सीएम योगी का फर्जी प्रचार करने के लिए इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने मांगी सार्वजनिक माफी

बीजेपी ने किया एडवरटोरियल से किनारा, अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगाते हुए इंडियन एक्सप्रेस ने ली विज्ञापन छापने की जिम्मेदारी, लोग बोले- जर्नलिज्म को Courage नहीं Cowardice

Updated: Sep 12, 2021, 12:17 PM IST

नई दिल्ली। देश की प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने आज अपने पाठकों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है। वजह ये है कि इंडियन एक्सप्रेस ने योगी आदित्यनाथ की तारीफ में कसीदे पढ़ने के चक्कर में झूठ और फर्जीवाड़े की सारी हदें पार कर दी थी। मामला तब बढ़ा जब पाठकों ने एक्सप्रेस के सफेद झूठ और लोगों को गुमराह करने वाले एडवरटोरियल का पोल खोल दिया।

दरअसल, इंडियन एक्सप्रेस ने अपने फर्स्ट पेज पर आज एक एडवरटोरियल छापा है। इसका थीम है सीएम योगी के नेतृत्व में बदलता उत्तर प्रदेश। इसमें बड़े-बड़े बिल्डिंग्स, हाईटेक फ्लाई ओवर और फैक्टरियों की तस्वीरें लगाई गई है। तस्वीरों के माध्यम से एक्सप्रेस यह बताना चाह रहा है कि योगी राज में उत्तर प्रदेश में अभूतपूर्व रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप हुए हैं। हालांकि, इनमें से एक भी तस्वीर सच्ची नहीं है।

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इसमें जिस फ्लाई ओवर को दिखाया गया वह कोलकाता का मां फ्लाईओवर है। सीएम ममता मनर्जी ने साल 2015 में इसका उद्घाटन किया था। विज्ञापन में फ्लाई ओवर पर दिख रही पीली टैक्सी जो आमतौर पर कोलकाता में चलती हैं, वह इस बात का सुबूत है कि यह तस्वीर उत्तर प्रदेश की नहीं है। विज्ञापन में जो बिल्डिंग्स दिखाए गए हैं वह भी मां फ्लाई ओवर के पास ही बने हुए हैं। इसके अलावा जो फैक्टरियां और इंजीनियर दिखाए गए हैं वह अमेरिकी कंपनी HSE Vision की वेबसाइट से ली गई है, जो यह साबित करता है कि यह तस्वीर अमेरिका की है। 

मजेदार बात यह है कि खुद पाठकों ने ही एक्सप्रेस के इस झूठ को पकड़ा और सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ा भी। बता दें कि अखबार के भाषा में एडवरटोरियल उसे कहा जाता है जिससे संपादक की सहमति होती है। यानी ऐसे विज्ञापन जिसके लिए मोटे पैसे लिए तो गए हों, लेकिन अखबार इस बात की जिम्मेदारी लेती है कि विज्ञापन में कही गई बातें सत्य हैं। यह व्यवस्था इसलिए है ताकि सिर्फ पैसे के लिए अखबार की प्रतिष्ठा को दांव पर न लगाए। इसलिए संपादक उस सामग्री को जांच-परख कर ही आगे बढ़ाते हैं।

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मामला सामने आने के बाद बीजेपी ने इस विज्ञापन से किनारा कर लिया है। उत्तर प्रदेश बीजेपी ने कहा है की यह तस्वीर हमने नहीं दी। ऐसे में अब इंडियन एक्सप्रेस को ही सार्वजनिक माफीनामा जारी करना पड़ा है। चूंकि, एक्सप्रेस को उस सामग्री के लिए मोटे पैसे मिले थे, इसलिए अखबार समूह ने ट्वीट कर बताया है कि यह गलती उसके मार्केटिंग डिपार्टमेंट के लोगों से हुई है और इसके लिए वे माफी चाहते हैं। एक्सप्रेस ने यह भी कहा है कि डिजिटल एडिशन से इसे हटा दिया गया है। हालांकि, उसने यह नहीं बताया कि पेपर की जो लाखों प्रतियां बंट चुकी हैं, उसका क्या होगा। 

यह पूरा प्रकरण इंडियन एक्सप्रेस जैसे प्रतिष्ठित मीडिया समूह के लिए काले धब्बे के तौर पर देखा जा रहा है। पाठक यह आरोप लगा रहे हैं कि अखबार समूह ने चंद सिक्कों के लिए अपनी पत्रकारिता के तय मानदंडों से समझौता किया है। सोशल मीडिया पर एक और तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें इंडियन एक्सप्रेस के टैगलाइन को लोगों ने बदल दिया है। एक्सप्रेस का मौजूदा टैगलाइन जर्नलिज्म ऑफ Courage यानी साहसी पत्रकारिता है उसे लोग जर्नलिज्म ऑफ Cowardice यानी कायर पत्रकारिता बता रहे हैं। 

मामले पर कांग्रेस, टीएसमी, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने बीजेपी और सीएम योगी आदित्यनाथ की जमकर फजीहत की है। समाजवादी पार्टी ने इसपर तंज कसते हुए कहा है कि बाबा जी बंगाल का काम यूपी का बता रहे हैं। शायद अब प्रदेश का नाम बदलकर पश्चिम बंगाल करने जा रहे हैं?  

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर मिशन मोड में जुटी बीजेपी विज्ञापनों में जमकर पैसे खर्च कर रही है। विज्ञापनों में योगी मॉडल को सर्वश्रेष्ठ दिखाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। प्रयास यह है कि कोरोना काल में बुरी तरह फेल स्वास्थ्य व्यवस्था, माफियाराज और सांप्रदायिक हिंसा से ध्यान हटाकर जनता को यह बताया जाए कि पिछले साल प्रदेश में सिर्फ विकास ही विकास हुआ है।