नहीं रहे पद्मश्री से सम्मानित एसएन सुब्बाराव, चंबल के डाकुओं का कराया था आत्मसमर्पण

जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में एसएन सुब्बा राव का निधन हो गया, आज उनका पार्थिव शरीर मुरैना लाया जाएगा, उनके पार्थिव शरीर को सेवा आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा

Updated: Oct 27, 2021, 11:32 AM IST

Photo Courtesy: Wikipedia
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जयपुर/भोपाल। पद्मश्री एसएन सुब्बाराव का बुधवार सुबह निधन हो गया। सुब्बा राव ने जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में अंतिम सांस ली। तीन दिन पहले ही सांस लेने में तकलीफ होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक मंगलवार शाम को हृदयघात होने की वजह से उनकी हालत बेहद नाजुक थी। अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा था। लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद सुब्बा राव हमारे बीच नहीं रहे। सुबह करीब चार बजे उनका निधन हो गया। 

सुब्बाराव के पार्थिव शरीर को आज मुरैना लाया जाएगा। मुरैना के जौरा स्थित गांधी सेवा आश्रम में उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। गुरुवार को सुब्बा राव का अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने गांधीवदी विचारक के निधन पर शोक व्यक्त किया है। राज्यसभा सांसद ने गांधीवादी विचारक के निधन पर कहा कि मध्य प्रदेश की चंबल घाटी में शांति स्थापित करने में उनका अद्वितीय योगदान रहा। उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। 

सुब्बा राव को भारत सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया था। मध्य प्रदेश के चम्बल में डाकुओं का आतंक खत्म करने में सुब्बा राव का अहम योगदान माना जाता है। अप्रैल 1972 में उन्होंने एक साथ 654 डाकुओं का आत्मसमर्पण कराया था। इसके अलावा उन्होंने अपने जौरा आश्रम में करीब 450 डकैतों और राजस्थान के धौलपुर के 100 डकैतों का गांधी जी के प्रतिमा के सामने आत्मसमर्पण कराया था। इसके साथ ही उन्होंने कुपोषण को लेकर भी काफी काम किया था।

सुब्बा राव का जन्म 7 फरवरी 1929 को बेंगलुरु में हुआ था। वे अपने जीवन के प्रारंभ में ही आजादी के आंदोलन से जुड़ गए थे। सुब्बा राव जीवन पर्यंत गांधी जी के विचारों पर चलते रहे।