BHU: मानसिक दबाव से त्रस्त 32 डॉक्टरों का इस्तीफा, जांच समिति बनी

BHU Doctor Death: अस्पताल कोरोना से मृत अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी घरवालों को दे दी किसी अन्य व्यक्ति की डेड-बॉडी

Updated: Aug 15, 2020, 10:57 AM IST

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में प्रशासनिक लापरवाही और बदइंतजामी की हद पार करने वाली खबर आई है। बीएचयू में अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी (ACMO) की कोरोना से मौत के बाद उनके परिजनों को दूसरे व्यक्ति का लाश दिए जाने के बाद सरकारी डॉक्टरों ने बुधवार को प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान तकरीबन 32 डॉक्टरों ने अपना इस्तीफा भी सौंप दिया, हालांकि उनके इस्तीफे को नामंजूर कर वापस काम पर लौटने को कहा गया है। इन डॉक्टरों का कहना है कि मानसिक दबाव के कारण वह अस्पताल में कार्य करने में असमर्थ हैं।

दरअसल, इसी हफ्ते अस्पताल में कार्यरत ACMO जंगबहादुर सिंह की कोरोना संक्रमण से मौत हुई थी। दिन-रात कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में लगे रहने वाले जंगबहादुर जब खुद कोरोना संक्रमित हुए तो वह बच नहीं सके। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने उनके घरवालों को किसी अन्य व्यक्ति की डेड-बॉडी दे दी। उनके घरवालों ने भी संक्रमण के फैलाव को रोकने के किए उनका अंतिम दर्शन न करने का फैसला लेते हुए दाह-संस्कार कर दिया।

यह बात तब उजागर हुई जब वाराणसी के ही एक पुलिस अधिकारी के पिता की मौत के बाद उन्हें जंगबहादुर की लाश दे दी गई। गुस्साए परिजनों ने इसके बाद अस्पताल में जमकर हो-हल्ला किया तब यह बात सामने आई कि लाश गलती से बदल गई थी और आपके पिता का लाश जंगबहादुर के परिजनों को दिया जा चुका है। लेकिन तबतक तो जंगबहादुर के परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया था।

मामले की जानकारी मिलने के बाद जंगबहादुर के साथी डॉक्टरों ने भी अस्पताल प्रशासन के इस लापरवाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और 32 डॉक्टरों ने अपनी इस्तीफा सौंप दी। इस दौरान डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक दबाव के कारण जंगबहादुर की मौत हुई। उनका आरोप है कि जिलाधिकारी ने डॉ जंगबहादुर को लक्ष्य पूरा न करने पर एफआईआर करने व बर्खास्त करने की धमकी दी थी जिस वजह से सदमे के कारण उनकी मौत हो गई। फिलहाल मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई गई है। वहीं इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों का इस्तीफा नामंजूर कर उन्हें काम पर वापस लौटने को कहा गया है।