मुझे एक दैवीय शक्ति ने ऐसा करने के लिए कहा था, CJI पर जूता फेंकने वाले वकील को किए का अफसोस नहीं

आरोपी राकेश के अनुसार CJI गवई की टिप्पणी सुनने के बाद से उसकी नींद उड़ गई थी। रोज रात को भगवान उससे पूछते थे कि इतने अपमान के बाद वह आराम कैसे कर सकता है।

Updated: Oct 07, 2025, 12:21 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर कुमार ने अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि CJI के भगवान विष्णु पर दिए बयान से मैं आहत हूं। उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, मुझे उसका अफसोस नहीं, किसी का डर भी नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि मुझे एक दैवीय शक्ति ने ऐसा करने के लिए कहा था।

यह घटना सोमवार के दिन करीब 11:35 बजे सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम 1 में सुनवाई के दौरान हुई। अचानक से किशोर ने जूता उतारकर सीजेआई की ओर फेंकने की कोशिश की। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उन्हें रोक लिया और बाहर ले गए। जब अदालत के अधिकारियों ने सीजेआई गवई से दिशानिर्देश मांगे, तो उन्होंने इसे नजरअंदाज करने और किशोर को चेतावनी देकर छोड़ने के लिए कहा। पुलिस ने भी तीन घंटे की पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया है।

आरोपी कहना है कि उसे दिव्य शक्ति ने यह कदम उठाने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बहाल करने की याचिका पर हाल ही में दिए गए सीजेआई के निर्णय से वह नाराज़ थे। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह मामला पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है। साथ ही उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि भगवान से ही कहो कि वही कुछ करें।

राकेश किशोर ने बताया कि वो CJI गवई की टिप्पणी से काफी नाराज था, जिसके कारण उसने ऐसा कदम उठाया। राकेश के अनुसार, CJI गवई की टिप्पणी सुनने के बाद से उसकी नींद उड़ गई थी। रोज रात को भगवान मुझसे पूछते थे कि इतने अपमान के बाद मैं आराम कैसे कर सकता हूं? राकेश किशोर ने खुद को किसी भी राजनीतिक दल से दूर रखा है। उनका कहना है कि इस कृत्य के लिए वो जेल जाने को भी तैयार हैं।

हमलावर सिर्फ CJI गवई के भगवान विष्णु पर की गई टिप्पणी से नाराज नहीं था, बल्कि वो मॉरिशस में CJI गवई के भाषण से भी दुखी था। शुक्रवार को मॉरिशस में CJI गवई ने कहा था कि भारत की न्याय व्यवस्था कानून के शासन के तहत चलती है, बुलडोजर के शासन के तहत नहीं।

किशोर ने दावा किया कि उनके पास बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से मेडिकल एंटोमोलॉजी में पीएचडी है और वे कभी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के सलाहकार रह चुके हैं। उन्होंने खुद को ‘मानसिक रूप से स्वस्थ’ बताया है। बहरहाल, इस घटना पर SC बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम सिंह ने कहा कि भगवान विष्णु की मूर्ति केस में CJI की टिप्पणी को गलत तरीके से दिखाया गया, जिससे ऐसा लगा जैसे CJI ने देवता का अपमान किया। वकील ने मशहूर होने के लिए ऐसा किया।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार का लाइसेंस रद्द कर दिया है। उसका रजिस्ट्रेशन 2011 का है। इसके साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल ने कहा कि ऐसा असंयमित व्यवहार पूरी तरह अनुचित है और न्यायालय और वकील समुदाय के बीच पारस्परिक सम्मान की नींव को हिलाता है। कोई भी ऐसा कार्य जो इस पवित्र बंधन को कमजोर करता है, न केवल संस्था को बल्कि हमारे राष्ट्र में न्याय के ताने-बाने को भी क्षति पहुंचाता है।