मणिपुर से परेशान करने वाली खबर, फिर सुलगी हिंसा की आग, दो पत्रकारों समेत 27 लोग अबतक लापता

हिंसा प्रभावित मणिपुर में दो पत्रकार, दो नाबालिग और दो महिलाओं सहित कम से कम 27 गैर-आदिवासी व्यक्ति लापता हैं। इधर राज्य में एक बार फिर से हिंसा की आग सुलग गई।

Updated: Jul 28, 2023, 02:53 PM IST

इंफाल। मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य में एक बार फिर से हिंसा की आग सुलग गई है। बिष्णुपुर जिले में उग्रवादियों के साथ गोलीबारी में सेना के एक जवान समेत दो सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि राजधानी इंफाल से करीब 50 किमी दूर फौबाकचाओ इखाई इलाके में बृहस्पतिवार को सुबह गोलीबारी शुरू हुई और विद्रोहियों के भागने तक देर रात लगभग 15 घंटे गोलीबारी का दौर जारी रहा। गोलीबारी के दौरान तेरा खोंगसांगबी के पास एक मकान में आग लगा दी गई।

इससे पहले थोरबुंग इलाकों में भी भारी गोलीबारी की खबर आई थी। मणिपुर से परेशान करने वाली खबरों के आने का सिलसिला जारी है। हिंसा प्रभावित मणिपुर में दो पत्रकार, दो नाबालिग और दो महिलाओं समेत कम से कम 27 गैर-आदिवासी लोग लापता हैं। स्थानीय मीडिया के दो लापता पत्रकार- 47 वर्षीय एटम समरेंद्र सिंह और 48 वर्षीय युमखैबम किरणकुमार सिंह हैं।

बटाया जा रहा है कि 27 लोगों में से कुछ मई से कुछ जून से और शेष जुलाई से लापता हैं और वे इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, टेंग्नौपाल, बिष्णुपुर, कांगपोकपी, थौबल और काकचिंग जिलों के रहने वाले हैं। विभिन्न थानों में गुमशुदगी के मामले दर्ज कराए गए हैं। लापता लोगों की उम्र 17 साल से 47 साल के बीच है।

बता दें कि मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय की ओर से निकाले गए 'आदिवासी एकता मार्च' के दौरान हिंसा भड़की थी। इस दौरान कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। तब से ही वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। अब तक 160 से ज्यादा लोग हिंसा में अपनी जान गंवा चुके हैं। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 % है और इनमें से ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि 40 प्रतिशत आदिवासी हैं, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं और ये ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।