73 हजार 540 करोड़ रुपये बाजार से और 15 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार से लेगी। पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले यह कर्ज 38 फीसदी ज्यादा है। इसे लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज लिया जा रहा है।
कमलनाथ ने ट्वीट किया, 'मध्य प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये 88450 करोड़ रुपये क़र्ज़ लेने जा रही है। इसके पूर्व मध्यप्रदेश पर 3.50 लाख करोड़ से अधिक का क़र्ज़ है। वर्तमान प्रस्तावित क़र्ज़ के बाद मध्यप्रदेश पर लगभग 4.38 लाख करोड़ का क़र्ज़ हो जायेगा। कर्ज में डूबी मध्यप्रदेश सरकार की हालत यह हो चुकी है कि अब इन्हें क़र्ज़ का ब्याज चुकाने के लिए भी क़र्ज़ लेना पड़ता है। यह ग़लत आर्थिक नीतियों और अपरिपक्व निर्णयों की देन है।'
कमलनाथ ने आगे लिखा, 'मैं पहले भी कह चुका हूँ कि मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार लगातार कर्ज लेकर ठेका देने और कमीशन बटोरने में लगी रहती है और जनता पर क़र्ज़ का बोझ बढ़ता जाता है। मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूँ कि प्रदेश की जनता को और अधिक क़र्ज़ के बोझ में दबाने की बजाय प्रदेश पर मौजूदा क़र्ज़ को चुकाने और कर्जमुक्त मध्यप्रदेश बनाने की दिशा में पहल करें।'
बता दें कि पूर्ववर्ती शिवराज सरकार द्वारा कर्ज लेकर शुरू की गई योजनाएं मौजूदा मोहन यादव सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं। हालत ये है कि राज्य सरकार के पास लाडली बहना योजना जारी रखने के लिए फंड नहीं है। योजना की किश्त देने व अन्य योजनाओं के संचालन हेतु अब मोहन यादव सरकार कर्ज पर ही निर्भर है। लाड़ली बहना योजना में हर साल 18 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इसके अलावा 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली देने में 5,500 करोड़ रुपए, कृषि पंपों पर सब्सिडी पर 17 हजार करोड़ रुपए चाहिए।
वित्त विभाग ने पिछले महीने अन्य राज्यों में स्थित मप्र सरकार की संपत्तियों की जानकारी सभी विभागों से मांगी थी। बढ़ते कर्ज के बीच प्लान है कि इन संपत्तियों में जो कानूनी पचड़ों से परे हैं, उन्हें किराये पर देकर या बेचकर अतिरिक्त आय जुटाई जाए। जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र, यूपी, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में मप्र की 1 लाख करोड़ की संपत्तियां हैं। सबसे अधिक मुंबई में 50,000 करोड़ की लगभग 465 संपत्तियां हैं। वित्त विभाग द्वारा संपत्ति का वर्तमान मूल्य और उसकी कानूनी स्थिति की जानकारी भी मांगी गई है।