6000 रुपए क्विंटल से कम नहीं होना चाहिए भाव, सोयाबीन उत्पादकों के समर्थन में उतरे दिग्विजय सिंह
देश में लगभग 50% से अधिक सोयाबीन मध्यप्रदेश में पैदा की जाती है। सन 2011 से लेकर आज तक लागत दुगनी-तिगुनी हो गई लेकिन सोयाबीन का भाव वही का वही है: दिग्विजय सिंह
भोपाल। मध्य प्रदेश में सोयाबीन पीला सोने के नाम से जाना जाता है। लेकिन हाल के वर्षों में सोयाबीन की खेती घाटे का सौदा बन गई है। सरकार की गलत नीतियों के कारण सोयाबीन उत्पादक किसानों को काफी निराश होना पड़ रहा है। आलम यह है कि 12 वर्षों पहले सोयाबीन जिस भाव से बिक रहा था आज उससे भी कम भाव चल रहे हैं। इसे लेकर किसानों में भयंकर आक्रोश है और यह महाआंदोलन का रूप लेता नजर आ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने सोयाबीन का भाव बढ़ाने की मांग की है।
पूर्व सीएम सिंह ने किसानों ने समर्थन में बयान जारी कर कहा, 'देश में लगभग 50% से अधिक सोयाबीन मध्यप्रदेश में पैदा की जाती है। सन 2011 से लेकर आज तक लागत दुगनी तिगुनी हो गई लेकिन सोयाबीन का भाव वही का वही है। ₹4300 क्विंटल 2011 में और अभी उसी के आस पास है क्योंकि सोयाबीन की फसल का भाव अंतरराष्ट्रीय सोयाबीन के उत्पादन पर निर्भर करता है और इस साल जो संभावना है वह यही है कि जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन का भाव इस प्रकार का रहेगा जिसमें जो अभी तक 4000, 4300 बिकता था शायद वह भी ना मिल सके।'
पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव से अपील करते हुए कहा कि हमारे अधिकांश किसान खरीफ में सोयाबीन की फसल बोते हैं और उसके उत्पादन की खरीद सरकार को अवश्य करना चाहिए। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सोयाबीन का न्यूनतम भाव आज की लागत को देखते हुए लगभग ₹6000 क्विंटल से कम नहीं होना चाहिए, यह मैं आपसे मांग करता हूं और यही मध्यप्रदेश के 100% किसानों की मांग भी है, इस बात पर आप पूरा ध्यान दें।
बता दें कि सोयाबीन का रेट 6000 रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग तेज हो गई है। प्रदेशभर के किसानों ने सोशल मीडिया पर इसके लिए मुहिम छेड़ दिया है। इतना ही नहीं 1 सितंबर को इसे लेकर औपचारिक आंदोलन की शुरुआत होने वाला है। इस आंदोलन के लिए प्रदेशभर के विभिन्न संगठनों के करीब 2000 किसान नेता एकसाथ आए हैं। राज्य के करीब पांच हजार गांवों के किसान एकसाथ इस आंदोलन को शुरू करने जा रहे हैं। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री ने भी किसानों की मांगों का समर्थन किया है।