सुप्रीम कोर्ट ने OBC वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने पर रोक नहीं लगाई, अरुण यादव ने मोहन सरकार को घेरा

मप्र सरकार का यह कहना कि वह ओबीसी के हक में सुप्रीम कोर्ट में गई तो यह गुमराह करने वाला है। ट्रांसफर पिटिशन को लेकर गलत व्याख्या की जा रही है: कमलनाथ

Updated: Feb 14, 2025, 07:40 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में OBC आरक्षण को लेकर सियासत गर्म है। ओबीसी को 27% आरक्षण के मुद्दे पर सीएम मोहन यादव ने कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इधर, कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई ही नहीं है। कांग्रेस नेता अरुण यादव से लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ तक ने आरक्षण लागू नहीं हो पाने के लिए राज्य की भाजपा सरकार को कसूरवार ठहराया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने शुक्रवार को ओबीसी आरक्षण मामले में राज्य सरकार को घेरते हुए कई सवाल पूछे हैं। अरुण यादव ने कहा कि भाजपा की विचारधारा हमेशा दलित, आदिवासी एवं पिछड़ों की विरोधी रही है, इसीलिए समय समय पर भाजपा के नेताओं ने आरक्षण का विरोध किया है, अब मप्र की कांग्रेस सरकार ने जो अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिया था उसे वर्षों तक रोकने का कार्य किया है। विगत दिनों हाइकोर्ट ने उस याचिका को ही खारिज कर दिया था जिसका सहारा लेकर भाजपा सरकार आरक्षण रोकती थी और आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि उसने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण कानून पर कोई स्टे नहीं दिया उन्होंने सिर्फ हाइकोर्ट में प्रकरणों को सुनने पर स्टे दिया है।

अरुण यादव ने राज्य सरकार से पूछा कि आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण लागू करने की अनुमति क्यों नहीं मांगी? अब आरक्षण विरोधी भाजपा सरकार बताएं अभी तक 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण क्यों एवं किसके कहने पर रोका गया था? WP 18105/2021 का सहारा लेकर ओबीसी आरक्षण रोकने की सलाह सरकार को किसने दी थी? सरकार ओबीसी के होल्ड पदों पर भर्ती प्रक्रिया कब से शुरू करेगी ?

मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर राज्य सरकार पर ढुलमुल रवैया अपनाने के आरोप लगाए हैं। साथ ही एक विस्तृत प्रेस स्टेटमेंट भी जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के मामले में मध्य प्रदेश सरकार की एक चूक से संवैधानिक संकट की स्थिति बन गई है। इसका बड़ा कारण विधायिका द्वारा बनाए गए कानून का पालन नहीं कराना संवैधानिक संकट की परिधि में आता है। विधायिका द्वारा पिछड़े वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के कानून पर हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई रोक नहीं लगाई गई है। यद्यपि मध्य प्रदेश में 2018 तक पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण मिलता था लेकिन जब वे सीएम बने, पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून विधानसभा से पारित कराया।

कमलनाथ ने आगे कहा कि अब 2021 की स्थिति बन गई है। जिसमें 27 प्रतिशत आरक्षण लागू होता है क्योंकि पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर कोई स्टे आर्डर जारी नहीं किया है। उसने सिर्फ इतना है कि लंबित याचिकाओं को लेकर 21 मार्च 2025 को यह तय होगा कि मामले पर वे स्वंय या हाईकोर्ट सुनवाई करें। इस मामले में मप्र सरकार का यह कहना कि वह ओबीसी के हक में सुप्रीम कोर्ट में गई तो यह गुमराह करने वाला है। ट्रांसफर पिटिशन को लेकर गलत व्याख्या की जा रही है।