MP: बाल संरक्षण आयोग द्वारा मदरसों की जाँच में खुलासा, भोपाल में पढ़ रहे बिहार के 24 बच्चों की एक ही जन्मतिथि, एक भी छात्र स्थानीय नहीं

भोपाल के बाणगंगा इलाके में संचालित मदरसे में पढ़ने वाले एक भी स्थानीय छात्र नहीं है, सभी 35 छात्र बिहार के मधुबनी और पूर्णिया जिले के रहने वाले है, इन छात्रों का पहचान पात्र भी एक ही है और 35 छात्रों में से 24 छात्रों की जन्मतिथि भी एक ही है।

Updated: Jun 14, 2022, 07:28 AM IST

Photo Courtesy: NDTV
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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मदरसों की जांच में नियमों की अनदेखी का मामला सामने आया है भोपाल के इन मदरसों का निरीक्षण मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग, बाल कल्याण समिति और पुलिस द्वारा किया गया। ये दोनों मदरसे एमपी स्टेट मदरसा बोर्ड में पंजीकृत थे। भोपाल के बाणगंगा इलाके में संचालित एक मदरसे की जांच में नियमों की अनदेखी व चौकाने वाली बात सामने आई है। इस मदरसे में पढ़ने वाले 35 छात्र बिहार के मधुबनी और पूर्णिया के रहने वाले हैं। ये सभी छात्र 12 से 15 वर्ष है और इन छात्रों का पहचान पत्र एक ही है। इन 35 छात्रों में से 24 छात्रों की जन्मतिथि भी एक ही है। इन छात्रों की जन्मतिथि 1 जनवरी दर्ज है। 

भोपाल पुलिस ने एक दिन पहले ही अपनी जांच में पाया था कि 10 नाबालिक छात्रों को एक स्थानीय रेलवे स्टेशन पर माता-पिता की इजाजत के बिना भोपाल लाया गया है। गौर करने वाली बात ये है कि इस्लामिक तालीम के साथ शिक्षा हासिल देने वाले इन मदरसों में एक भी छात्र स्थानीय नहीं है। इन मदरसों के कर्मचारियों का कहना है कि ये बच्चे उनके माता पिता की सहमति से यहां पढ़ रहे हैं, लेकिन मदरसा के कर्मचारी इस संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नही कर पाए।

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बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने बताया कि, ज्यादातर बच्चों को भोपाल के इन मदरसों में उनके गांव के मुखिया द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेजों के आधार पर भेजा गया था। हालांकि मदरसे में मौजूद कुछ बच्चों का कहना है कि वो पहले ही उनके गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं। यह भी पाया गया कि इन दोनों मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को सिर्फ धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी और किसी भी प्रकार की अन्य बुनियादी शिक्षा नही दी जा रही थी। ये मदरसे अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के नाम पर खोले गए थे। दोनों मदरसे बिना किसी मंजूरी के आवासीय हॉस्टल भी संचालित कर रहे थे। हालांकि हॉस्टल के नाम पर टिन शेड में रखे गए इन बच्चों के लिए शौचालय की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं थी।

चौहान का कहना है कि हमने बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य की पुलिस को भी पत्र लिखकर इस मामले की अपने स्तर पर तहकीकात करने का अनुरोध किया है। साथ ही यह भी पता लगाने को कहा है कि कैसे पर्याप्त दस्तावेज या अभिभावकों की लिखित सहमति के बिना इन छात्रों को बिहार से भोपाल लाया गया।