पहली बार के विधायक भूपेंद्र पटेल होंगे गुजरात के नए मुख्यमंत्री, विधायक दल की बैठक में हुआ फैसला

गुजरात को मिला नया नेतृत्व, भपेंद्र पटेल के नाम पर बनी सहमति, अमित शाह की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक संपन्न

Updated: Sep 12, 2021, 12:07 PM IST

गांधीनगर। बीजेपी विधायक दल की बैठक में भूपेंद्र पटेल को गुजरात का अगला मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया है। बैठक के बाद केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी जानकारी दी है। भूपेंद्र पटेल आनंदीबेन पटेल के करीबी माने जाते हैं। उन्हें पीएम मोदी का भी विश्वासपात्र माना जाता है। आनंदी बेन पटेल ने जब इस्तीफा दिया था तब भूपेंद्र पटेल उनकी ही सीट से चुनाव लड़े थे।

पहली बार के विधायक भूपेंद्र पटेल को कमान सौंपकर बीजेपी ने एंटी इनकंबेंसी को न सिर्फ सरकार बल्कि कांस्टिट्यूएंसी लेवल पर भी खत्म करने की कोशिश की है। गौरतलब है कि नए मुख्यमंत्री साल 2017 में कांग्रेस के शशिकांत पटेल को हराकर घाटलोडिया से पहली बार विधायक बने हैं। इससे पहले वे अहमदाबाद नगर निगम स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन और अहमदाबाद अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन भी रह चुके हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राजधानी गांधीनगर में पत्रकारों से कहा कि भूपेंद्र भाई जल्द ही शपथ लेंगे। हालांकि, तोमर ने शपथग्रहण का समय नहीं बताया है। बता दें कि भूपेंद्र रजनीकांत पटेल ने साल 2017 में अहमदाबाद जिले की घाटलोडिया सीट से कांग्रेस के शशिकांत वासुदेवभाई पटेल को हराया था।

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बीजेपी सूत्रों के मुताबिक विधायक दल की बैठक में सीएम विजय रूपाणी ने भूपेंद्र पटेल के नाम का प्रस्ताव रखा था। यहां केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर व तरुण चुघ की मौजूदगी में बीजेपी विधायकों ने पटेल के नाम पर विरोध नहीं जताया। ऐसे में सर्वसम्मति से भूपेंद्र पटेल को विधायक दल का नेता चुना गया। भूपेंद्र पटेल को नेता चुने जाने को गुजरात में प्रभावशाली पटेल समुदाय को खुश करने के लिए बीजेपी का दांव-पेंच के रूप में देखा जा रहा है।

भूपेंद्र पटेल को गुजरात का कमान सौंपने के पार्टी के फैसले ने सब को हैरान कर दिया है। चूंकि, कल विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद सीएम पद की रेस में मनसुख मंडाविया, सीआर पाटिल, परुषोत्तम रुपाला और नितिन पटेल का नाम सामने आ रहा था। हालांकि, बीजेपी ने अपने पुराने पैटर्न के आधार पर गुजरात में भी सरप्राइज सीएम दिया है।

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गुजरात में इससे पहले भी बीजेपी चुनाव से ठीक पहले नए नेतृत्व पर दांव लगा चुकी है। इससे पहले की सरकार में साल 2017 के दौरान भी चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ बने माहौल को काउंटर करने के लिए आनंदीबेन पटेल को बदलकर विजय रुपानी लाए गए थे। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ठीक ऐसे ही साल 2001 में केशुभाई पटेल के चार साल का का कार्यकाल पूरा करने के बाद मुख्यमंत्री बने थे। जानकारों का मानना है कि नए चेहरे प्रस्तुत कर बीजेपी अपनी सरकार की खामियों को छुपाने में कामयाब होने का प्रयास कर रही है।