बेस्ट मैनेजमेंट के लिए मप्र के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को मिला अवार्ड, अर्थ नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज से नवाजा गया
होशंगाबाद स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन के क्षेत्र में अर्थ गार्जियन केटैगरी में नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज अवार्ड मिला, वन मंत्री विजय शाह ने टाइगर रिजर्व प्रबंधन की तारीफ की, यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज की संभावित लिस्ट में भी शामिल

भोपाल। टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश ने एक और मुकाम हासिल कर लिया है। देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को बेस्ट मैनेजमेंट के लिये अर्थ नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज पुरस्कार से नवाजा गया है। होशंगाबाद स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन के लिये अर्थ गार्जियन केटैगरी में अवार्ड मिला है। नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज का अवार्ड मिलने की जानकारी मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने दी है। इस उपलब्धि के लिए उन्होंने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन और जमीनी अमले की जमकर तारीफ की है।
प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन के लिये अर्थ गार्जियन श्रेणी में नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज का पुरस्कार मिला है।
— Department of Forest, MP (@minforestmp) July 28, 2021
वन मंत्री @KunwarVijaySha2 ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन को बधाई दी है। pic.twitter.com/iuwHyRonn8
डेक्कन बायो-जियोग्राफिक क्षेत्र का एक भाग टाइगर रिजर्व
होशंगाबाद स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व अपनी प्राकृतिक सुंदरता और बाघों के लिए जाना जाता है। इसका क्षेत्रफल 2130 वर्ग किलोमीटर है। यह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व डेक्कन बायो-जियोग्राफिक क्षेत्र का एक भाग है। इस इलाके को प्रकृति ने एक से बढ़कर एक नेमतों से नवाजा है। यहां जितनी विविधता जीव जन्तुओं में है, उतने ही तरह की वनस्पतियां भी मौजूद हैं। टाइगर रिजर्व के आसपास बिखरी प्राकृतिक सुंदरता यहां आने वालों का मनमोह लेती है। इस सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को देश के सबसे पुराने वन संपदा में से एक होने का गौरव प्राप्त है। इसे इसके वर्तमान स्वरूप में रखने के लिए कड़ी मेहनत और सटीक प्लानिंग के तहत रखा गया है।
टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मप्र में हैं 526 बाघ
देश में सबसे ज्यादा बाघों की संख्या मध्यप्रदेश में है। तीन साल पहले यहां 526 बाघ मिले थे, तब से प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है। इस साल भी प्रदेश का यह दबदबा बरकरार रहने की उम्मीद है, प्रदेश के उमरिया स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मई में दो नवजात बाघ शावक मिले थे। जिसके बाद वहां एक साल तक के 41 बाघ शावक हो गए थे। प्रदेश में पांचों टाइगर रिजर्वों में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है। जिसके बाद मध्यप्रदेश का टाप पर रहने की प्रबल संभावना बनी है।
वर्ल्ड हैरिटेज की संभावित लिस्ट में मिली है जगह
होशंगाबाद स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को वर्ल्ड हैरिटेज की संभावित लिस्ट में इसी साल मई महीने में स्थान मिला था। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1981 में की गई थी। इसकी खूबी यह है कि यहां जंगली जानवर अपने प्राकृतिक आवास में रहते हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 1300 से ज्यादा प्रजातियों के वृक्ष मौजूद हैं। इसके बफर-ज़ोन जोन में टाइगर, चीतल, नील गया, बारहसिंघा, हाथी समेत स्तनधारी जीवों की 50 से ज्यादा स्पीसीज, पक्षियों की 254, रेप्टाइल्स की 30 से ज्यादा स्पीसीज, बटरफ्लाय की 50 प्रजातियां मौजूद हैं। यहां हुए बर्ड्स सर्वे में 270 प्रजातियों के पक्षियों के होने की पुष्टि हो चुकी है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के आसपास 1500 से 10,000 साल पुरानी पेंटिंग मौजूद है। वहीं 50 से ज्यादा रॉक शेल्टर हैं।
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मध्य प्रदेश में टाइगर कंजरवेशन के लिए काफी काम हो रहा है। इसके तहत बाघों को दूसरे संरक्षित क्षेत्रों से लाकर पन्ना टाइगर रिजर्व में रेस्क्यू करके रखा गया। पिछले 9 सालों में यहां 20 से ज्यादा वयस्क और 15 बाघ शावक मौजूद हैं। इस तरह पन्ना में ही शावकों सहित लगभग 50 बाघ मौजूद हैं।
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मध्यप्रदेश का घोरेला मॉडल दुनिया में प्रसिद्ध
मध्य प्रदेश का घोरेला मॉडल काफी सराहा गया है। इसक तहत अनाथ हुए शावकों को उनके प्राकृतिक आवासों में रखा जाता है। इसकी शुरुआत 2005-06 से हुई थी। जंगलों से बिछड़े और अनाथ हो चुके बाघ शावकों को उनके नेचुरल आवास में रखने की पहल की शुरुआत हुई थी।