हम भारत के लोग... भोपाल के 5 हजार परिवारों तक संविधान की उद्देशिका पहुंचाएगी कांग्रेस

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने किया उद्देशिका का विमोचन, मध्य प्रदेश कांग्रेस की युवा टीम ने राजधानी के लोगों तक इसे पहुंचाने का बीड़ा उठाया है

Updated: Jan 26, 2021, 10:26 AM IST

Photo Courtesy: The Presidential system
Photo Courtesy: The Presidential system

भोपाल। गणतंत्र दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने आज एक अहम पहल की शुरुआत की है। प्रदेश कांग्रेस ने राजधानी भोपाल के पांच हजार परिवारों तक भारतीय संविधान की उद्देशिका या प्रस्तावना (Preamble) पहुंचाने का संकल्प लिया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने आज उद्देशिका का विमोचन किया है। इसे जन-जन तक पहुंचाने का उद्देश्य यह है कि लोगों को इस बात को लेकर जागरूक किया जाए कि देश का संविधान जनता के लिए है तथा जनता ही अंतिम संप्रभु है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर इस बारे में बताया, 'संविधान की उद्देशिका का वितरण, कांग्रेस की युवा टीम ने संविधान की उद्देशिका को भोपाल के 5000 परिवारों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। उद्देशिका का विमोचन आज पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य श्री दिग्विजय सिंह जी द्वारा किया गया। जय संविधान, जय हिन्दुस्तान।'

 

 

इसके पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आज सुबह पीसीसी के बाहर उद्देशिका का पाठ किया और देश की गरिमा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने 'बांटने वाली ताकतें परास्त हों', भारत माता की जय और लोकतंत्र अमर रहे जैसे नारे लगाए।

संविधान की उद्देशिका की मुख्य बातें

भारतीय संविधान की उद्देशिका या प्रस्तावना (Preamble) 13 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा में जवाहरलाल नेहरू द्वारा पेश किये गए उद्देश्य प्रस्ताव (Objective Resolution) पर आधारित है। यह संकल्प/प्रस्ताव 22 जनवरी, 1947 को अपनाया गया था। 

भारतीय संविधान की उद्देशिका यह घोषणा करती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है। इसी कारण यह ‘हम भारत के लोग’ से प्रारम्भ होती है। उद्देशिका यह बताती है कि संविधान जनता के लिए हैं तथा जनता ही अंतिम सम्प्रभु है। संविधान के 42वें संशोधन (1976) द्वारा संशोधित यह उद्देशिका कुछ इस तरह है:

"हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की और एकता अखंडता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प हो कर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० "मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हज़ार छह विक्रमी) को एतद संविधान को अंगीकृत, अधिनियिमत और आत्मार्पित करते हैं।"