शहडोल जिला अस्पताल में 23 बच्चों की मौत, 240 दिनों में 375 नवजात ने तोड़ा दम

शहडोल जिला अस्पताल में दो और बच्चों ने तोड़ा दम, 17 दिन में 23 नवजात बच्चों की हुई मौत, कुपोषण और डॉक्टरों की कमी दोनों ज़िम्मेदार

Updated: Dec 14, 2020, 11:20 PM IST

Photo Courtesy: Naidunia
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शहडोल। रविवार को कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल में दो और मासूम बच्चों की मौत हो गई। जिसके बाद 26 नवंबर से 14 दिसंबर के बीच यहां मरने वाले बच्चों की संख्या 23 हो गई है। इसी अस्पताल के SNCU और PICU में भर्ती तीन अन्य बच्चों की हालत नाजुक है। अस्पताल के SNCU और PICU में इलाज के दौरान दो बच्चों ने दम तोड़ा है। मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने मामले में जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। 

एक बच्ची की मौत मां का दूध पीते समय श्वास नली में दूध फंसने से होना बताया जा रहा है वहीं दूसरी बच्ची को बुखार और सर्दी थी। रविवार तक जिला अस्पताल के SNCU वार्ड में कुल 28 बच्चे और PICU में 7 बच्चे भर्ती थे। यहां के प्रभारी डाक्टर निशांत प्रभाकर का कहना है कि पाली से इलाज कराने आई बच्ची सुहानी बैगा की मौत बुखार और सर्दी के कारण हुई है बच्ची को बेदह गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। वहीं उमरिया से आई बच्ची रितु बैगा ठीक हो गई थी, लेकिन मां द्वारा फीडिंग करते वक्त दूध बच्ची की श्वांस नली जाने से उसकी मौत हो गई ।

गौरतलब है कि शहडोल दौरे के दौरान स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने जिला अस्पताल के CMHO और SC को हटा दिया था, बावजूद इसके अस्पताल की हालत में कोई सुधार नहीं नजर आ रहा है।

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शहडोल जिला अस्पताल में अप्रैल 2020 से नवंबर 2020 तक के बीच 240 दिनों में 375 बच्चों की मौत हो चुकी है। जिनमें एसएनसीयू में 262 और पीआईसीयू में 100 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। वहीं नवंबर से 14 दिसंबर तक 23 बच्चों की मौत के बाद एक बार फिर अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

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कोरोना काल में बच्चों की मौत की मुख्य वजह गांव में तैनात आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की डोर टू डोर सर्वे में ड्यूटी है, जिससे बच्चों के कुपोषण और मौसमी बीमारियों पर ध्यान नहीं दिया गया। रही सही कसर अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ की कमी और अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने पूरी कर दी। जिससे सैकड़ों बच्चों की असमय मौत हो गई।