यूपी में बीजेपी नेत्री के बिगड़े बोल, महिलाओं को शाम 5 बजे के बाद थाने ना जाने की नसीहत

यूपी में कानून व्यवस्था पर नहीं पूर्व राज्यपाल को भरोसा, महिलाओं से कहा थाने जाएं तो घर के पुरुष सदस्य को लेकर जाएं, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने साधा बीजेपी पर निशाना

Updated: Oct 24, 2021, 07:33 AM IST

Photo courtesy: twitter
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लखनऊ। थानों में एक महिला अधिकारी और सब-इंस्पेक्टर जरूर बैठती हैं, लेकिन एक बात मैं जरूर कहूंगी कि शाम 5 बजे अंधेरा होने के बाद थाने कभी मत जाना, ये कहना है बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य का। वे इतने में ही नहीं रुकी उनका कहना है कि अगर महिलाओं का थाने जाना बहुत ही जरूरी हो तो अगले दिन सुबह जाए और अपने साथ भाई, पति या पिता को लेकर ही थाने जाना।

अब इस बारे में किरकिरी होने पर बीजेपी नेता ने सफाई दी है कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। पूर्व राज्यपाल का दावा है की मीडिया प्रसारित किया जा रहा वीडियो केवल एक हिस्सा है बयान को तोड़ मरोड कर पेश किया जा रहा है।

दरअसल उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में  दलित चेहरे के रूप में पेश किया जा रहा है। शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि प्रदेश में महिलाओं को अकेले थाने जाने से बचना चाहिए, अगर जाना ही पड़े तो अपने परिवार के किसी पुरुष सदस्य के साथ रहें।

इस मामले में बीजेपी नेत्री बेबी रानी मौर्य का आरोप है कि समाजवादी पार्टी द्वारा आडियो को वायरल कर दिया गया है। वहीं सपा की ओर से इसका खंडन किया गया है। वहीं कांग्रेस का दावा है कि बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री के इस बयान से इस बात का पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार में प्रदेश में अराजकता का माहौल है, यहां जंगल राज है। वहीं इस बयान को कांग्रेस ने बीजेपी और RSS की महिला विरोधी सोच और दृष्टिकोण बताया है। कांग्रेस का आरोप है कि इस बयान के जरिए बेबी रानी मौर्य वही सोच दिखा रही हैं जो बीजेपी और संघ की खासियत है। कांग्रेस ने सवाल किया है कि क्यों शाम के बाद महिलाओं को थाने नहीं जाना चाहिए? इससे पता चलता है कि कैसे योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का जंगल राज महिलाओं के लिए शाम 5 बजे के बाद थाने जाने को सुरक्षित नहीं बनाता है।

मामले के तूल पकड़ने पर बीजेपी नेत्री ने सफाई में कहा है कि उनका इस बयान से कोई लेना-देना नहीं है। वे तो वाल्मीकि जयंती पर दलित बस्ती में दलित और मुस्लिम महिलाओं को संबोधित कर रही थीं। वे केवल उन्हें केंद्र की नरेंद्र मोदी और यूपी की योगी आदित्य नाथ सरकारों की उपलब्धियों के बारे में बता रहीं थीं। उनका कहना है कि दोनों सरकारें महिलाओं के लिए बेहतर काम कर रही है। उन्होंने साफ किया है कि वे महिला उत्थान, सम्मान और सुरक्षा के बारे में बात कर रही थीं। वे कहना चाह रही थीं कि फास्ट-ट्रैक अदालतें त्वरित न्याय दिलाने में सक्षम हैं।