दिल्ली में वायु प्रदूषण का कहर जारी, अब भी बेहद खराब श्रेणी में AQI, कोयला आधारित बिजली संयत्र बने कारण
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एयर बुलेटिन के अनुसार, सोमवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता का स्तर 450 के पार चला गया। ऊपरी फिजा में बादल छाए होने की वजह से स्मॉग की परत सोमवार को और गहरी हुई है।
नई दिल्ली। दिल्ली की हवा में घुला जहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। भले ही प्रदूषण का स्तर पहले से कुछ हद तक कम हुआ है लेकिन फिर की राजधानी में प्रदूषण का कहर जारी है। दिल्ली-एनसीआर की हवा गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। सोमवार सुबह दिल्ली में धुंध की मोटी परत छाई रही और कई हिस्सों में हवा की गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज की गई।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक आरके पुरम में सुबह 7:00 बजे 419 एक्यूआई के साथ हवा की गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई। आईटीओ में एक्यूआई 435, द्वारका सेक्टर 8 में 402, जहांगीरपुरी में 437 और अशोक विहार में 455 दर्ज किया गया, ये सभी हवा की गंभीर श्रेणी हैं। एक्सपर्ट्स का कहना दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बदतर है, जिससे फेफड़ों काफी को नुकसान पहुंच रहा है। इसलिए लोगों को सुबह टहलने और साइकिल चलाने से बचना चाहिए, क्योंकि प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है।
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प्रदूषण के साथ ही दिल्ली में सर्दी भी बढ़ गई है। वहीं बारिश जैसा मौसम बना हुआ है। मौसम विभाग ने आज दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बारिश का अनुमान जताया है। अगर बारिश होती है तो प्रदूषण में कुछ हद तक राहत जरूर मिलेगी। बता दें कि शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को "अच्छा" माना जाता है, 51 और 100 "संतोषजनक"; 101 और 200 "मध्यम"; 201 और 300 "खराब"; 301 और 400 "बहुत खराब" और 401 और 500 "गंभीर"। दिल्ली के अधिकांश हिस्सों में AQI 400 से अधिक है। यानी वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर है।
एक नए विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में थर्मल पावर प्लांटों के कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। पर्यावरण से जुड़े थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरमेंट (सीएसई) ने दिल्ली-एनसीआर में 11 ऊर्जा संयंत्रों (टीपीपी) से उत्सर्जित प्रदूषक तत्वों, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अध्ययन किया है। यह अध्ययन केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की वेबसाइट पर मौजूद अप्रैल 2022 से अगस्त 2023 तक की उनकी पर्यावरणीय स्थिति रिपोर्ट पर आधारित है। रिपोर्ट में वायु प्रदूषण के लिए कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को भी जिम्मेदार ठहराया गया है।