एंटीलिया केस में नया मोड़, तिहाड़ जेल में बंद IM के आतंकी से धमकी वाला फोन बरामद

दिल्‍ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गुरुवार को तिहाड़ जेल में छापेमारी करके इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी तहसीन अख्तर के पास से मोबाइल फोन जब्त करने का दावा किया

Updated: Mar 12, 2021, 08:09 AM IST

Photo Courtesy: Hindustan
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नई दिल्ली। देश के सबसे अमीर  उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो में मिले विस्फोटक की जांच के सिलसिले में अब एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एंटीलिया के बाहर विस्फोटक केस में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने तिहाड़ जेल में छापेमारी करके वो फोन जब्त करने का दावा किया है जिससे धमकी भरा मैसेज भेजा गया था। हैरानी की बात यह है कि ये फोन जेल में कैद इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी के पास था। पुलिस की जांच में इसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक जिसके पास से यह स्मार्ट फोन जब्त हुआ है वह इंडियन मुजाहिद्दीन का आतंकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू है, जो तिहाड़ की जेल नंबर आठ में बंद है। तहसीन पटना में पीएम मोदी की रैली के दौरान बम ब्लास्ट, हैदराबाद धमाके और बोधगया ब्लास्ट का आरोपी रहा है। तहसीन अख़्तर के बैरक से जो मोबाइल बरामद किया गया उस मोबाइल में टोर ब्राउजर के जरिए वर्चुअल नम्बर क्रिएट किया गया, फिर टेलीग्राम अकाउंट बनाया गया, उसके बाद धमकी भरा मैसेज तैयार किया गया।

तहसीन अख़्तर को जेल से रिमांड पर लेकर स्पेशल सेल पूछताछ करेगी। एक दूसरा नम्बर भी स्पेशल सेल के रडार पर है। यह नंबर सितंबर में एक्टिवेट हुआ था और फिर बाद में बंद कर दिया गया था। 2 मोबाइल नंबर फर्जी दस्तावेजों के जरिए खासतौर पर तिहाड़ में बंद कुछ लोगों के लिए खरीदे गए थे। अब सवाल इस पर उठ रहे हैं कि इतनी टाइट सिक्योरिटी के बावजूद तिहाड़ जेल में ये मोबाइल नंबर्स और मोबाइल पहुंचे कैसे? वह भी आतंकियों के सबसे कड़ी सुरक्षा वाले सेल तक। इसकी जांच भी स्पेशल सेल कर सकती है।

बताया जा रहा है कि एनआईए ने टेलीग्राम मैसेज की जांच करने का काम एक निजी साइबर एक्सपर्ट टीम को दिया था। निजी साइबर फर्म की ओर से तैयार एक सिक्योरिटी एनालिसस रिपोर्ट के मुताबिक, यह टेलीग्राम चैनल 26 फरवरी को दोपहर 3 बजे 'टार' नेटवर्क के जरिए बनाया गया था, जिसका इस्तेमाल डार्क वेब का इस्तेमाल करने के लिए किया जाता है। जिस सिम कार्ड से यह किया गया था उसकी लोकेशन तिहाड़ जेल आ रही थी।

एंटीलिया के सामने 24 फरवरी को विस्फोटक से भरी गाड़ी पार्क करने की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-उल-हिंद ने 28 फरवरी को ली थी। इसके बाद 5 मार्च को गाड़ी के मालिक रहे मनसुख हीरेन की संदिग्ध मौत ने मामले को उलझा दिया है। अब इस घटना में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों का नाम आने के बाद सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।