MP में तेजी से पांव पसार रहा जापानी इंसेफेलाइटिस, 99 लोग दिमागी बुखार से पीड़ित
मध्य प्रदेश के 22 जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस का खतरा, मनुष्यों और जानवरों दोनों में पाई गई इस खतरनाक वायरस की उपस्थिति

भोपाल। मध्य प्रदेश में जापानी इंसेफेलाइटिस तेजी से पांव पसारने लगा है। प्रदेश के कई जिले दिमागी बुखार की चपेट में आ गये हैं। जापानी इंसेफेलाइटिस के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य महकमे को सतर्क कर दिया है। जनरल ऑफ वेक्टर बॉर्न डिजीज में प्रकाशित एक रिसर्च में दावा किया गया कि MP में अब मानव और पशुओं दोनों में यह जानलेवा वायरस फैल रहा है।
रिसर्च इस बात की ओर इशारा करती है कि प्रदेश में जापानी इंसेफेलाइटिस एंडेमिक रूप ले सकता है। राज्य के 22 जिलों में मनुष्यों और जानवरों दोनों में वायरस की उपस्थिति और साल भर इसका सक्रिय रहना चिंता का विषय है। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. सुमित कुमार रावत ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस मच्छरों से फैलने वाला एक गंभीर वायरल संक्रमण है। जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है।
डॉ. रावत के अनुसार, 100 सुअरों और 99 घोड़ों के नमूनों की भी जांच की गई, क्योंकि ये जानवर JE वायरस के प्राकृतिक भंडार (रिजर्ववायर) होते हैं। इन नमूनों में सीधे वायरस का पता लगाने के लिए RT-PCR नामक उन्नत तकनीक का उपयोग किया गया। इनमें 7% सुअरों और 8% घोड़ों के नमूनों में वायरस मौजूद था। यह इस बात का प्रमाण है कि वायरस पर्यावरण में सक्रिय रूप से मौजूद हैं। जब कोई मच्छर या अन्य कीड़ा, इन संक्रमित जानवरों को काटने के बाद इंसान को काटता है तो यह वायरस ट्रांसफर हो जाता है। हालांकि, यह क्यूलेक्स मच्छर से जनित रोग है।
कुल 761 ऐसे मरीजों के रक्त नमूनों का विश्लेषण किया गया, जिनमें एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी अचानक दिमागी बुखार के लक्षण थे। इन नमूनों में JE वायरस के एंटीबॉडी (संक्रमण का संकेत) का पता लगाने के लिए ELISA किट का उपयोग किया गया। इसमें पाया गया कि कुल मामलों में से 13% (761 में से 99) में जापानी इंसेफेलाइटिस की पुष्टि हुई। यह बीमारी मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित कर रही थी। कुल केस में से 73.74% बच्चे थे।