... तो अस्‍पतालों में कम पड़ेंगे बिस्‍तर

रोजाना 2 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद भी 3 मई के बाद आइसोलेशन बेड्स की कमी हो सकती है।

Updated: Sep 01, 2020, 09:47 PM IST

भारत लॉक डाउन 2 के आखिरी चरण में प्रवेश कर रहा है। ऐसे में कोविड 19 से मुकाबला करने के लिए जरूरी स्वास्थ्य संबंधी ढांचे की उसकी तैयारी कैसी है इस पर ध्यान देना जरूरी है। हालांकि 5 हफ्ते के लॉक डाउन के कारण देश कोरोना संक्रमण की रफ्तार को धीमा करने में जरूर कामयाब रहा, लेकिन वायरस के खिलाफ उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। कुछ ही दिनों में लॉक डाउन समाप्त होने वाला है। अगर चरणबद्ध तरीके से भी लॉक डाउन हटाया जाता है तो भी प्रवासी भारतीयों के वापस लौटने पर  एक बार फिर कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी आ सकती है।

ऐसे में मिंट अखबार ने एक विश्लेषण किया है, जिसमे राज्यवार स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे की स्थिति को ध्यान में रखा गया है।

विश्लेषण के अनुसार अगर अप्रैल माह की तरह ही मई माह में भी संक्रमण के मामलों में वृद्धि होती रही तो भारत मे मई के अंत तक आइसोलेशन  बेड्स की कमी हो जाएगी। यही नहीं जून के पहले में आईसीयू बेड्स और वेंटिलेटर की कमी का भी देश को सामना करना पड़ सकता है। विश्लेषण के अनुसार इस दौरान संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली सहित 8 राज्यों में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे की कमी अधिक प्रमुखता से उजागर होगी। अप्रैल माह में इन सभी 8 राज्यों में संक्रमण के मामलों में 10 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई है। इन राज्यों में लगभग 7 या उससे भी कम दिनों में संक्रमण के मामले बढ़कर दोगुने हो रहे हैं।

स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की कमी और संक्रमण की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने 27 अप्रैल को एक निर्देश जारी किया है, जिसके अनुसार कोरोना संक्रमण के हल्के फुल्के लक्षणों वाले मरीजों को घर मे ही आइसोलेट करने की अनुमति दी गई है बशर्तें कि 8 मानदंडों को पूरा किया जाए। जबकि इससे पहले मंत्रालय की ओर से दिए गए निर्देश में कोरोना पॉजिटिव सभी मरीजों को सर्व सुविधायुक्त अस्पताल या ब्लॉक में आइसोलेट करने को कहा गया था। हालांकि लोगों को घरों में आइसोलेट करने से कम्युनिटी में वायरस के फैलने का खतरा है। पर मंत्रालय के इस निर्देश के पीछे प्रमुख वजह बढ़ते कोरोना के मामले और अस्पतालों में कम पड़ते आइसोलेशन बेड्स हैं। मंत्रालय के नए निर्देश के बाद  अपने परिवार के सदस्यों को घर मे ही क़वारन्टीन या आइसोलेशन में रखना जगह की कमी के कारण अधिकांश   भारतीय परिवारों के लिए एक बड़ी चुनौती होने वाली है।

मिंट अखबार के विश्लेषण के अनुसार 4 अप्रैल तक भारत में 1,52,403 आइसोलेशन बेड्स थे। देश मे सबसे अधिक आइसोलेशन बेड्स राजस्थान में थे, उसके बाद तमिलनाडु और केरल का नंबर था। महाराष्ट्र में 26 अप्रैल तक 8100 संक्रमित थे जबकि आइसोलेशन बेड्स 11,861 थे। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार आइसोलेशन बेड्स में रोजाना 2 फीसदी की बढ़ोतरी की जा रही है। अगर आइसोलेशन बेड्स की वृद्धि में 4 फीसदी का भी ग्रोथ हो तो भी विश्लेषण के अनुसार मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए बेड्स की कमी हो सकती है।

इसमें ये भी अनुमान लगाया गया है कि 31 मई तक महाराष्ट्र में 7 लाख और गुजरात मे 5 लाख 30 हजार से अधिक कोरोना के केस हो सकते हैं। मिंट ने ये अनुमान 1 अप्रैल से 26 अप्रैल के बीच मामलों के रोजाना की बढ़ोतरी के आधार पर प्रत्येक राज्य के बारे में लगाया है। मिंट के अनुसार 17 मई तक महाराष्ट्र और गुजरात आइसोलेशन बेड्स की कमी का सामना करने लगेंगे। मंत्रालय के अनुसार दिल्ली में पहले से ही आइसोलेशन बेड्स की कमी है। 31 मई तक पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश भी आइसोलेशन बेड्स की कमी का सामना कर सकते हैं। 7 जून तक आईसीयू बेड्स और वेन्टीलेटर्स की कमी हो सकती है। दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र इससे सबसे अधिक प्रभावित होंगे। इन चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के अपने प्रयासों को दोगुना करना होगा।