MP: कसरावद, सनावद और खंडवा में दलितों को मंदिर जाने से रोका, निमाड़ में बढ़ी जातीय संघर्ष की घटनाएं

खरगोन जिले के कसरावद और सनावद तहसील में दलित महिलाओं को महाशिवरात्रि पर मंदिर जाने से रोका, सनावद में दो समुदायों के बीच हुई मारपीट में 14 लोग घायल

Updated: Feb 19, 2023, 02:29 PM IST

खरगोन। मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल में जातीय संघर्ष की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। महाशिवरात्रि के मौके पर निमाड़ अंचल में कई जगहों पर दलितों को मंदिर जाने से रोके जाने की खबर सामने आई है। सनावद में तो दो समुदायों के बीच तनाव हिंसा में तब्दील हो गया। इस दौरान 14 लोग घायल हुए हैं। खरगोन के कसरावद और खंडवा जिले में भी दलितों को कथित तौर पर मंदिर जाने से रोका गया।

पहला मामला खरगोन जिले के सनावद का है। पुलिस ने बताया कि सनावद इलाके के छपरा गांव में तीन अन्य समुदायों के लोगों द्वारा बनाए गए शिव मंदिर में दलित महिलाओं के पूजा करने को लेकर उत्पन्न हुई बहस मारपीट में बदल गई। इस दौरान दोनों पक्षों में जमकर पत्थरबाजी हुई, जिसमें 14 लोग घायल हो गए। दलित समुदाय के एक व्यक्ति प्रेमलाल ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि गुर्जर समुदाय के भैया लाल पटेल के नेतृत्व में एक समूह ने दलित लड़कियों को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया था।

बताया जा रहा है कि इस गांव में 5 दिन पहले ही गुर्जर समाज के लोगों ने दलित समुदाय के 6 लोगों के खिलाफ मंदिर के पास बरगद के पेड़ को काटने को लेकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिससे गांव में तनाव पसरा था। महाशिवरात्रि के दिन जब दलित समुदाय की लड़कियां पूजा करने आईं तो कथित तौर पर गुर्जर समाज के भैयालाल पटेल और अन्य लोगों ने उन्हें रोका। इस बीच दलित समाज के कुछ युवक वहां पर आ गए और विवाद बढ़ गया। मामले में पुलिस ने 17 संदिग्धों और 25 अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगा करने और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है।

दूसरा मामला खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर कसरावद थाने के छोटी कसरावद गांव का है। यहां रहने वाले बलाई समाज का आरोप है कि गांव की रसूखदार महिलाओं ने उनके साथ मारपीट की और उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं।शिकायतकर्ता मंजू बाई ने दावा किया है कि महिलाओं द्वारा शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए उनकी जाति को लेकर दुर्व्यवहार किया गया और धक्का-मुक्की की गई। पुलिस ने कहा कि एक मामले में पांच लोगों के खिलाफ जातिगत भेदभाव कानून के तहत आरोप लगाए गए हैं। 

इसी तरह खंडवा के हरसूद तहसील अंतर्गत बैलवाड़ी गांव में भी महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने गए दलितों को मंदिर में एंट्री नहीं दी गई। गांव में दलित समुदाय के लोगों का कहना है कि शनिवार सुबह कोटवार हुकुमचंद का बेटा शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए मंदिर पहुंचा, यहां पुजारी ने उसे मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया। फिर जब दलित समाज की कुछ लड़कियां मंदिर आईं, तो उन्हें भी अनुमति नहीं दी गई। इस घटना के बाद दोनों पक्षों में तनाव कायम हो गया।

मामले के तूल पकड़ने के बाद डायल 100 को सूचना देकर पुलिस को बुलाया गया। हरसूद टीआई अंतिम पंवार भी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। टीआई अंतिम पंवार ने बताया कि डायल 100 को सूचना मिली थी कि बैलवाड़ी में एक मंदिर में कुछ लोगों को जलाभिषेक करने से रोका जा रहा है। मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाइश दी जिसके बाद मामला शांत हो गया। पुलिस ने कहा कि फ़िलहाल किसी भी पक्ष ने शिकायत नहीं की है, अगर शिकायत होती है तो कार्यवाही की जाएगी।

दलित समाज की लड़ाई लड़ने वाले अखिल भारतीय बलाई महासंघ के अध्यक्ष मनोज परमार ने कहा कि निमाड़ के हर चौथे गांव में इस तरह का माहौल है। उन्होंने कहा कि अकसर दलितों को पूजा-पाठ और मंदिर जाने से रोका जाता है। ऐसा करने वाले आरोपियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो दलित समाज बड़ा आंदोलन करेगा।