Article 370 हटने के बाद घाटी में 96 नागरिकों ने गंवाई जान, कश्मीरी हिन्दुओं का नहीं हुआ पलायन: गृह मंत्रालय

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में पूछा था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में कितने नागरिकों और सुरक्षाबलों की जान गई, साथ ही कितने हिन्दुओं का पलायन हुआ

Updated: Dec 08, 2021, 04:15 PM IST

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद 366 आतंकी मारे गए हैं। लेकिन इस दौरान सुरक्षा बलों की बजाय आम नागरिकों की मौत ज्यादा हुई। संसद में सरकार के दिए आंकड़ों के मुताबिक कुल 96 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई जबकि सुरक्षाबलों के 81 जवान शहीद हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को संसद में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के सवालों का जवाब देते हुए यह जानकारी दी है। 

मध्य प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने शीतकालीन सत्र के दौरान पूछा था कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद घाटी से कितने कश्मीरी पंडितों और कश्मीरी हिंदुओं को विस्थापित होना पड़ा। इसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि एक भी कश्मीरी हिंदू या कश्मीरी पंडित को धारा 370 हटने के बाद घाटी में विस्थापित नहीं होना पड़ा है। लेकिन कुछ परिवार मौसम में बदलाव की वजह से घाटी छोड़कर जम्मू जरूर चले गए। 

यह भी पढ़ें: तमिलनाडु में सेना का हेलीकाप्टर क्रैश, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत समेत कई लोग गंभीर रूप से घायल

केंद्र सरकार के मुताबिक हाल के दिनों में कुछ कश्मीरी पंडितों का परिवार, अधिकांश महिलाएं और बच्चे कश्मीर छोड़कर जम्मू क्षेत्र में शिफ्ट हुए हैं। लेकिन ये सभी सरकारी कर्मचारियों के परिजन हैं, जो ठंड के समय जम्मू में रहने चले जाते हैं। दिग्विजय सिंह ने अपने दूसरे सवाल में पूछा था कि धारा 370 हटने के बाद कितने आतंकी और नागरिक मारे गए हैं, साथ ही अबतक कितने सुरक्षाबलों के जवानों को शहादत देनी पड़ी है।

सिंह के दूसरे प्रश्न के जवाब में नित्यानंद राय ने बताया की 5 अगस्त 2019 से लेकर 30 नवंबर 2021 तक जम्मू कश्मीर में 366 आतंकवादी मारे गए लेकिन इसी दरम्यानी वक्त में राज्य के 96 नागरिकों ने भी अपनी जानें गंवाई हैं।

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केन्द्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का फैसला किया था। तब दावा था कि जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार का दर्जा वापस लेने से वहां आतंकवाद में कमी आएगी और कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में बसाया जा सकेगा। लेकिन ऐसी खबरें लगातार आती रहीं कि कश्मीरी पंडितों की वापसी तो दूर कई परिवारों को घाटी छोड़ना पड़ा। दिग्विजय सिंह ने इसी संदर्भ में सवाल किया था, जिसके जवाब में सरकार ने बताया है कि कश्मीरी पंडितों का परिवार घाटी छोड़ा तो नहीं लेकिन कुछ सरकारी कर्मचारी जरूर जम्मू शिफ्ट हुए हैं।