थम नहीं रहा कांग्रेस का अंदरूनी विवाद, अब अधीर रंजन चौधरी ने दिया कपिल सिब्बल को जवाब
अशोक गहलोत, सलमान खुर्शीद भी सिब्बल के बयानों पर सवाल खड़े कर चुके हैं, सिब्बल ने कहा था कि जनता अब कांग्रेस को विकल्प के तौर पर नहीं देख रही

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के हाल में दिए गए बयानों पर अब लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी पलटवार किया है। अधीर रंजन ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि जिन वरिष्ठ नेताओं को कांग्रेस पार्टी और उसके नेतृत्व से इतनी शिकायतें हैं वे अपनी नई पार्टी बनाने या किसी दूसरी पार्टी में जाने के लिए आज़ाद हैं। इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी सिब्बल के बयानों का जवाब दे चुके हैं।
पश्चिम बंगाल में पत्रकारों से बातचीत के दौरान अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'अगर कोई नेता सोचता है कि कांग्रेस उसके लिए सही पार्टी नहीं है तो वो नई पार्टी बना सकता है या कोई और पार्टी जॉइन कर सकता है। जिसके बारे में वो सोचता हो कि ये उसके लिए सही दल है। लेकिन उनको इस तरह की शर्मनाक गतिविधियों में लिप्त नहीं होना चाहिए, जिससे कांग्रेस पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हों।'
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चौधरी ने आगे कहा कि सिब्बल कांग्रेस पार्टी और आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता के बारे में बहुत चिंतित हैं। लेकिन हमने बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या गुजरात के चुनावों में उनका चेहरा नहीं देखा। अगर कपिल सिब्बल बिहार और मध्य प्रदेश जाते, तो वह साबित कर सकते थे कि जो वो जो कह रहे हैं वह सही है। इससे उन्होंने कांग्रेस की स्थिति मजबूत की होती। बिना कुछ किए बोलने का मतलब आत्मनिरीक्षण नहीं है। ऐसी बातों से कुछ हासिल नहीं होगा।'
सिब्बल ने पार्टी हित में कोई काम किया
अधीर रंजन चौधरी यहीं नहीं रुके उन्होंने यह भी पूछ दिया कि सिब्बल ने खुद पार्टी हित में क्या काम किया है? बिहार चुनाव के दौरान उन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए कोई कदम उठाए? उन्होंने नसीहत दी है कि सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेताओं को इस तरह की बयानबाजी में नहीं पड़ना चाहिए। चौधरी ने कहा, 'ऐसे वरिष्ठ नेता बयानबाज़ी कर रहे हैं जो गांधी परिवार के करीब हैं। वे चाहें तो किसी भी विषय को पार्टी आलाकमान के सामने या फिर पार्टी फोरम में रख सकते हैं।'
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गहलोत और खुर्शीद भी सिब्बल को दे चुके हैं नसीहत
इसके पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी कपिल सिब्बल को नसीहत दे चुके हैं। कल ही सीएम गहलोत ने ट्वीट कर कहा था कि, 'कपिल सिब्बल को मीडिया के समक्ष हमारे आंतरिक मुद्दे का जिक्र करने की कोई जरूरत नहीं थी, इससे देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है।' उन्होंने आगे कहा की कांग्रेस ने 1969, 1977, 1989 और बाद में वर्ष 1996 में विभिन्न संकटों का सामना किया लेकिन हर बार हम अपनी विचारधारा, कार्यक्रम, नीतियों और पार्टी नेतृत्व में विश्वास के चलते मजबूत बनकर उभरे हैं।
There was no need for Mr Kapil Sibal to mentioned our internal issue in Media, this has hurt the sentiments of party workers across the country.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 16, 2020
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इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने बहादुर शाह जफर की पंक्तियों के माध्यम से इशारों में सिब्बल को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दी है। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, 'न थी हालत कि जब हमें खबर रहे देखते औरों के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर तो निगाह में कोई बुरा न रहा।' खुर्शीद ने आगे लिखा कि ऊपर दिए गए उनके शब्द हमारी पार्टी के कई सहयोगियों के लिए उपयोगी हो सकते हैं, जो समय-समय पर चिंता का दर्द झेलते हैं।
उन्होंने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा था कि यदि वोटर उन उदारवादी मूल्यों को अहमियत नहीं दे रहे जिनका हम संरक्षण कर रहे हैं तो हमें सत्ता में आने के लिए शॉर्टकट तलाश करने की जगह लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर हम सत्ता हासिल करने के लिए अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करते हैं तो इससे अच्छा है कि हम ये सब छोड़ दें।
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दरअसल, कपिल सिब्बल ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि जनता कांग्रेस को मजबूत विकल्प के तौर पर नहीं देख रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि पार्टी ने बिहार चुनाव सहित अन्य प्रदेशों के उपचुनाव को पार्टी ने गंभीरता से नहीं लिया। बता दें कि कपिल सिब्बल उन 23 नेताओं में से एक हैं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें कांग्रेस में आत्ममंथन और बदलाव की बात कही गई थी। इस चिट्ठी के सार्वजनिक होने के बाद पार्टी के भीतर बवाल खड़ा हो गया था।