महिला बलात्कार नहीं कर सकती, लेकिन उकसा सकती है, MP हाईकोर्ट का फैसला

भोपाल में हुए एक रेप के मामले में सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने बड़ी बात कही है। हाईकोर्ट ने उकसावे की परिभाषा स्पष्ट करते हुए कहा कि महिला रेप नहीं कर सकती है लेकिन रेप के लिए उकसा सकती है।

Updated: Mar 28, 2025, 02:45 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेप के मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल ने रेप के मामले में कानून के तहत उकसावे की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए कहा कि कोई महिला भले ही बलात्कार के लिए आरोपित नहीं हो सकती है लेकिन वह उकसाने की दोषी हो सकती है।

कोर्ट ने कहा कि IPC की धारा 109 के तहत वह दोषी हो सकती है। बलात्कार के लिए उकसाने वाली आरोपी महिला के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। यह मामला भोपाल के छोला मंदिर इलाके का है, जहां एक महिला के साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया गया था।

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महिला ने 21 अगस्त 2022 को छोला मंदिर थाना में रेप की शिकायत दर्ज कराई थी। महिला ने बताया था कि पड़ोसी ने उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा था और जब वह शादी के लिए सहमति देने के लिए उसके घर गई तो वहां उसके साथ रेप किया गया।महिला ने बताया कि आरोपी की मां और भाई ने जबरदस्ती उसे आरोपी के कमरे में भेजकर दरवाजा बंद कर दिया था।

कमरे में आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और फिर उनकी सगाई हो गई थी। सगाई के बाद आरोप ने कई बार संबंध बनाए और फिर शादी करने से इंकार कर दिया। इस मामले में निचली अदालत मुख्य आरोपी को दोषी मानते हुए उसके मां और भाई को भी सह अभियुक्त बनाया था। इसके बाद हाईकोर्ट में सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

हाईकोर्ट ने सुनवाई के उपरांत कहा कि IPC की धारा 376 एक पुरुष से शुरू होती है, जो स्पष्ट करता है कि रेप का अपराध केवल पुरुष द्वारा ही किया जा सकता है। लेकिन धारा 109 के तहत महिला उकसावे के लिए दोषी ठहराई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के एक मामले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि जानबूझकर अपराध में सहायता करना धारा 107 की तीसरी परिभाषा में आता है। इसलिए महिला और पुरुष दोनों बलात्कार के लिए उकसावे के दोषी हो सकती है।