सुरखी उपचुनाव : गोविन्द सिंह राजपूत और पारुल साहू की सियासी टक्कर में किसकी होगी जीत, आज आएगा फ़ैसला

काग्रेस उम्मीदवार पारुल साहू और बीजेपी के प्रत्याशी गोविन्द सिंह राजपूत के बीच पहले भी मुक़ाबला हो चुका है, लेकिन इस बार दोनों पार्टियों की बदला-बदली करके मैदान में उतरे हैं

Updated: Nov 10, 2020, 06:00 AM IST

Photo Courtesy : Patrika
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सागर। सागर ज़िले के अंतर्गत आने वाली सुरखी विधानसभा सीट काफी सुर्ख़ियों में है। इस सीट पर सिंधिया के साथ पाला बदलकर बीजेपी में आए गोविन्द सिंह राजपूत बीजेपी के प्रत्याशी हैं, जिनकी टक्कर इस बार बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाली पारुल साहू से है। यह पहली बार नहीं है जब दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले 2013 में गोविन्द सिंह राजपूत और पारुल साहू एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। तब पारुल साहू ने मामूली अंतर से गोविन्द सिंह राजपूत को हरा दिया था। 

सुरखी विधानसभा क्षेत्र में कुल 1,92,825 मतदाता हैं। जिनमें 1,05,169 पुरुष वोटर हैं जबकि 87,655 महिला वोटर हैं। सुरखी विधानसभा सीट पर 2018 में 75.48 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि 2013 और 2008 में क्रमशः 73.93 और 74.05 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस दफा पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले सुरखी में वोट फीसदी में गिरावट दर्ज की गई है। उपचुनाव में सुरखी विधानसभा सीट पर 73.72 फीसदी वोटिंग हुई है। 

क्या कहता है सुरखी का समीकरण 

सुरखी विधानसभा के इतिहास को देखा जाए तो यहां जातीय समीकरण का कभी बोलबाला नहीं रहा है। यहां प्रत्याशी को जीत दिलाने में सभी समुदायों का योगदान रहता है। सड़क, नाली, पानी और बिजली जैसे विकास के मुद्दों पर चुनावी माहौल तैयार होता है। प्रत्याशियों के प्रचार अभियान को देखें तो एक ओर गोविंद सिंह राजपूत राम मंदिर और मोदी के नाम पर वोटर्स को साधने की जुगत में लगे रहे, वहीं पारुल साहू लगातार मतदाताओं को यह बताती रहीं कि गोविंद राजपूत ने कैसे उनके बहुमूल्य मत का सौदा किया है।

सुरखी विधानसभा सीट से गोविन्द सिंह राजपूत 2003, 2008 और 2018 में विधायक रह चुके हैं। 2013 में गोविन्द सिंह राजपूत तत्कालीन बीजेपी उम्मीदवार पारुल साहू से चुनाव हार गए थे। हालांकि पारुल साहू ने उन्हें महज़ 141 वोटों से हराया था। 2013 के चुनाव में पारुल साहू को 59,513 वोट मिले थे जबकि गोविन्द सिंह राजपूत को 59,372 वोट मिले थे। 2018 में बीजेपी ने पारुल साहू की जगह सुधीर यादव को मैदान में उतारा और गोविन्द सिंह राजपूत ने बड़ी आसानी से चुनाव जीत लिया। गोविन्द सिंह राजपूत को पिछले चुनाव में 80,806 वोट मिले थे। जबकि सुधीर यादव को 59,388 वोट मिले थे। 

भले ही पारुल साहू एक बार गोविन्द सिंह राजपूत को हरा दे चुकी हों, लेकिन पिछले चुनाव में गोविन्द सिंह राजपूत ने उन्हें बड़े अंतर से हराया था। गोविन्द सिंह राजपूत 20 हज़ार वोटों से पिछला चुनाव जीते हैं। ऐसे में पारुल साहू और गोविन्द सिंह राजपूत के बीच मुकाबला दिलचस्प है। क्योंकि इस चुनाव में दोनों ने ही एक दूसरे के खिलाफ अपनी अपनी पार्टी बदल कर चुनाव लड़ा है। लिहाज़ा इस चुनाव में दोनों में जो उम्मीदवार पार्टी बदल लेने के बावजूद मतदाताओं का भरोसा हासिल करने में कामयाब हुआ होगा, बाज़ी उसी के हाथ लगेगी।